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Kanpur News: मेडिकल कॉलेज में व्हील चेयर-स्ट्रेचर खींचते दिखे तीमारदार
संवाद न्यूज एजेंसी, कानपुर
Updated Thu, 20 Nov 2025 01:48 AM IST
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कानपुर देहात। शासन से नामित राज्य नोडल अधिकारी ने 12 नवंबर को मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण कर इमरजेंसी सेवाएं बेहतर करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद भी व्यवस्थाएं दुरुस्त नजर नहीं आ रही हैं। बुधवार को संवाद न्यूज एजेंसी ने मेडिकल कॉलेज की पड़ताल की। पड़ताल में इमरजेंसी, ओपीडी से लेकर वार्ड तक मरीजों के तीमारदार ही उनकी मदद करते नजर आ आए। वार्ड में शिफ्ट होने, ओपीडी में दिखाने के दौरान तीमारदार व्हील चेयर, स्ट्रेचर खींचते दिखाई दिए। कई मरीजों के तीमारदारों ने व्यवस्था को लेकर अपना दुखड़ा भी रोया।
मरीजों की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इमरजेंसी सेवाएं बेहतर रहें इसके लिए ईएमओ के अलावा दो से तीन जूनियर डॉक्टर, दो फार्मासिस्ट, तीन से चार वार्ड बॉय व अन्य चतुर्थश्रेणी कर्मचारियाें की तैनाती रहती है। इसके बाद भी मरीज और तीमारदारों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। बुधवार को इमरजेंसी, ट्रामा सेंटर, ओपीडी में तैनात वार्ड बॉय मरीजों की मदद में नहीं दिखे। कोई इमरजेंसी वार्ड तो ओपीडी में डॉक्टर के सहयोगी के रूप में काम करता दिखा तो कोई वार्ड बॉय कार्यालयों में फाइलों को इधर से उधर पहुंचाने के काम में लगे दिखे। जबकि निर्देश हैं कि वार्ड बॉय मरीजों की मदद करेंगे।
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केस- एक
मदद के लिए कोई नहीं मिला..
ओपीडी से एक्स-रे कराने के लिए मनकी हमीरपुर निवासी सुरेंद्र (65) को व्हील चेयर पर लेकर उनकी बेटी संध्या व नाती अनुराग पांडेय इमरजेंसी की तरफ आते दिखे। संध्या ने बताया कि पिता को सांस फूलने, शरीर में कमजोरी व बुखार आने की समस्या पर भर्ती कराया था। मंगलवार शाम वह वार्ड में फिसल कर गिर गए। इस पर डॉक्टर ने एक्स-रे कराने की सलाह दी थी। मदद के लिए कोई नहीं दिखा तो मां-बेटे ही व्हील चेयर से उन्हें पहले ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने ले गए, इसके बाद एक्स-रे कराने आए। बेटी ने बताया कि पिता को गलत तरह से ब्लड भी चढ़ाया गया। इससे उनका हाथ काला पड़ गया।
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केस-दो
मोबाइल जमा करने के बाद दी व्हील चेयर
रूरा के अंदाया निवासी राम प्रसाद ने बताया कि बेटे अनिल के पैर में चोट लग गई थी। उसे दिखाने के लिए इमरजेंसी आए थे। यहां से उसे पहले नये भवन में रसीद कटाने के लिए भेजा गया। इसके बाद डॉक्टर को दिखाने के लिए कमरा नंबर-5 में जाने की बात कही गई। जब उसने अकेले जा पाने में अस्मर्थता जताई तो एक स्टॉफ ने उसे व्हील चेयर से जाने की बात कही। जब वह व्हील चेयर लेने गया तो आधार कार्ड मांगा गया। आधार पास में न होने पर मोबाइल जमा करा लिया तब उसे चेयर मिली।
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केस-तीन
बाहर को छोड़ कर चली गई एंबुलेंस
राजपुर के रतापुर निवासी दीपक कुमार ने बताया कि बेटी मुस्कान को सुबह से सांस फूलने की समस्या हुई। पहले उसने स्थानीय अस्पताल में दिखाया। आराम न मिलने पर बेटी को एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज लाए। बताया कि जिस एंबुलेंस से वह आए थे वह उसे मेन रोड पर ही छोड़ कर चली गई। वह पैदल ही बेटी को सहारा देकर इमरजेंसी तक पहुंचे। इससे उन्हें परेशानी उठानी पड़ी।
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केस-चार
रसूलाबाद के शिवबाबू ने बताया कि हादसे में उनके दोनों पैर में चोट आई थी। इमरजेंसी में भर्ती होने के बाद उन्हें बुधवार दोपहर एक बजे के करीब ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया गया। उन्हें वार्ड तक पहुंचाने के लिए कोई नहीं आया तो परिवार के लोग पास में रखे स्ट्रेचर को उठाकर लाए और उसी से उसे ट्रामा सेंटर के वार्ड तक लेकर गए।
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बयान...
इमरजेंसी में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काम चल रहा है। कर्मचारियों को निर्देश हैं कि किसी भी तरह के बीमार, घायल मरीज को परेशानी न हो। बेहतर से बेहतर इलाज मिले। अभी तक किसी ने ऐसी शिकायत नहीं की उसे मदद नहीं मिली या स्ट्रेचर, व्हील चेयर में मिलने में परेशानी हुई। फिर भी लापरवाही करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. वंदना सिंह, सीएमएस
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स्टेट नोडल अधिकारी ने परखी थी स्वास्थ्य सेवाएं
कानपुर देहात। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय एवं सम्बद्ध जिला चिकित्सालय में 12 नवंबर को शासन द्वारा नामित स्टेट नोडल प्रो.एलडी मिश्रा (इमरजेंसी एंड ट्रामा सर्विसेस चिकित्सा शिक्षा विभाग) ने इमरजेंसी विभाग, ट्रामासेंटर, ब्लड बैक, पैथोलॉजी लैब, रेडियोलॉजी विभाग व जिला महिला अस्पताल की सेवाएं परखी थी। उन्होंने इमरजेंसी सेवाएं बेहतर देने के निर्देश दिए थे। ट्रामा सेंटर में स्थापित आईसीयू को इमरजेंसी आईसीयू बनाने के निर्देश दिए थे। (संवाद)
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मरीजों की सुविधा के लिए लाखों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। इमरजेंसी सेवाएं बेहतर रहें इसके लिए ईएमओ के अलावा दो से तीन जूनियर डॉक्टर, दो फार्मासिस्ट, तीन से चार वार्ड बॉय व अन्य चतुर्थश्रेणी कर्मचारियाें की तैनाती रहती है। इसके बाद भी मरीज और तीमारदारों की समस्याएं कम नहीं हो रही हैं। बुधवार को इमरजेंसी, ट्रामा सेंटर, ओपीडी में तैनात वार्ड बॉय मरीजों की मदद में नहीं दिखे। कोई इमरजेंसी वार्ड तो ओपीडी में डॉक्टर के सहयोगी के रूप में काम करता दिखा तो कोई वार्ड बॉय कार्यालयों में फाइलों को इधर से उधर पहुंचाने के काम में लगे दिखे। जबकि निर्देश हैं कि वार्ड बॉय मरीजों की मदद करेंगे।
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केस- एक
मदद के लिए कोई नहीं मिला..
ओपीडी से एक्स-रे कराने के लिए मनकी हमीरपुर निवासी सुरेंद्र (65) को व्हील चेयर पर लेकर उनकी बेटी संध्या व नाती अनुराग पांडेय इमरजेंसी की तरफ आते दिखे। संध्या ने बताया कि पिता को सांस फूलने, शरीर में कमजोरी व बुखार आने की समस्या पर भर्ती कराया था। मंगलवार शाम वह वार्ड में फिसल कर गिर गए। इस पर डॉक्टर ने एक्स-रे कराने की सलाह दी थी। मदद के लिए कोई नहीं दिखा तो मां-बेटे ही व्हील चेयर से उन्हें पहले ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने ले गए, इसके बाद एक्स-रे कराने आए। बेटी ने बताया कि पिता को गलत तरह से ब्लड भी चढ़ाया गया। इससे उनका हाथ काला पड़ गया।
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केस-दो
मोबाइल जमा करने के बाद दी व्हील चेयर
रूरा के अंदाया निवासी राम प्रसाद ने बताया कि बेटे अनिल के पैर में चोट लग गई थी। उसे दिखाने के लिए इमरजेंसी आए थे। यहां से उसे पहले नये भवन में रसीद कटाने के लिए भेजा गया। इसके बाद डॉक्टर को दिखाने के लिए कमरा नंबर-5 में जाने की बात कही गई। जब उसने अकेले जा पाने में अस्मर्थता जताई तो एक स्टॉफ ने उसे व्हील चेयर से जाने की बात कही। जब वह व्हील चेयर लेने गया तो आधार कार्ड मांगा गया। आधार पास में न होने पर मोबाइल जमा करा लिया तब उसे चेयर मिली।
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केस-तीन
बाहर को छोड़ कर चली गई एंबुलेंस
राजपुर के रतापुर निवासी दीपक कुमार ने बताया कि बेटी मुस्कान को सुबह से सांस फूलने की समस्या हुई। पहले उसने स्थानीय अस्पताल में दिखाया। आराम न मिलने पर बेटी को एंबुलेंस से मेडिकल कॉलेज लाए। बताया कि जिस एंबुलेंस से वह आए थे वह उसे मेन रोड पर ही छोड़ कर चली गई। वह पैदल ही बेटी को सहारा देकर इमरजेंसी तक पहुंचे। इससे उन्हें परेशानी उठानी पड़ी।
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केस-चार
रसूलाबाद के शिवबाबू ने बताया कि हादसे में उनके दोनों पैर में चोट आई थी। इमरजेंसी में भर्ती होने के बाद उन्हें बुधवार दोपहर एक बजे के करीब ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया गया। उन्हें वार्ड तक पहुंचाने के लिए कोई नहीं आया तो परिवार के लोग पास में रखे स्ट्रेचर को उठाकर लाए और उसी से उसे ट्रामा सेंटर के वार्ड तक लेकर गए।
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बयान...
इमरजेंसी में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए काम चल रहा है। कर्मचारियों को निर्देश हैं कि किसी भी तरह के बीमार, घायल मरीज को परेशानी न हो। बेहतर से बेहतर इलाज मिले। अभी तक किसी ने ऐसी शिकायत नहीं की उसे मदद नहीं मिली या स्ट्रेचर, व्हील चेयर में मिलने में परेशानी हुई। फिर भी लापरवाही करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। - डॉ. वंदना सिंह, सीएमएस
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स्टेट नोडल अधिकारी ने परखी थी स्वास्थ्य सेवाएं
कानपुर देहात। स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय एवं सम्बद्ध जिला चिकित्सालय में 12 नवंबर को शासन द्वारा नामित स्टेट नोडल प्रो.एलडी मिश्रा (इमरजेंसी एंड ट्रामा सर्विसेस चिकित्सा शिक्षा विभाग) ने इमरजेंसी विभाग, ट्रामासेंटर, ब्लड बैक, पैथोलॉजी लैब, रेडियोलॉजी विभाग व जिला महिला अस्पताल की सेवाएं परखी थी। उन्होंने इमरजेंसी सेवाएं बेहतर देने के निर्देश दिए थे। ट्रामा सेंटर में स्थापित आईसीयू को इमरजेंसी आईसीयू बनाने के निर्देश दिए थे। (संवाद)