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UP: यहां भगवान जगन्नाथ स्वयं देते हैं मानसून आने की सूचना, जानें इस बार मंदिर ने दिया क्या संकेत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भीतरगांव Published by: शिखा पांडेय Updated Mon, 05 Jun 2023 12:29 PM IST
सार

भीतरगांव में बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर मानसूनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। प्रति वर्ष मंदिर मानसून आने का संकेत देता है। मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर लगा पत्थर पसीजने लगा है। दो-तीन दिनों से पानी की बूंदें टपक रही हैं। इस बार जगन्नाथ मंदिर ने कमजोर मानसून के संकेत दिए हैं।

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Drops drop from Jagannath temple, signs of weak monsoon
भगवान जगन्नाथ का मंदिर व गर्भगृह पर मानसूनी पत्थर में पानी की बूंदे - फोटो : अमर उजाला
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घाटमपुर के भीतरगांव में बेहटा बुजुर्ग गांव के प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर लगे पत्थर से पानी की बूंदे टपकने से हर साल मानसून का संकेत मिलता है। इस बार भी जून का महीना शुरू होते ही मंदिर के शिखर पर लगा पत्थर पसीजने लगा है। रुक-रुक कर पानी की छोटी बूंदे टपकने लगी हैं। बूंदों के छोटे आकार से मानसून कमजोर रहने का अनुमान लगाया जा रहा है। इलाके के लोग मानसून नजदीक मानकर घरेलू व खेती के काम निपटाने में जुट हैं।

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बेहटा बुजुर्ग गांव स्थित प्राचीन भगवान जगन्नाथ मंदिर के गर्भगृह के शिखर पर एक पत्थर लगा है। मान्यता है कि मई-जून की चिलचिलाती धूप व गर्मी के बीच पत्थर से पानी की छोटी-बड़ी बूंदे मानसून आने के लगभग 20 दिन पहले ही टपकने लगती हैं।बारिश शुरू होने के बाद पत्थर पूरी तरह सूख जाता है। जगन्नाथ मंदिर के पुजारी कुड़हा प्रसाद शुक्ला बताते हैं इस बार मानसूनी पत्थर का कुछ भाग ही पसीजा है। दो-तीन दिन से रुक रुक कर बूंदे भी टपक रही है।

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वहीं, जगन्नाथ मंदिर की प्राचीनता के पुख्ता प्रमाण तो नहीं मिलता है। बौद्ध मठ जैसे आकार वाले मंदिर की दीवारें लगभग 14 फीट मोटी हैं। मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ बलदाऊ और बहन सुभद्रा की काले चिकने पत्थरों की मूर्तियां है। पुरातत्व विभाग के मुताबिक मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी के आसपास होने के संकेत मिलते हैं।

देश-विदेश में मानसूनी मंदिर के नाम से जाना जाता है
बेहटा बुजुर्ग के जगन्नाथ मंदिर को देश विदेश में मानसूनी मंदिर के नाम से जाना जाता है। मुख्य मंदिर की वाह्य आकृति रथनुमा आकार की है, जो प्राचीन 12 खंभों पर बना हुआ है। इसके शिखर पर अष्टधातु से निर्मित विष्णु का सुदर्शन चक्र लगा है। मंदिर के गुंबद में भी चारों ओर चक्र के साथ मोर की आकृतियां बनी हैं।

यह भी पढ़ें- मानसून के केरल पहुंचने में तीन-चार दिन की देरी के आसार, मौसम विभाग ने कहा- अनुकूल हो रहीं परिस्थितियां

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