UP: संवेदनहीनता की हद…ससुराल-मायके के विवाद में सड़ता रहा मासूम का शव, तीन दिन बाद हुआ समझौता, फिर अंतिम विदाई
Farrukhabad News: जिले में एक मासूम का शव इलाज के 3.70 लाख रुपये के विवाद में तीन दिन तक ननिहाल में रखा रहा, जिससे दुर्गंध तक उठने लगी। अंततः पुलिस के हस्तक्षेप और दोनों पक्षों के बीच समझौते के बाद शुक्रवार शाम को अंतिम संस्कार हुआ।
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फर्रुखाबाद जिले में बीमारी में खर्च 3.70 लाख रुपये न मिलने से मासूम बच्ची का शव तीन दिन से उसकी ननिहाल में रखा रहा। पुलिस दो बार घर गई लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। संवेदनहीनता के चलते शव से दुर्गंध उठने लगी। शुक्रवार शाम दोनों पक्षों में समझौता होने के बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया। मऊदरवाजा थाना क्षेत्र के गांव जनैया सठैया निवासी मोतीलाल राजपूत ने बताया कि डेढ़ साल पहले बेटी सुमन (20) की शादी एटा जिले के गांव तारा नगला निवासी रमाकांत से की थी।
ससुरालियों ने मारपीट की, तो परिजन चार माह पहले मायके ले आए। यहां ऑपरेशन के बाद उसने बेटी धेवती को जन्म दिया। जन्म से ही बच्ची बीमार थी। दो माह तक अस्पताल में उसका इलाज चला जिसमें 3.70 लाख रुपये खर्च हो गए। यह रकम खेत और जेवरात गिरवी रखकर जुटाई थी। धेवती की हालत में सुधार होने पर पंचायत हुई और ससुराली बेटी और नातिन को ले गए। कुछ दिन बाद ही ससुरालियोें ने फिर से बेटी के साथ मारपीट की इससे वह जख्मी हो गई और देखभाल न होने से बच्ची की हालत भी बिगड़ गई।
रुपये मिलने के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात कही
इस पर वह दोनों को फिर से मायके ले आए। इलाज के दौरान मासूम ने बुधवार को दम तोड़ दिया। सुमन की मां ऊषा ने बताया कि मासूम की मौत की सूचना पर सुमन का पति और ससुर पहुंचे। उनसे इलाज में खर्च हुई रकम मांगी तो उन्होंने पुलिस को सूचना दे दी। बृहस्पतिवार और शुक्रवार को दो बार थाना पुलिस घर पहुंची और शव के अंतिम संस्कार के लिए कहा, लेकिन ननिहाल पक्ष के लोगों ने रुपये मिलने के बाद ही अंतिम संस्कार करने की बात कही। इसके बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की और शव वहीं छोड़कर थाने चली आई।
बच्ची के बाबा को थाने में बैठा लिया
ऊषा ने आरोप लगाया कि बेटी के ससुरालियों ने पुलिस को रुपये दिए हैं इसीलिए पुलिस नहीं सुन रही। शव से काफी दुर्गंध आने लगी है। एसपी आरती सिंह ने बताया कि तीन दिन से रोज पुलिस मौके पर जाकर परिजन को शव का अंतिम संस्कार करने के लिए समझा रही थी। पर बच्ची के ननिहाल पक्ष के लोग इलाज में खर्च हुए रुपये की मांग को लेकर अंतिम संस्कार नहीं कर रहे थे। इससे बच्ची के बाबा को थाने में बैठा लिया गया था। शुक्रवार शाम को दोनों पक्षों में समझौता होने के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया है।
मोतीलाल की आर्थिक स्थिति बेहद खराब
ग्रामीण परिवेश में दुख के समय लोग दरवाजे से नहीं हटते। जनैया सठैया में मोतीलाल के दरवाजे पर तीन दिन से ग्रामीणों का हुजूम लगा है। कड़ाके की ठंड में घर के बाहर अलाव के पास बैठकर महिला व पुरुष दुख बांट रहे हैं लेकिन समस्या का समाधान निकालने में हर कोई नाकाम है। मऊदरवाजा थाने के गांव जनैया सठैया के मोतीलाल की चार माह की धेवती की मौत के बाद हर कोई दुखी है। मोतीलाल की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है। परिवार की ही प्रियंका बताती हैं कि खेत में आलू बोया था। दो पानी लगा चुके थे।
पुलिस की कार्यप्रणाली से सब कोई आहत
मगर मासूम का अस्पताल में दो माह तक इलाज चलता रहा। ऐसे में पहले घर का जेवर गिरवीं रखा और बाद में फसल सहित खेत भी गिरवीं रख दिया। पहले सुमन के ऑपरेशन से बच्चा होने में 70 हजार रुपये खर्च किए। इसके बाद दो माह तक मायूम अस्पताल में भर्ती रखा। इसमें तीन लाख रुपये खर्च हो गए। घर में तीन भाई रंजीत, रजनेश और स्वाहिल में सबसे छोटी सुमन हैं। बच्चे मेहनत मजदूरी करते हैं। घर के बाहर लगे अलाव पर बड़ी संख्या में ग्रामीण बैठे परिवार को सांत्वना बंधा रहे हैं। मगर पुलिस की कार्यप्रणाली से सब कोई आहत हैं।
