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कानपुर: शादी अनुदान फर्जीवाड़े में गिरफ्तार बाबू निलंबित, एजेंट के साथ करता था गंदा काम
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sat, 04 Sep 2021 12:22 AM IST
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विवाह
- फोटो : Pixabay
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कानपुर में शादी अनुदान योजना में फर्जीवाड़े में गिरफ्तार समाज कल्याण विभाग के बाबू शिव गोविंद को शासन ने शुक्रवार को निलंबित कर दिया। वहीं, पारिवारिक लाभ योजना के बाबू प्रेम शरण को भी पटल से हटा दिया गया है। शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था।
इस मामले में निलंबित तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह ने बर्रा थाने में फरवरी में दो फर्जी आवेदकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच में पाया था कि समाज कल्याण विभाग का बाबू शिव गोविंद, घाटमपुर निवासी एजेंट शेखर सचान से मिलीभगत कर 2019 से फर्जीवाड़ा कर रहा है।
पुलिस को शेखर और शिव गोविंद की बातचीत का एक ऑडियो मिला था। इसमें शेखर ने शिव गोविंद को अपात्रों की जांच तहसील से कराने की बात कही है। प्रति आवेदक तीन हजार रुपये बाबू को देता था। जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने सोमवार को बाबू को लखनऊ स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया था। 24 घंटे से अधिक जेल में रहने पर शासन ने उसे निलंबित कर दिया। इस मामले में गिरफ्तार एजेंट शेखर सचान और बर्रा निवासी फर्जी लाभार्थी प्रदीप कुमार सैनी जेल में हैं।
उपनिदेशकों ने शासन में रखा पक्ष
शादी अनुदान मामले में दोषी दो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व पिछड़ा वर्ग विभाग के दो उपनिदेशकों ने प्रमुख सचिव को अपनी सफाई दी। बताया कि जांच अधिकारियों ने सत्यापन करने वालों को दोषी माना है। शहरी क्षेत्र में एसडीएम, लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार की जांच रिपोर्ट लगती है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में बीडीओ स्तर से जांच कराई जाती है। शासनादेश है कि एसडीएम या बीडीओ की जांच के बाद विभागीय अधिकारी जांच नहीं कराएंगे। ऐसे में विभागीय अधिकारियों का कोई दोष नहीं है।

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इस मामले में निलंबित तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी अमरजीत सिंह ने बर्रा थाने में फरवरी में दो फर्जी आवेदकों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई थी। पुलिस ने जांच में पाया था कि समाज कल्याण विभाग का बाबू शिव गोविंद, घाटमपुर निवासी एजेंट शेखर सचान से मिलीभगत कर 2019 से फर्जीवाड़ा कर रहा है।
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पुलिस को शेखर और शिव गोविंद की बातचीत का एक ऑडियो मिला था। इसमें शेखर ने शिव गोविंद को अपात्रों की जांच तहसील से कराने की बात कही है। प्रति आवेदक तीन हजार रुपये बाबू को देता था। जांच में मिले साक्ष्यों के आधार पर पुलिस ने सोमवार को बाबू को लखनऊ स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया था। 24 घंटे से अधिक जेल में रहने पर शासन ने उसे निलंबित कर दिया। इस मामले में गिरफ्तार एजेंट शेखर सचान और बर्रा निवासी फर्जी लाभार्थी प्रदीप कुमार सैनी जेल में हैं।
उपनिदेशकों ने शासन में रखा पक्ष
शादी अनुदान मामले में दोषी दो जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी व पिछड़ा वर्ग विभाग के दो उपनिदेशकों ने प्रमुख सचिव को अपनी सफाई दी। बताया कि जांच अधिकारियों ने सत्यापन करने वालों को दोषी माना है। शहरी क्षेत्र में एसडीएम, लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार की जांच रिपोर्ट लगती है। वहीं, ग्रामीण क्षेत्र में बीडीओ स्तर से जांच कराई जाती है। शासनादेश है कि एसडीएम या बीडीओ की जांच के बाद विभागीय अधिकारी जांच नहीं कराएंगे। ऐसे में विभागीय अधिकारियों का कोई दोष नहीं है।