सीएसजेएमयू का कारनामा: दो नवंबर तक दिए दाखिले, नौ दिन बाद छात्र देंगे परीक्षा, कुलपति ने दिया स्पष्टीकरण
Kanpur News: सीएसजेएमयू ने 11 नवंबर से सेमेस्टर परीक्षाएं घोषित करने के बावजूद दो नवंबर तक प्रवेश प्रक्रिया जारी रखी। कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने इसे तकनीकी समस्या से जूझ रहे परास्नातक छात्रों के हित में उठाया गया कदम बताया।
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कानपुर में छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (सीएसजेएमयू) की प्रशासनिक कार्यप्रणाली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। विश्वविद्यालय ने जहां 11 नवंबर से विषम सेमेस्टर की परीक्षाएं घोषित कर दी हैं। वहीं दूसरी ओर प्रवेश प्रक्रिया को दो नवंबर तक जारी रखकर नियमों को दरकिनार किया है। अब कई छात्र दाखिले के महज नौ दिन बाद परीक्षा देने बैठेंगे।
वर्तमान शिक्षा सत्र में विवि बार-बार प्रवेश की तिथि बढ़ाता गया लेकिन हद को तब हो गई जब सेमेस्टर परीक्षा शुरु होने के नौ दिन पहले तक प्रवेश के लिए साइट खोल दी। विवि भले ही तर्क दे कि तकनीक गड़बड़ी के कारण जिन छात्रों का डब्ल्यूआरएन जनरेट नहीं हुआ था उनके लिए साइट खोलनी पड़ी लेकिन कॉलेज तो इसकी सूचना पर तुरंत छात्रों को दाखिले के लिए आमंत्रित करने लगे।
छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ भी
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                बिना यह सोचे कि परीक्षा के नौ दिन पहले दाखिला देने से कोर्स और 90 दिनों की पढ़ाई का मानक कैसे पूरा होगा। अब प्रवेश लेने वाले छात्रों को न तो पर्याप्त कक्षाएं मिल सकेंगी और न ही पाठ्यक्रम पूरा हो पाएगा। शिक्षाविदों का कहना है कि यह कदम न केवल गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के मानकों को कमजोर करता है बल्कि छात्रों के भविष्य के साथ भी खिलवाड़ भी है।
डब्ल्यूआरएन में दिक्कत को सुधारने का एक और मौका
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                वहीं कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने बताया कि यह डब्ल्यूआरएन स्नातक के छात्रों के लिए नहीं था। केवल ऐसे छात्र जिन्होंने स्पेशल बैक दिया था या परास्नातक के वह छात्र जिनका परिणाम देरी से जारी हुआ उनका ही डब्ल्यूआरएन जनरेट किया गया है। जिन डिग्री कॉलेजों ने दाखिले लिए हैं उनको स्वीकार नहीं किया गया है। हां जिनके डब्ल्यूआरएन में दिक्कत थी, उनको सुधारने का एक और मौका दिया गया है। छात्र हित में यह काम किया गया है।
अप्रैल से चल रही दाखिले की प्रक्रिया
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                
                                                                                                                                 
                                                विश्वविद्यालय ने अप्रैल से ही स्नातक और परास्नातक कक्षाओं में दाखिले की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। निजी महाविद्यालयों में स्नातक और परास्नातक में दाखिले की स्थितियां काफी खराब रही। कई पाठ्यक्रमों में मुश्किल से 30 से 40 प्रतिशत तक छात्र-छात्राओं ने दाखिला लिया।