Delhi Blast: आतंक का डॉक्टरी कनेक्शन…डॉ. आरिफ को ATS ने हिरासत में लिया, पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाया गया
Kanpur News: एटीएस ने बुधवार सुबह कानपुर के हृदय रोग संस्थान में तैनात कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ को हिरासत में ले लिया है। डॉ. आरिफ जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के निवासी हैं। टीम ने उनका लैपटॉप और मोबाइल जब्त कर उन्हें पूछताछ के लिए दिल्ली ले जाया गया है।
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कानपुर के हृदय रोग संस्थान में तैनात कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद आरिफ को बुधवार की सुबह उनके घर से हिरासत में लिया गया। जानकारी के मुताबिक, आरिफ जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के रहने वाले हैं। प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि डॉ. आरिफ का संपर्क डॉ. शाहीन और उसके भाई परवेज से था, जो फिलहाल आतंकवाद से जुड़े मामले में जांच के घेरे में हैं।
एटीएस को शक है कि आरिफ भी किसी न किसी रूप में इन गतिविधियों से जुड़ा हो सकता है। एजेंसियों ने आरिफ का लैपटॉप और मोबाइल फोन जब्त कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, इन उपकरणों से संदिग्ध डेटा मिला है। फिलहाल एटीएस उन्हें पूछताछ के लिए दिल्ली ले गई है, जहां दिल्ली ब्लास्ट में पकड़े गए आरोपियों के आमने-सामने बैठाकर सवाल-जवाब किए जाएंगे।
शांत स्वभाव के छात्र थे
इधर, कानपुर में एटीएस और एनआईए की टीमों ने डेरा डाल दिया है। सूत्रों का कहना है कि डॉ. शाहीन से जुड़े नेटवर्क की कड़ियां खोजने के लिए जांच जारी है। कानपुर मेडिकल कॉलेज से जुड़ी नई जानकारी के मुताबिक, डॉक्टर आरिफ इस साल ही अनंतनाग से हृदय रोग में डीएम की पढ़ाई के लिए आए थे। कॉलेज प्रशासन और सहकर्मी डॉक्टरों के अनुसार, वह शांत स्वभाव के छात्र थे।
कई डॉक्टरों से सवाल-जवाब हुए
अपनी क्लास लेते थे और काम से काम रखते थे। उनसे पहले भी हर साल कश्मीर से छात्र यहां पढ़ने आते हैं। हालांकि, आरिफ को आए हुए महज़ पांच से छह महीने ही हुए हैं, लेकिन एटीएस की कार्रवाई के बाद पूरे मेडिकल कॉलेज और हैलट परिसर में खलबली मच गई। पुलिस और जांच एजेंसियां दिनभर कैंपस में पूछताछ करती रहीं। कई डॉक्टरों से सवाल-जवाब हुए हैं।
मेडिकल नेटवर्क पर भी टिकी हैं एजेंसियों की निगाहें
चर्चा ये भी रही कि दो से तीन अन्य रेजीडेंट डॉक्टरों को भी पूछताछ के लिए उठाया गया। इनमें से कुछ को बाद में छोड़ दिया गया। इस पूरे घटनाक्रम के बाद डॉक्टरों में दहशत और चर्चा का माहौल है। फिलहाल, जांच एजेंसियां किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं, लेकिन कानपुर से लेकर दिल्ली तक सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें अब मेडिकल नेटवर्क पर भी टिकी हुई हैं।