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Kanpur: जहरीली हवा ने बढ़ाई बीमारी, हार्ट फेलियर के रोगी आठ गुना बढ़े, अस्थमा-सीओपीडी के 18 मरीज भर्ती

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर Published by: हिमांशु अवस्थी Updated Thu, 23 Oct 2025 11:10 AM IST
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सार

Kanpur News: कानपुर में प्रदूषण बढ़ने के कारण एलपीएस कार्डियोलॉजी में हृदय के दाएं हिस्से के फेल होने के रोगियों की संख्या आठ गुना बढ़कर 65 हो गई है। वहीं, हैलट में अस्थमा, सीओपीडी अटैक के 18 रोगी भर्ती किए गए हैं।

Kanpur Toxic air increased illness heart failure patients increased eightfold 18 asthma COPD patients admitted
हैलट हॉस्पिट कानपुर - फोटो : amar ujala
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विस्तार
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कानपुर में प्रदूषण बढ़ने से हृदय के दाएं हिस्से के फेल होने के रोगियों की संख्या आठ गुना बढ़ गई है। एलपीएस कार्डियोलॉजी के निदेशक एवं प्रोफेसर डॉ. राकेश कुमार वर्मा ने बताया कि हृदय के दाएं हिस्से का काम फेफड़ों में खून भेजना होता है। प्रदूषण से फेफड़ों की गतिविधि प्रभावित होने पर हृदय पर असर आता है। निदेशक डॉ. वर्मा ने बताया कि आमतौर पर 10 फीसदी रोगी हृदय के दाहिने हिस्से के फेल होने के आते हैं।

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90 फीसदी रोगी हृदय के बाएं हिस्से की खराबी के होते हैं। धमनियों में ब्लॉकेज होने से हृदय का बायां हिस्सा प्रभावित होता है। उन्होंने बताया कि 24 घंटों में 76 रोगी कार्डियोलॉजी में भर्ती हुए। इनमें 65 रोगी हृदय के दाहिने हिस्से की दिक्कत के रहे हैं। इसमें रोगियों का सांस फूलने लगती है और हृदय पर असर आता है। एक्यूआई बढ़ने पर इस तरह के रोगी बढ़ जाते हैं। जो पहले से बॉर्डर लाइन पर होते हैं, उनकी स्थिति अधिक खराब हो जाती है। इसके अलावा ओपीडी और इमरजेंसी में भी रोगियों को देखा गया।

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अस्थमा और सीओपीडी अटैक के 18 रोगी भर्ती
हैलट इमरजेंसी और डॉ. मुरारीलाल चेस्ट हॉस्पिटल में अस्थमा, सीओपीडी अटैक के 18 रोगी भर्ती हुए हैं। प्रदूषण बढ़ने के कारण अस्थमा और सीओपीडी रोगियों की दिक्कतें बढ़ गईं। सांस में दिक्कत होने पर परिजन रोगियों को लेकर अस्पताल भागे और इंटेंसिव केयर में भर्ती कराया। रेस्पेरेटरी मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. अवधेश कुमार ने बताया कि दोपहर तक आठ रोगी भर्ती हुए हैं। टीबी रोगियों को भी दिक्कत बढ़ी है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी प्रियदर्शी ने बताया कि 24 घंटे में इमरजेंसी में 85 रोगी भर्ती हुए हैं। सांस रोगों के 10 रोगी हैं। सभी रोगी जटिल स्थिति में अस्पताल आए हैं। प्रदूषण से अस्थमा, सीओपीडी का अटैक आ गया। इसके अलावा डायबिटीज के रोगी सांस फूलने की समस्या लेकर आए। उनके फेफड़ों में संक्रमण हो गया।

नाक, कान गले की एलर्जी के रोगी दोगुना हुए
प्रदूषण बढ़ने की वजह से नाक, कान और गले के एलर्जी के रोगियों की संख्या दोगुना हो गई। ईएनटी फाउंडेशन के निदेशक डॉ. देवेंद्र लालचंदानी ने बताया कि एक तो यह एलर्जी का सीजन है। परागकण के कारण एलर्जी के रोगी बढ़ते हैं। इन रोगियों की संख्या 25 फीसदी होती है। प्रदूषण बढ़ने से एलर्जी के रोगियों की संख्या 50 फीसदी हो गई। विशेषज्ञों के यहां आधे रोगी नाक और गले की एलर्जी के आ रहे हैं।

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