Kanpur: औद्योगिक क्षेत्र में बनेंगे दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, जल निगम ने STP के लिए नगर निगम से मांगी जमीन
Kanpur News: पनकी और दादानगर औद्योगिक क्षेत्र के सीवेज निस्तारण के लिए एसटीपी और आईपीएस निर्माण की योजना बनाई गई है। जल निगम ने जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त उद्योग को पत्र लिखकर जमीन मांगी है।

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कानपुर में पनकी साइट-1 से 5 और दादानगर औद्योगिक क्षेत्र को सीवर समस्या से निजात दिलाने के लिए 10 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) और इंटरमीडिएट सीवेज पंपिंग स्टेशन (आईपीएस) बनेगा। इसके लिए नगर निगम ने जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त उद्योग से जमीन मांगी है।

पनकी साइट नंबर 1 से 5 तक में 2000 से ज्यादा फैक्टरियां हैं। इसी तरह दादानगर औद्योगिक क्षेत्र में करीब आठ सौ फैक्टरियां हैं, जिनमें करीब 50 हजार मजदूर काम करते हैं। इन औद्योगिक क्षेत्रों से रोज करीब आठ एमएलडी सीवेज निकलता है। इसके निस्तारण के लिए न तो क्षेत्र में सीवर लाइन है और न ही एसटीपी है। फैक्टरियों में बने सोखता भरने पर निजी टैंकर से इसे निस्तारित कराया जाता है।
निजी टैंकर चालक इसे एसटीपी में ले जाकर निस्तारित करने के बजाय डीजल व समय बचाने के लिए नालों में ही डाल देते हैं। कुछ फैक्ट्री संचालक नालियों में ही सीवेज बहा देते हैं। इसके मद्देनजर जल निगम (शहरी) ने इन औद्योगिक क्षेत्रों के सीवेज निस्तारण के लिए योजना बनाई है। कमिश्नर के निर्देश पर दोनों औद्योगिक क्षेत्रों का सर्वे करने के बाद आठ से 10 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट, आईपीएस बनाने, 60-65 किलोमीटर सीवर लाइन बिछाने का प्रस्ताव तैयार किया है।
पनकी और दादानगर औद्योगिक क्षेत्र के सीवेज निस्तारण के लिए एसटीपी और आईपीएस निर्माण की योजना बनाई है। जिला उद्योग प्रोत्साहन तथा उद्यमिता विकास केंद्र के उपायुक्त उद्योग को पत्र लिखकर जमीन मांगी है। जमीन मिलते ही अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। -विशाल सिंह, अधिशासी अभियंता, जल निगम (शहरी)
पनकी एसटीपी में सीवेज निस्तारण पर जताई थी असमर्थता
जल निगम (शहरी) के अधिशासी अभियंता ने इससे पहले पनकी और दादानगर औद्योगिक क्षेत्र के सीवेज निस्तारण के लिए लाइन वहां से पनकी में बने सीवेज पंपिंग स्टेशन (एसपीएस) से जोड़ने की योजना बनाई थी। एसपीएस की क्षमता 20 एमएलडी है। उन्होंने गंगा प्रदूषण नियंत्रण इकाई के परियोजना प्रबंधक को पत्र लिखकर इसके लिए अनुमति मांगी, पर उन्होंने एसपीएस की क्षमता कम होने और कर्मचारियों की कमी का हवाला देकर असमर्थता जताई, तब नए एसटीपी, आईपीएस के निर्माण की योजना बनाई गई।