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प्राकृतिक खेती से होगा गेहूं की अच्छी गुणवत्ता की फसल का उत्पादन : कृषि वैज्ञानिक
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गेहूं की रसायनयुक्त खेती से मृदा का स्वास्थ्य होता है खराब, उत्पादन भी गुणवत्ताविहीन
ग्राम दैलवारा में प्राकृतिक विधि से गेहूं के उत्पादन तकनीक पर दिया किसानों को प्रशिक्षण
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने ग्राम दैलवारा में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। इसमें गेहूं की उत्पादन तकनीक पर किसानों को प्रशिक्षण दिया। बताया कि गेहूं की रसायनयुक्त खेती से मृदा का स्वास्थ्य खराब होता है। वहीं, उत्पादन भी गुणवत्ताविहीन होता है। जबकि गेहूं की प्राकृतिक खेती करके किसान अपने फसल की लागत को कम करके रसायनमुक्त अच्छी गुणवत्ता का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र खिरिया मिश्र द्वारा विकासखंड जखौरा के ग्राम दैलवारा में वरिष्ठ वैज्ञानिक और केंद्राध्यक्ष डॉ. मुकेशचंद के नेतृत्व में प्राकृतिक विधि से गेहूं की उत्पादन तकनीक पर ऑफ कैंपस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस शिविर में वैज्ञानिक डॉ. दिनेश तिवारी ने बताया कि गेहूं की पारंपरिक/रसायनयुक्त खेती से मृदा का स्वास्थ्य खराब होने के साथ ही गुणवत्ताविहीन उत्पादन मिल रहा है, जिसके उपभोग से स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है।
उन्होंने देसी गाय के मूत्र और गोबर और लोकली उपलब्ध पेड़-पौधों की पतियों/पूर्व की फसलों के अवशेष से बायोमास मल्च (खरपतवार नियंत्रण और उचित नमी और तापक्रम बनाए रखने के लिए) बीजामृत (बीज शोधन), जीवामृत और घन जीवामृत (पोषक तत्वों का प्रबंधन)आदि की जानकारी दी गई। कहा कि खेती में डीएपी और यूरिया से बढ़ रही लागत को भी कम किया जा सकता है। प्रशिक्षण में संदीप पटेरिया, नरेंद्र कुमार, गंगा राम सहित करीब 30 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।
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ग्राम दैलवारा में प्राकृतिक विधि से गेहूं के उत्पादन तकनीक पर दिया किसानों को प्रशिक्षण
संवाद न्यूज एजेंसी
ललितपुर। कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने ग्राम दैलवारा में एक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया। इसमें गेहूं की उत्पादन तकनीक पर किसानों को प्रशिक्षण दिया। बताया कि गेहूं की रसायनयुक्त खेती से मृदा का स्वास्थ्य खराब होता है। वहीं, उत्पादन भी गुणवत्ताविहीन होता है। जबकि गेहूं की प्राकृतिक खेती करके किसान अपने फसल की लागत को कम करके रसायनमुक्त अच्छी गुणवत्ता का उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
कृषि विज्ञान केंद्र खिरिया मिश्र द्वारा विकासखंड जखौरा के ग्राम दैलवारा में वरिष्ठ वैज्ञानिक और केंद्राध्यक्ष डॉ. मुकेशचंद के नेतृत्व में प्राकृतिक विधि से गेहूं की उत्पादन तकनीक पर ऑफ कैंपस प्रशिक्षण का आयोजन किया गया। इस शिविर में वैज्ञानिक डॉ. दिनेश तिवारी ने बताया कि गेहूं की पारंपरिक/रसायनयुक्त खेती से मृदा का स्वास्थ्य खराब होने के साथ ही गुणवत्ताविहीन उत्पादन मिल रहा है, जिसके उपभोग से स्वास्थ्य भी खराब हो रहा है।
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उन्होंने देसी गाय के मूत्र और गोबर और लोकली उपलब्ध पेड़-पौधों की पतियों/पूर्व की फसलों के अवशेष से बायोमास मल्च (खरपतवार नियंत्रण और उचित नमी और तापक्रम बनाए रखने के लिए) बीजामृत (बीज शोधन), जीवामृत और घन जीवामृत (पोषक तत्वों का प्रबंधन)आदि की जानकारी दी गई। कहा कि खेती में डीएपी और यूरिया से बढ़ रही लागत को भी कम किया जा सकता है। प्रशिक्षण में संदीप पटेरिया, नरेंद्र कुमार, गंगा राम सहित करीब 30 प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया।
