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Maharajganj News: ठंड बढ़ने से निमोनिया की चपेट में आ रहे बच्चे
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बच्चों की जांच करते डॉक्टर।
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महराजगंज। जिले में लगातार बढ़ रही ठंड अब बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ने लगी है। तापमान में निरंतर गिरावट, ठंडी हवाओं और घने कोहरे के चलते छोटे बच्चों में सर्दी-जुकाम के साथ-साथ निमोनिया के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। इसका सीधा असर जिला अस्पताल, महिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की ओपीडी पर देखने को मिल रहा है।
जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 200 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इसी तरह सीएचसी में 50 और पीएचसी पर भी सामान्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में बच्चे परामर्श के लिए आ रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या उन बच्चों की है, जो निमोनिया से पीड़ित पाए जा रहे हैं। इसके अलावा सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में परेशानी और वायरल संक्रमण के मामलों में भी लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। कई बच्चों की हालत गंभीर होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कर इलाज करना पड़ रहा है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजन मिश्रा ने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। खासकर नवजात शिशु और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। सुबह और शाम के समय चलने वाली ठंडी हवाएं, कोहरा और अचानक तापमान में गिरावट बच्चों को जल्दी बीमार कर देती है। यदि शुरुआती सर्दी-जुकाम का समय पर इलाज न हो, तो यही समस्या आगे चलकर निमोनिया का रूप ले सकती है, जो बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। किसी बच्चे में तेज सांस चलना, सीने में घरघराहट, लगातार बुखार, दूध या खाना न पीना, अत्यधिक सुस्ती, उल्टी-दस्त या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नजदीकी चिकित्सक या अस्पताल से संपर्क करना चाहिए।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शारिक नवाज ने बताया कि सिर, कान और पैरों को विशेष रूप से ढककर रखें व टोपी और जुराब का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को गुनगुना पानी पिलाएं और ठंडी चीजें खाने-पीने से बचाएं। स्कूल भेजते समय बच्चों के कान, हाथ और सिर को गर्म कपड़ों से ढककर ही भेजें।
ठंड के मौसम में बच्चों की विशेष देखभाल बेहद जरूरी है। नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध सबसे सुरक्षित और पौष्टिक आहार है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
डॉ एके द्विवेदी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
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जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल की ओपीडी में प्रतिदिन करीब 200 से अधिक बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। इसी तरह सीएचसी में 50 और पीएचसी पर भी सामान्य दिनों की तुलना में कहीं अधिक संख्या में बच्चे परामर्श के लिए आ रहे हैं। इनमें बड़ी संख्या उन बच्चों की है, जो निमोनिया से पीड़ित पाए जा रहे हैं। इसके अलावा सर्दी, जुकाम, खांसी, बुखार, सांस लेने में परेशानी और वायरल संक्रमण के मामलों में भी लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है। कई बच्चों की हालत गंभीर होने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कर इलाज करना पड़ रहा है।
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बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रंजन मिश्रा ने बताया कि ठंड के मौसम में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। खासकर नवजात शिशु और पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चे ठंड के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। सुबह और शाम के समय चलने वाली ठंडी हवाएं, कोहरा और अचानक तापमान में गिरावट बच्चों को जल्दी बीमार कर देती है। यदि शुरुआती सर्दी-जुकाम का समय पर इलाज न हो, तो यही समस्या आगे चलकर निमोनिया का रूप ले सकती है, जो बच्चों के लिए जानलेवा भी साबित हो सकती है। किसी बच्चे में तेज सांस चलना, सीने में घरघराहट, लगातार बुखार, दूध या खाना न पीना, अत्यधिक सुस्ती, उल्टी-दस्त या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत नजदीकी चिकित्सक या अस्पताल से संपर्क करना चाहिए।
शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. शारिक नवाज ने बताया कि सिर, कान और पैरों को विशेष रूप से ढककर रखें व टोपी और जुराब का अनिवार्य रूप से उपयोग करें। उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों को गुनगुना पानी पिलाएं और ठंडी चीजें खाने-पीने से बचाएं। स्कूल भेजते समय बच्चों के कान, हाथ और सिर को गर्म कपड़ों से ढककर ही भेजें।
ठंड के मौसम में बच्चों की विशेष देखभाल बेहद जरूरी है। नवजात शिशुओं के लिए मां का दूध सबसे सुरक्षित और पौष्टिक आहार है, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
डॉ एके द्विवेदी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
