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Mahoba News: मुख्यमंत्री तक पहुंचा करोड़ों के फसल बीमा घोटाले का मामला
संवाद न्यूज एजेंसी, महोबा
Updated Thu, 13 Nov 2025 12:16 AM IST
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महोबा। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में हुए करोड़ों के घोटाले का मामला अब प्रदेश के मुखिया तक पहुंच गया है। जय जवान जय किसान यूनियन ने राजधानी लखनऊ पहुंच मुख्यमंत्री दरबार में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने मामले की सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने की मांग की।
बताया कि इस मामले में दर्ज हुई विभिन्न एफआईआर के बाद पुलिस ने केवल 14 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया है लेकिन बीमा कंपनी के प्रबंधक समेत कई बड़े बीमा माफिया अब भी भागे हुए है। जिले में खरीफ सीजन 2024 में प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर करीब 40 करोड़ का घोटाला हुआ।
घोटालेबाजों ने किसानों की निजी जमीन पर खुद को बटाईदार बताकर तो कहीं नदी, नाले, तालाब, पहाड़, बंजर भूमि, चकमार्ग, वन आदि सरकारी जमीनों में फसल की बोआई दिखाकर बीमा कराया। इसके बाद बीमा कंपनी के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी भुगतान करा लिया। कई लोगों की मिलीभगत से यहां पर करोड़ों रुपये का घोटाला हो गया।
वास्तविक किसानों को जब उनके नाम पर फसल बीमा कराके दावा का भुगतान प्राप्त करने की जानकारी हुई तो किसान संगठन आगे आए। काफी दिनों तक किए गए धरना-प्रदर्शनों के बीच उप कृषि निदेशक रामसजीवन ने शहर कोतवाली ने बीमा कंपनी के प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत कई अज्ञात पर रिपोर्ट दर्ज कराई। घोटाले में फर्जीवाड़ा गिरोह के सदस्यों के साथ बीमा कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका थी लेकिन राजस्वकर्मियों ने स्वयं ही मामलों में रिपोर्ट दर्ज करानी शुरू कर दी।
इस तरह से जिले के पनवाड़ी, चरखारी, अजनर, कुलपहाड़ कोतवाली में अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गईं। मामलों में 26 नामजद और कई अज्ञात लोगों को शामिल बताया गया। इन मामलों में पुलिस 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है लेकिन इस घोटाले में शामिल बड़े माफियाओं की गिरफ्तारी नहीं हो रही है।
इसी मामले को लेकर जय जवान जय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह राजपूत ने लखनऊ पहुंच मुख्यमंत्री दरबार में शिकायत दर्ज कराई।
आरोप लगाया कि महोबा जिले में वन विभाग की लगभग 900 बीघा भूमि और राजस्व विभाग के अंतर्गत सैकड़ों गांवों की सरकारी भूमि का बीमा कराकर अनुचित रूप से क्लेम प्राप्त करने वाले बीमा माफिया अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं। इसलिए किसान यूनियन ने एसडीएम महोबा, जिलाधिकारी, कमिश्ननर, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, प्रभारी मंत्री राकेश कुमार राठौर, उत्पादन आयुक्त को मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर चुके हैं।
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बताया कि इस मामले में दर्ज हुई विभिन्न एफआईआर के बाद पुलिस ने केवल 14 आरोपियों को ही गिरफ्तार किया है लेकिन बीमा कंपनी के प्रबंधक समेत कई बड़े बीमा माफिया अब भी भागे हुए है। जिले में खरीफ सीजन 2024 में प्रधानमंत्री फसल बीमा के नाम पर करीब 40 करोड़ का घोटाला हुआ।
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घोटालेबाजों ने किसानों की निजी जमीन पर खुद को बटाईदार बताकर तो कहीं नदी, नाले, तालाब, पहाड़, बंजर भूमि, चकमार्ग, वन आदि सरकारी जमीनों में फसल की बोआई दिखाकर बीमा कराया। इसके बाद बीमा कंपनी के अधिकारियों, कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी भुगतान करा लिया। कई लोगों की मिलीभगत से यहां पर करोड़ों रुपये का घोटाला हो गया।
वास्तविक किसानों को जब उनके नाम पर फसल बीमा कराके दावा का भुगतान प्राप्त करने की जानकारी हुई तो किसान संगठन आगे आए। काफी दिनों तक किए गए धरना-प्रदर्शनों के बीच उप कृषि निदेशक रामसजीवन ने शहर कोतवाली ने बीमा कंपनी के प्रबंधक निखिल चतुर्वेदी समेत कई अज्ञात पर रिपोर्ट दर्ज कराई। घोटाले में फर्जीवाड़ा गिरोह के सदस्यों के साथ बीमा कंपनी के अधिकारियों-कर्मचारियों और राजस्व विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका थी लेकिन राजस्वकर्मियों ने स्वयं ही मामलों में रिपोर्ट दर्ज करानी शुरू कर दी।
इस तरह से जिले के पनवाड़ी, चरखारी, अजनर, कुलपहाड़ कोतवाली में अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गईं। मामलों में 26 नामजद और कई अज्ञात लोगों को शामिल बताया गया। इन मामलों में पुलिस 14 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है लेकिन इस घोटाले में शामिल बड़े माफियाओं की गिरफ्तारी नहीं हो रही है।
इसी मामले को लेकर जय जवान जय किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष गुलाब सिंह राजपूत ने लखनऊ पहुंच मुख्यमंत्री दरबार में शिकायत दर्ज कराई।
आरोप लगाया कि महोबा जिले में वन विभाग की लगभग 900 बीघा भूमि और राजस्व विभाग के अंतर्गत सैकड़ों गांवों की सरकारी भूमि का बीमा कराकर अनुचित रूप से क्लेम प्राप्त करने वाले बीमा माफिया अब भी कानून की गिरफ्त से बाहर हैं। इसलिए किसान यूनियन ने एसडीएम महोबा, जिलाधिकारी, कमिश्ननर, कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, प्रभारी मंत्री राकेश कुमार राठौर, उत्पादन आयुक्त को मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग कर चुके हैं।