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Mahoba News: लाखों खर्च फिर भी 50 हजार बच्चे कुपोषण का शिकार
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हमीरपुर। जनपद में कुपोषण को दूर करने के लिए हर माह लाखों रुपये खर्च हो रहे हैं। जागरूकता कार्यक्रम भी चलाए जा रहे और पौष्टिक आहार भी बांटा गया। बावजूद इसके कुपोषण के मामले कम होने का नाम नहीं ले रहे। जनवरी से अक्तूबर तक 50 हजार बच्चे कुपोषित चिहिन्त हुए है। इसमें उपचार कराने वाले सिर्फ 137 है। यह आंकड़े योजना की गंभीरता पर सवाल खड़े कर रहे है।
आंगनबाड़ी केंद्र से लेकर सरकारी अस्पताल तक कुपोषण को दूर करने के लिए योजनाएं संचालित हो रही हैं। वर्ष 2025 के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी में 4,174 बच्चे कुपोषित थे जबकि अतिकुपोषित बच्चों की संख्या 596 थी। फरवरी में यह संख्या बढ़ गई। कुपोषित मामले 4,274 सामने आए तो अतिकुपोषित 680 हो गए। सबसे अधिक मामले जून व जुलाई माह में आए।
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पोषण केंद्र पर वर्ष 2025 जनवरी में 12 बच्चे भर्ती हुए इसमें एक को रेफर किया गया था। फरवरी में आठ बच्चे भर्ती हुए। मार्च में 10, अप्रैल में 16, मई में 17, जून में 19, जुलाई में 14, अगस्त में 06, सितंबर में 20, अक्तूबर में नौ और नवंबर में अब तक छह बच्चे भर्ती हुए है। विभागीय भाषा में पोषण केंद्र पर भर्ती होने वाले बच्चों को सेम की श्रेणी में रखा जाता है। पूरे जिले में ऐसे बच्चों की संख्या 600 से अधिक है। खास बात यह है कि 11 माह में सिर्फ 137 बच्चों को ही पोषण केंद्र में भर्ती कराया गया। आखिर अन्य बच्चों ने कहां उपचार लिया, क्या वह बच्चे घर पर ही स्वस्थ हो गए। इसका आंकड़ा विभाग के पास नहीं है।
कुपोषित और अतिकुपोषित बच्चों को चिन्हित किया जाता है। आंगनबाड़ी स्तर पर उन्हें पौष्टिक आहार दिया जाता है। पोषण केंद्र पर ज्यादातर सेम श्रेणी के बच्चे ही भर्ती होते हैं।
-इंद्रपाल सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी
डीपीओ हमीरपुर