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UP: श्रीबांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट विधेयक...नए कानून से ये होगा बदलाव, सेवायतों में शुरू हुईं चर्चाएं
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Mon, 22 Dec 2025 09:08 PM IST
सार
प्रमुख सचिव विधानसभा ने इस सदन में जानकारी दी कि राज्यपाल की अनुमति के बाद श्री बांकेबिहारीजी मंदिर न्यास विधेयक 2025 इस वर्ष का चाैथा अधिनियम बन गया है। इस घोषणा के बाद वृंदावन में सरगर्मी शुरू हो गई हैं।
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ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में दर्शन करते श्रद्धालु।
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विस्तार
श्रीबांकेबिहारी मंदिर न्यास विधेयक-2025 को राज्यपाल की स्वीकृति मिलने के बाद मंदिर के कुशल प्रबंधन के लिए टीम तैयार हो गई है। इसका अब कानून बनकर तैयार हो गया है। पिछले दिनों विधानसभा और विधानपरिषद में अध्यादेश बिल पास होने के बाद अब राज्यपाल ने भी उसे मंजूरी दे दी है। इससे एक बार फिर वृंदावन में सरगर्मी शुरू हो गई है।
सरकार का मानना है कि मंदिर न्यास से श्रद्धालुओं की सुविधाओं में सुधार, संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और व्यवस्था संचालन में स्पष्टता आएगी। न्यास से किसी को परेशानी नहीं होगी। मंदिर की सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा। उधर सोमवार को प्रमुख सचिव विधानसभा ने इस बाबत सदन में जानकारी दी कि राज्यपाल की अनुमति के बाद श्री बांकेबिहारीजी मंदिर न्यास विधेयक 2025 इस वर्ष का चाैथा अधिनियम बन गया है।
अध्यादेश के विरोध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट गए थे सेवायत
श्रीबांकेबिहारी मंदिर अध्यादेश के विरोध में मंदिर के अलग-अलग सेवायत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट गए थे। 6 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट में न्यायमित्र ने कहा कि सरकार मंदिर को अपने कब्जे में करना चाह रही है। वह पीछे के दरवाजे से आ रही है। मंदिर हरिदासजी के वशंजों की निजी संपत्ति है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 8.8.2025 को कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंदिर प्रबंधन के लिए एक हाईपावर्ड कमेटी का गठन किया था, जिसका अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को बनाया गया। अब सेवायतों में फिर से चर्चाएं शुरू हो गईं हैं।
नए कानून में क्या है?
नए कानून में स्पष्ट है कि श्रीबांकेबिहारी मंदिर में समस्त चढ़ावा, दान और चल-अचल संपत्तियां न्यास (ट्रस्ट) के अधिकार क्षेत्र में होंगी। इसमें मंदिर में विराजमान विग्रह, मंदिर परिसर और परिक्रमा क्षेत्र में देवताओं को अर्पित सभी प्रकार की भेंट, नकद या वस्तु रूप में दिया गया दान, पूजा-पाठ, उत्सव, धार्मिक अनुष्ठान के लिए दी गई संपत्ति और डाक या तार के माध्यम से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक भी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त मंदिर से संबंधित आभूषण, अनुदान, सहयोग राशि, हुंडी से प्राप्त धन और अन्य सभी संपत्तियों को मंदिर की संपत्ति माना जाएगा।
कैसा होगा न्यास
न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे, जिनमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य शामिल रहेंगे। मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपराओं और पीठों से जुड़े तीन प्रतिष्ठित संत-विद्वान, सनातन धर्म की परंपराओं से जुड़े तीन प्रतिनिधि, सनातन धर्म की किसी भी शाखा से तीन सम्मानित व्यक्ति तथा गोस्वामी परंपरा से स्वामी हरिदासजी के वंशज दो सदस्य होंगे। इनमें एक राज-भोग और दूसरा शयन-भोग सेवा का प्रतिनिधित्व करेगा। मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे और उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। पदेन सदस्यों में मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि शामिल होंगे। यदि कोई पदेन अधिकारी सनातन धर्म को न मानने वाला हुआ तो उसके स्थान पर कनिष्ठ अधिकारी को सदस्य बनाया जाएगा।
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सरकार का मानना है कि मंदिर न्यास से श्रद्धालुओं की सुविधाओं में सुधार, संसाधनों के बेहतर प्रबंधन और व्यवस्था संचालन में स्पष्टता आएगी। न्यास से किसी को परेशानी नहीं होगी। मंदिर की सदियों पुरानी धार्मिक परंपराओं और आस्थाओं को पूरी तरह सुरक्षित रखा जाएगा। उधर सोमवार को प्रमुख सचिव विधानसभा ने इस बाबत सदन में जानकारी दी कि राज्यपाल की अनुमति के बाद श्री बांकेबिहारीजी मंदिर न्यास विधेयक 2025 इस वर्ष का चाैथा अधिनियम बन गया है।
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अध्यादेश के विरोध में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट गए थे सेवायत
श्रीबांकेबिहारी मंदिर अध्यादेश के विरोध में मंदिर के अलग-अलग सेवायत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट गए थे। 6 अगस्त 2025 को हाईकोर्ट में न्यायमित्र ने कहा कि सरकार मंदिर को अपने कब्जे में करना चाह रही है। वह पीछे के दरवाजे से आ रही है। मंदिर हरिदासजी के वशंजों की निजी संपत्ति है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 8.8.2025 को कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मंदिर प्रबंधन के लिए एक हाईपावर्ड कमेटी का गठन किया था, जिसका अध्यक्ष हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज को बनाया गया। अब सेवायतों में फिर से चर्चाएं शुरू हो गईं हैं।
नए कानून में क्या है?
नए कानून में स्पष्ट है कि श्रीबांकेबिहारी मंदिर में समस्त चढ़ावा, दान और चल-अचल संपत्तियां न्यास (ट्रस्ट) के अधिकार क्षेत्र में होंगी। इसमें मंदिर में विराजमान विग्रह, मंदिर परिसर और परिक्रमा क्षेत्र में देवताओं को अर्पित सभी प्रकार की भेंट, नकद या वस्तु रूप में दिया गया दान, पूजा-पाठ, उत्सव, धार्मिक अनुष्ठान के लिए दी गई संपत्ति और डाक या तार के माध्यम से भेजे गए बैंक ड्राफ्ट और चेक भी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त मंदिर से संबंधित आभूषण, अनुदान, सहयोग राशि, हुंडी से प्राप्त धन और अन्य सभी संपत्तियों को मंदिर की संपत्ति माना जाएगा।
कैसा होगा न्यास
न्यास में कुल 18 सदस्य होंगे, जिनमें 11 मनोनीत और 7 पदेन सदस्य शामिल रहेंगे। मनोनीत सदस्यों में वैष्णव परंपराओं और पीठों से जुड़े तीन प्रतिष्ठित संत-विद्वान, सनातन धर्म की परंपराओं से जुड़े तीन प्रतिनिधि, सनातन धर्म की किसी भी शाखा से तीन सम्मानित व्यक्ति तथा गोस्वामी परंपरा से स्वामी हरिदासजी के वंशज दो सदस्य होंगे। इनमें एक राज-भोग और दूसरा शयन-भोग सेवा का प्रतिनिधित्व करेगा। मनोनीत सदस्य सनातनी हिंदू होंगे और उनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा। पदेन सदस्यों में मथुरा के जिलाधिकारी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, नगर निगम आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ क्षेत्र विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, बांकेबिहारी मंदिर ट्रस्ट के सीईओ और राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि शामिल होंगे। यदि कोई पदेन अधिकारी सनातन धर्म को न मानने वाला हुआ तो उसके स्थान पर कनिष्ठ अधिकारी को सदस्य बनाया जाएगा।
