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बांकेबिहारी के श्रद्धालु ध्यान दें: रुला रहा वृंदावन का जाम, 12 Km की दूरी, लग रहे 40 मिनट...ऐसे पहुंचे मंदिर
संवाद न्यूज एजेंसी, मथुरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Wed, 05 Nov 2025 01:58 PM IST
सार
मथुरा से वृंदावन सिर्फ 12 किलोमीटर है, लेकिन यहां आने में 40 मिनट का समय लगता है। ये हालात तीन स्थानों पर लगने वाले जाम की वजह से हैं।
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मथुरा। ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर
- फोटो : mathura
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विस्तार
कार्तिक मास में ठा. श्रीबांके बिहारी के दर्शन के लिए हर दिन लाखों श्रृद्धालु आ रहे हैं। अधिकाश श्रद्धालुओं का आना मथुरा की ओर से ही होता है। जिन्हें यहां तक पहुंचने में 40 मिनट का समय लग रहा है, जबकि मथुरा से वृंदावन की दूरी सिर्फ 12 किलोमीटर ही है। इस रास्ते में तीन जगहों पर लगने वाला जाम इसकी मुख्य वजह है।
मथुरा से वृंदावन आने पर पहले श्री पागल बाबा मंदिर और लूटेरिया हनुमानजी का मंदिर है। यहीं से पहला जाम शुरू हो जाता है। इसे आमतौर पर मांट तिराहा भी कहा जाता है। यहां सुबह से ही तीन से चार सौ मीटर तक लंबा जाम लग जाता है। इस तिराहे पर तैनात पुलिस कर्मी बसों, चार पहिया और तीन पहिया वाहनों को भीतर नहीं आने देते हैं। मांट रोड पर टीएफसी के सामने ही बड़ी पार्किंग की व्यवस्था की गई है। इसके बाद लगभग एक किलोमीटर के बाद परिक्रमा मार्ग पर भी जाम लगा रहता है।
इसके बाद कुछ ही दूरी पर अटल्ला चुंगी पर जाम लगा मिलता है। अंदर तीन पहिया और चार पहिया वाहनों को नहीं आने दिया जाता। सिर्फ ई बसों को प्रवेश दिया जाता है। यह पूरा रास्ता 12 किलोमीटर का है, जिसे पूरा करने में अभी 40 से अधिक मिनट का समय लग रहा है। इस जाम से सबसे अधिक फायदा ई रिक्शा चालकों को होता है। वे ठा. श्रीबांकेबिहारी मंदिर तक जाने के लिए सवारियों से 30 से 40 रुपये तक वसूलते हैं।
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मथुरा से वृंदावन आने पर पहले श्री पागल बाबा मंदिर और लूटेरिया हनुमानजी का मंदिर है। यहीं से पहला जाम शुरू हो जाता है। इसे आमतौर पर मांट तिराहा भी कहा जाता है। यहां सुबह से ही तीन से चार सौ मीटर तक लंबा जाम लग जाता है। इस तिराहे पर तैनात पुलिस कर्मी बसों, चार पहिया और तीन पहिया वाहनों को भीतर नहीं आने देते हैं। मांट रोड पर टीएफसी के सामने ही बड़ी पार्किंग की व्यवस्था की गई है। इसके बाद लगभग एक किलोमीटर के बाद परिक्रमा मार्ग पर भी जाम लगा रहता है।
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इसके बाद कुछ ही दूरी पर अटल्ला चुंगी पर जाम लगा मिलता है। अंदर तीन पहिया और चार पहिया वाहनों को नहीं आने दिया जाता। सिर्फ ई बसों को प्रवेश दिया जाता है। यह पूरा रास्ता 12 किलोमीटर का है, जिसे पूरा करने में अभी 40 से अधिक मिनट का समय लग रहा है। इस जाम से सबसे अधिक फायदा ई रिक्शा चालकों को होता है। वे ठा. श्रीबांकेबिहारी मंदिर तक जाने के लिए सवारियों से 30 से 40 रुपये तक वसूलते हैं।