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जहां शरद पूर्णिमा की रात भगवान कृष्ण ने रसाया था रास
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वृंदावन (मथुरा)। क्रीड़ा स्थली वृंदावन के कण-कण में कन्हैया का वास है, लेकिन रास रचैया भगवान कृष्ण का वंशीवट तो ऐसा दिव्य स्थल है, जिसकी तुलना करना मानव के लिए मुश्किल है। यह वही वंशीवट है, जहां श्रीकृष्ण ने द्वापर युग में शरद पूर्णिमा की रात राधारानी और उनकी सखियों के संग महारास रचाया था। यहां पेड़ों की शाखाओं पर बैठकर श्रीकृष्ण वंशी बजाकर गोपियों को रिझाते थे, इसलिए इस वट का नाम वंशीवट हो गया। अब भी यहां दधिलता और वट का प्राचीन वृक्ष है, जो अपनी प्राचीनता का दर्शन करा रहा है।
आचार्य श्यामदत्त चतुर्वेदी ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु भी नित्य वंशीवट आकर कृष्ण भक्ति में लीन हो जाते थे। उनके शिष्य गदाधर पंडित के शिष्य मधु पंडित ने भी वंशीवट की सेवा की थी। इससे प्रसन्न होकर राधा गोपीनाथ महाराज ने उनको दर्शन दिए। श्री कृष्णदास कविराज गोस्वामी विरचित चैतन्य चरितामृत ग्रंथ में महाप्रभु वर्ष 1515 में कार्तिक पूर्णिमा के दिन वृंदावन में सबसे पहले अक्रूरघाट पर आए थे।
अक्रूर घाट क्षेत्र में तकरीबन दो माह निवास और हरिनाम संकीर्तन करने के दौरान वे अक्रूर से नित्य रासस्थली वंशीवट के दर्शन करने आते थे। एक दिन रासस्थली के दर्शन करते समय वह अचेतन में पहुंच गए। रासलीला के भाव दर्शन करने वाले चैतन्य महाप्रभु सात दिन और सात रात एक ही स्थान पर और एक ही मुद्रा में खड़े रहे।
महादेव बने थे गोपी
भगवान शिव भी महारास का दर्शन करना चाहते थे। गोपियों ने भगवान शिव को रोक दिया। बाद में गोपीरूप में महादेव रास में शामिल हुए। इसी लिए वंशीवट के पास की उनका भी दिव्य गोपेश्वर महादेव मंदिर है।
शरद पूर्णिमा पर वंशी धारण करेंगे श्रीबांकेबिहारी महाराज
वृंदावन (मथुरा)। शरद पूर्णिमा पर जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी महाराज मोर मुकुट और कटि काछिनी के साथ वंशी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। ठाकुरजी सोने-चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे। इस दौरान मंदिर के पट खुलने के समय में बदलाव किया गया है।
मंदिर प्रशासन ने इस बार एक-एक घंटे प्रात:कालीन सेवा और सायंकालीन सेवा में समय बढ़ाया गया है। इस दिन भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन के लिए दो घंटे का समय अधिक मिलेगा। 20 अक्तूबर शरद पूर्णिमा के दिन राजभोग और शयन भोग सेवा में एक-एक घंटे मंदिर के पट खुलने का समय बढ़ाया गया है। दिन में दो घंटे अधिक मंदिर खुलने के कारण आरती के समय में भी परिवर्तन होगा। शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर में राजभोग आरती 11:55 के स्थान पर 12:55 बजे होगी और रात में होने वाली शयनभोग आरती रात 9:25 के स्थान पर 10:25 बजे की जाएगी। शरद पूर्णिमा पर अधिक संख्या में आने वाले भक्तों को लेकर दर्शनों के समय को बढ़ाया गया है। संवाद
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अक्रूर घाट क्षेत्र में तकरीबन दो माह निवास और हरिनाम संकीर्तन करने के दौरान वे अक्रूर से नित्य रासस्थली वंशीवट के दर्शन करने आते थे। एक दिन रासस्थली के दर्शन करते समय वह अचेतन में पहुंच गए। रासलीला के भाव दर्शन करने वाले चैतन्य महाप्रभु सात दिन और सात रात एक ही स्थान पर और एक ही मुद्रा में खड़े रहे।
महादेव बने थे गोपी
भगवान शिव भी महारास का दर्शन करना चाहते थे। गोपियों ने भगवान शिव को रोक दिया। बाद में गोपीरूप में महादेव रास में शामिल हुए। इसी लिए वंशीवट के पास की उनका भी दिव्य गोपेश्वर महादेव मंदिर है।
शरद पूर्णिमा पर वंशी धारण करेंगे श्रीबांकेबिहारी महाराज
वृंदावन (मथुरा)। शरद पूर्णिमा पर जन-जन के आराध्य ठाकुर श्रीबांकेबिहारी महाराज मोर मुकुट और कटि काछिनी के साथ वंशी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। ठाकुरजी सोने-चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे। इस दौरान मंदिर के पट खुलने के समय में बदलाव किया गया है।
मंदिर प्रशासन ने इस बार एक-एक घंटे प्रात:कालीन सेवा और सायंकालीन सेवा में समय बढ़ाया गया है। इस दिन भक्तों को अपने आराध्य के दर्शन के लिए दो घंटे का समय अधिक मिलेगा। 20 अक्तूबर शरद पूर्णिमा के दिन राजभोग और शयन भोग सेवा में एक-एक घंटे मंदिर के पट खुलने का समय बढ़ाया गया है। दिन में दो घंटे अधिक मंदिर खुलने के कारण आरती के समय में भी परिवर्तन होगा। शरद पूर्णिमा के दिन दोपहर में राजभोग आरती 11:55 के स्थान पर 12:55 बजे होगी और रात में होने वाली शयनभोग आरती रात 9:25 के स्थान पर 10:25 बजे की जाएगी। शरद पूर्णिमा पर अधिक संख्या में आने वाले भक्तों को लेकर दर्शनों के समय को बढ़ाया गया है। संवाद