Meerut News: गंगाजल की सप्लाई बढ़ाने से गिरते भूगर्भ जल पर लगेगी रोक, बैठक में हुई चर्चा
मेरठ कमिश्नरी सभागार में आगामी गर्मी को देखते हुए शुक्रवार को कमिश्नर हृषिकेश भास्कर यशोद की अध्यक्षता में नगर निगम और मेरठ सिटीजन फोरम की बैठक हुई।
विस्तार
मेरठ कमिश्नरी सभागार में आगामी गर्मी को देखते हुए शुक्रवार को कमिश्नर हृषिकेश भास्कर यशोद की अध्यक्षता में नगर निगम और मेरठ सिटीजन फोरम की बैठक हुई। जिसमें गंगाजल की सप्लाई बढ़ाने पर जोर दिया, ताकि गिरते भूगर्भ जल पर रोक लग सके। भोलाझाल स्थित गंगनहर से मेरठ शहर में 2.50 लाख लोगों के घर गंगाजल पहुंच रहा है। जहां गंगाजल की सप्लाई है, वहां पर सबमर्सिबल लगाने से बचें।
कमिश्नर की बैठक में भोलाझाल स्थित जल शोधन संयंत्र में व्याप्त खामियों, नगर निगम क्षेत्र के खडौली, रोशनपुर डौरली, नंगलाताशी, काशी अच्छरौंडा में डूडा द्वारा खराब पेयजल पाइप को 15 वें वित्त आयोग के अन्तर्गत बदलने पर आदि समस्या पर चर्चा की गयी। निगम क्षेत्र में स्थापित 160 तालाबों को अतिक्रमण से मुक्त करने तथा निगम के क्षेत्र में गिरते हुए भूगर्भ जल को रोकने पर चर्चा हुई। बताया गया कि जहां-जहां पर शहर में गंगाजल की सप्लाई होती है, वहां सबमर्सिबल न लगाने से बचें। अभी शहर में कुल 2.50 लाख की आबादी को गंगाजल मिल रहा है।
शहर में अधिकांश लोगों को गंगाजल उपलब्ध कराया जाना चाहिए। बैठक में नगर आयुक्त सौरभ गंगवार, अपर नगर आयुक्त पंकज कुमार, जलकल के सहायक अभियंता लक्ष्मण सिंह, जल निगम के अधिशासी अभियंता मोहित वर्मा, सहायक अभियंता राजेन्द्र अग्रवाल, भाजपा नेता हर्ष गोयल, सिटी फोरम दिनेश सिंघल, रामपाल वर्मा, जागेश कुमार, दीपक सक्सेना, अरविंद रस्तोगी, कार्यकारी सचिव सुधांशु तिवारी आदि उपस्थित रहे।
इन बिंदु पर हुई चर्चा
भोला की झाल स्थित गंगनहर पर 100 एमएलडी का प्लांट लगाया हुआ है। जहां से गंगाजल शहर में सप्लाई होता है। गंगाजल प्लांट के रखरखाव, रिसाइकलिंग की तीन मोटर खराब हैं। अत्याधिक पानी व्यर्थ जा रहा है। मिक्सर गियर बॉक्स और बेरिंगस लुबरीकेशन भी नहीं किया जा रहा है। प्री-क्लोरीनेटर के दोनों पम्प खराब है। क्लोरीनेटर के बाद प्री-क्लोरीनेटर पंप चल रहा है। शोधित जल की पंपिंग के लिए लगे तीन पंप में से सिर्फ एक पम्प चल रहा है। स्लज निकालने में समस्या है। 100 एमएलडी से कुल 50 एमएलडी जल ही उपयोग में आ है।
सात साल से पहले रोशनपुर डौरली का अवर जलाशय अनुपयोगी है। खडौली का अवर जलाशय भी गत वर्ष से ही उपयोग में आया फोरम द्वारा यह विषय वर्ष 2020 में प्रकाशित अपनी सोशल ऑडिट रिपोर्ट में भी उठाया गया था। इन अवर जलाशयों के निर्माण पर किया गया व्यय अभी भी अनुपयोगी है। काशी और नंगलाताशी सहित इन चारो स्थानों जल वितरण प्रणाली डूडा द्वारा बिछाई गई थी। जल संयोजन होते ही पाइप लाइन फट जाती है।