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Mirzapur News: तीन दिन में 62 सेमी घटा गांगा का जलस्तर
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अनिरुद्ध पुर पूरब पट्टी माजरा जाने वाले मार्ग पर फैला कीचड़।-संवाद।
- फोटो : mathura
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गंगा में घटाव का क्रम तेज हो गया है। अब दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से पानी नीचे जा रहा है। तीन दिनों के बीच गंगा का जलस्तर घटकर शनिवार की शाम चार बजे तक 76.020 मीटर नीचे आ गया है।
बावजूद इसके अब भी कई प्रमुख मार्गो पर पानी भरा होने से आवागमन पूरी तरह से ठप है। 11 सितंबर, बृहस्पतिवार को दोपहर बाद से एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा में घटाव शुरु हुआ था।
इस बीच तीन दिनों में जलस्तर 76.640 मीटर से घटकर 76.020 मीटर पहुंच गया। बाढ़ से भले ही लोगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन तटवर्ती क्षेत्रों में अब जगह-जगह लगे पानी व रास्तों पर फैले कीचड़ से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।
चेतगंज, कोन ब्लाक क्षेत्र में गंगा के तटवर्ती गांवों में हरसिंहपुर और मल्लेपुर में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है गंगा का पानी घटने के बाद अब आवागमन के प्रमुख रास्तो व घर के सामने कीचड़ फैला हुआ है।
हरसिंहपुर से गंगा घाट को जाने वाला मार्ग कीचड़ से सना हुआ है। विशेष तौर पर बच्चों को स्कूल आने जाने में कठिनाई हो रही है। इसी तरह अनिरुद्धपुर पूरब पट्टी से माजरा जाने में ग्रामीणों को दिक्कत उठानी पड़ रही है।
पखवइया से बरम बाबा रोड कीचड़ से सना हुआ है। जिगना, छानबे क्षेत्र में गंगानदी में आई बाढ़ से कर्णावती नदी उफान पर रहा। शनिवार को भी अकोढ़ी बबुरा मार्ग पर रेलवे पुल के नीचे अब भी पानी भरा हुआ है।
जिससे भटेवरा, डेरवा, विजयपुर मार्ग, अरगीसरपत्ती, बरुआ, महुआरी खुर्द, मार्ग पर आवागमन बंद है। बाढ़ से क्षेत्र में हजारों एकड़ फसल डूब कर पहले ही बर्बाद हो गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को राहत को कौन कहे अभी तक दवाओं का भी छिड़काव नहीं शुरु हुआ है जिससे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ा हुआ है।
दिनभर धूप-छांव से बढ़ी रही उमस, दोपहर बाद बदला मौसम
24 घंटे से अधिकतम और न्यूनतम तापमान 33 और 27 डिग्री पर स्थिर है। सुबह से धूप और छांव के खेल के बीच लोग उमस भरी गर्मी से बेहाल रहे। उमस इस कदर की पंखे जैसे काम न कर रहे। चुनचुनाती बदन के बीच लोग पसीने से सराबोर रहे।
शनिवार को शाम होते-होते मौसम का मिजाज बदलने के साथ बादल भी छाए रहे लेकिन बारिश नहीं होने से लोग मायूस हुए। बारिश की उम्मीद में किसान आसमान की तरफ टकटकी लगाए रहे।
शनिवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। शुक्रवार को भी अधिकतम और न्यूनतम तापमान यही रहा। मौसम में बदलाव से धान की फसलों लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है।
पानी के अभाव में वैकल्पिक व्यवस्थाओं के सहारे सिंचाई के बावजूद धान फसलें सूखकर ऐंठ रही हैं। धूप के चलते फसलों में झ़ुलसा रोग का प्रकोप बढ़ गया है।
मौसम पूर्वानुमान के आधार पर ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, भू भौतिकी विभाग बीएचयू वाराणसी के मौसम वैज्ञानिक शिव मंगल सिंह ने बताया बादलों की आवाजाही बनीं रहेगी।
जिसके फलस्वरुप कहीं-कहीं गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। हवा की गति भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिक ने कहा अभी फिलहाल तीन चार दिनों तक भारी बारिश का अनुमान नहीं है।

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बावजूद इसके अब भी कई प्रमुख मार्गो पर पानी भरा होने से आवागमन पूरी तरह से ठप है। 11 सितंबर, बृहस्पतिवार को दोपहर बाद से एक सेंटीमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गंगा में घटाव शुरु हुआ था।
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इस बीच तीन दिनों में जलस्तर 76.640 मीटर से घटकर 76.020 मीटर पहुंच गया। बाढ़ से भले ही लोगों ने राहत की सांस ली है। लेकिन तटवर्ती क्षेत्रों में अब जगह-जगह लगे पानी व रास्तों पर फैले कीचड़ से ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ी हुई हैं।
चेतगंज, कोन ब्लाक क्षेत्र में गंगा के तटवर्ती गांवों में हरसिंहपुर और मल्लेपुर में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है गंगा का पानी घटने के बाद अब आवागमन के प्रमुख रास्तो व घर के सामने कीचड़ फैला हुआ है।
हरसिंहपुर से गंगा घाट को जाने वाला मार्ग कीचड़ से सना हुआ है। विशेष तौर पर बच्चों को स्कूल आने जाने में कठिनाई हो रही है। इसी तरह अनिरुद्धपुर पूरब पट्टी से माजरा जाने में ग्रामीणों को दिक्कत उठानी पड़ रही है।
पखवइया से बरम बाबा रोड कीचड़ से सना हुआ है। जिगना, छानबे क्षेत्र में गंगानदी में आई बाढ़ से कर्णावती नदी उफान पर रहा। शनिवार को भी अकोढ़ी बबुरा मार्ग पर रेलवे पुल के नीचे अब भी पानी भरा हुआ है।
जिससे भटेवरा, डेरवा, विजयपुर मार्ग, अरगीसरपत्ती, बरुआ, महुआरी खुर्द, मार्ग पर आवागमन बंद है। बाढ़ से क्षेत्र में हजारों एकड़ फसल डूब कर पहले ही बर्बाद हो गई है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में किसानों को राहत को कौन कहे अभी तक दवाओं का भी छिड़काव नहीं शुरु हुआ है जिससे संक्रामक रोग फैलने का खतरा बढ़ा हुआ है।
दिनभर धूप-छांव से बढ़ी रही उमस, दोपहर बाद बदला मौसम
24 घंटे से अधिकतम और न्यूनतम तापमान 33 और 27 डिग्री पर स्थिर है। सुबह से धूप और छांव के खेल के बीच लोग उमस भरी गर्मी से बेहाल रहे। उमस इस कदर की पंखे जैसे काम न कर रहे। चुनचुनाती बदन के बीच लोग पसीने से सराबोर रहे।
शनिवार को शाम होते-होते मौसम का मिजाज बदलने के साथ बादल भी छाए रहे लेकिन बारिश नहीं होने से लोग मायूस हुए। बारिश की उम्मीद में किसान आसमान की तरफ टकटकी लगाए रहे।
शनिवार को अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 27 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। शुक्रवार को भी अधिकतम और न्यूनतम तापमान यही रहा। मौसम में बदलाव से धान की फसलों लेकर किसानों की चिंता बढ़ गई है।
पानी के अभाव में वैकल्पिक व्यवस्थाओं के सहारे सिंचाई के बावजूद धान फसलें सूखकर ऐंठ रही हैं। धूप के चलते फसलों में झ़ुलसा रोग का प्रकोप बढ़ गया है।
मौसम पूर्वानुमान के आधार पर ग्रामीण कृषि मौसम सेवा, भू भौतिकी विभाग बीएचयू वाराणसी के मौसम वैज्ञानिक शिव मंगल सिंह ने बताया बादलों की आवाजाही बनीं रहेगी।
जिसके फलस्वरुप कहीं-कहीं गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। हवा की गति भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। मौसम वैज्ञानिक ने कहा अभी फिलहाल तीन चार दिनों तक भारी बारिश का अनुमान नहीं है।