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Mirzapur News: 9 में 6 मशीन बंद, 3 लूम के सहारे चल रहा कंबल कारखाना
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पथरहिया रोड स्थित कंबल कारखाना में धूल से पटी मशीनें।-संवाद।
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मिर्जापुर। प्रशासन की अनदेखी के चलते पथरहिया रोड स्थित कंबल कारखाना फिर से अव्यवस्थाओं की मार झेल रहा है। कहने के लिए कारखाना में नौ लूम लगे हुए हैं। जिनमें छह मशीनें बंद हैं सिर्फ तीन मशीनों पर कंबल बुनाई का कार्य चल रहा है।
उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की तरफ से लगाए गए कंबल कारखाना में ऊनी धागा न मिलने से कामगार भी घर बैठ गए हैं। मंगलवार को हुई पड़ताल में मौजूद दो, तीन बुनकरों ने बताया कारखाना में गिनेचुने दिनों के लिए धागा बचा है। हाल यही रहा तो उन्हें भी घर बैठना पड़ सकता है। पथरहिया स्थित कंबल कारखाना से मिर्जापुर के अलावा सोनभद्र और भदोही जिले को कंबल सप्लाई किया जाता है। शासन-प्रशासन की तरफ से ध्यान नहीं दिए जाने से यहां तैयार कंबल भी स्टॉक में फंसे रहते हैं। ठंड शुरू हो गया है। कंबल न तो प्रशासन पूछ रहा है और ना ही स्वयं सेवी संगठन ही पूछ रहे। जबकि जिले में प्रतिवर्ष राहत के नाम पर जिले के चारों तहसीलों में सैकड़ों की संख्या में कंबल बांटे जाते हैं। आखिर कंबल कहां से खरीदे जाते हैं यह लोगों की समझ में नहीं आ रहा है। कंबल कारखाना की बदलहाल को लेकर बुद्धजीवियों में भी चिंता है। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ही ठंड में गरीबों के लिए कंबल खरीद ले तो शायद इसके दिन बहुर सकते हैं। साथ ही जिले के बुनकरों को रोजगार मिल सकता है।
कारखाना में मिलिंग, वाशिंग व रेजिंग का कार्य किया जाता है
मिर्जापुर। पथरहिया रोड स्थित उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की तरफ से स्थापित कंबल कारखानाा में बुनाई के साथ ही मिलिंग, वाशिंग व रेजिंग का कार्य किया जाता है। यहां पर कंबल उत्पादन केंद्र जौनपुर, अदिलाबाद गाजीपुर, कंबल उत्पादन केंद्र खजनी गोरखपुर के अलावा टिकरमाफी अमेठी से कंबल आते हैं। मिलिंग, वाशिंग व रेजिंग का कार्य होने के बाद संबंधित जिले व संस्थाओं को सप्लाई की जाती है।
अव्यवस्था के चलते कंबल कारखाना बदहाली का दंश झेल रहा है। नियमिति संचालित न होने से कारखाना में लाखों की मशीनें धूल खा रही हैं। यदि इसका संचालन हो तो बुनकरों को रोजी रोटी के लिए न भटकना पड़े।
-योगेंद्र प्रसाद शर्मा।
बुनकरों के लिए सरकार व्यवस्थाएं तो करती है। लेकिन मॉनिटरिंग न करने से लोगों की योजनाएं धरातल पर उतरने से पहले दम तोड़ देती हैं। यदि सुचारु रुप से कंबल कारखाना संचालित हो तो गांव व क्षेत्र के बुनकरों को लाभ मिले।
-कल्याण अग्रहरि।
कारखाना में स्थापित मशीनें शो पीस बनीं हुई हैं। किसी प्राइवेट एजेंसी को सौंप दियाा जाए तो कंबल तैयार होने के साथ ही दरी और कालीन की बुनाई तक की जा सकती है जिससे कईयों को रोजगार मिल सकता है।
-नरेश सिंह।
ऊनी धागा उत्पादन केंद्र प्रयागराज से मंगाया जाता है। डिमांड के बावजूद नियमित धागा नहीं मिल रहा है। यदि प्रति माह 20 क्विंंटल धागा उपलब्ध हो जाए तो कम से कम 12000 कंबल तैयार किया जा सकता है। धागा के चलते समस्या हो रही है। इसके लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा गया है।
-महेश जायसवाल व्यवस्थापक, कंबल कारखाना।
कारखाना में पिछले साल का बुना काफी संख्या में कंबल पड़ा हुआ है। बिक्री होने के बाद ही बुनाई कराई जाएगी। यदि ज्यादा बुनकर रख दिया गया तो कीड़े आदि लगने का डर बना रहता है।
-अमितेश कुमार सिंह, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी।
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उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की तरफ से लगाए गए कंबल कारखाना में ऊनी धागा न मिलने से कामगार भी घर बैठ गए हैं। मंगलवार को हुई पड़ताल में मौजूद दो, तीन बुनकरों ने बताया कारखाना में गिनेचुने दिनों के लिए धागा बचा है। हाल यही रहा तो उन्हें भी घर बैठना पड़ सकता है। पथरहिया स्थित कंबल कारखाना से मिर्जापुर के अलावा सोनभद्र और भदोही जिले को कंबल सप्लाई किया जाता है। शासन-प्रशासन की तरफ से ध्यान नहीं दिए जाने से यहां तैयार कंबल भी स्टॉक में फंसे रहते हैं। ठंड शुरू हो गया है। कंबल न तो प्रशासन पूछ रहा है और ना ही स्वयं सेवी संगठन ही पूछ रहे। जबकि जिले में प्रतिवर्ष राहत के नाम पर जिले के चारों तहसीलों में सैकड़ों की संख्या में कंबल बांटे जाते हैं। आखिर कंबल कहां से खरीदे जाते हैं यह लोगों की समझ में नहीं आ रहा है। कंबल कारखाना की बदलहाल को लेकर बुद्धजीवियों में भी चिंता है। लोगों का कहना है कि यदि प्रशासन ही ठंड में गरीबों के लिए कंबल खरीद ले तो शायद इसके दिन बहुर सकते हैं। साथ ही जिले के बुनकरों को रोजगार मिल सकता है।
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कारखाना में मिलिंग, वाशिंग व रेजिंग का कार्य किया जाता है
मिर्जापुर। पथरहिया रोड स्थित उत्तर प्रदेश खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड की तरफ से स्थापित कंबल कारखानाा में बुनाई के साथ ही मिलिंग, वाशिंग व रेजिंग का कार्य किया जाता है। यहां पर कंबल उत्पादन केंद्र जौनपुर, अदिलाबाद गाजीपुर, कंबल उत्पादन केंद्र खजनी गोरखपुर के अलावा टिकरमाफी अमेठी से कंबल आते हैं। मिलिंग, वाशिंग व रेजिंग का कार्य होने के बाद संबंधित जिले व संस्थाओं को सप्लाई की जाती है।
अव्यवस्था के चलते कंबल कारखाना बदहाली का दंश झेल रहा है। नियमिति संचालित न होने से कारखाना में लाखों की मशीनें धूल खा रही हैं। यदि इसका संचालन हो तो बुनकरों को रोजी रोटी के लिए न भटकना पड़े।
-योगेंद्र प्रसाद शर्मा।
बुनकरों के लिए सरकार व्यवस्थाएं तो करती है। लेकिन मॉनिटरिंग न करने से लोगों की योजनाएं धरातल पर उतरने से पहले दम तोड़ देती हैं। यदि सुचारु रुप से कंबल कारखाना संचालित हो तो गांव व क्षेत्र के बुनकरों को लाभ मिले।
-कल्याण अग्रहरि।
कारखाना में स्थापित मशीनें शो पीस बनीं हुई हैं। किसी प्राइवेट एजेंसी को सौंप दियाा जाए तो कंबल तैयार होने के साथ ही दरी और कालीन की बुनाई तक की जा सकती है जिससे कईयों को रोजगार मिल सकता है।
-नरेश सिंह।
ऊनी धागा उत्पादन केंद्र प्रयागराज से मंगाया जाता है। डिमांड के बावजूद नियमित धागा नहीं मिल रहा है। यदि प्रति माह 20 क्विंंटल धागा उपलब्ध हो जाए तो कम से कम 12000 कंबल तैयार किया जा सकता है। धागा के चलते समस्या हो रही है। इसके लिए संबंधित विभाग को पत्र भेजा गया है।
-महेश जायसवाल व्यवस्थापक, कंबल कारखाना।
कारखाना में पिछले साल का बुना काफी संख्या में कंबल पड़ा हुआ है। बिक्री होने के बाद ही बुनाई कराई जाएगी। यदि ज्यादा बुनकर रख दिया गया तो कीड़े आदि लगने का डर बना रहता है।
-अमितेश कुमार सिंह, जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी।