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Muzaffarnagar News: कण-कण में चौधरी साहब की यादें और बातें

Meerut Bureau मेरठ ब्यूरो
Updated Tue, 23 Dec 2025 01:51 AM IST
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Memories and stories of Chaudhary Saheb in every particle
वर्ष 1967 में मुजफ्फरनगर के जनता इंटर कालेज में तत्कालीन मुख्यमंत्री भारत रत्न चौधरी चरण सिंह ए
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मुजफ्फरनगर। पूर्व प्रधानमंत्री किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह किसानों की अंतरआत्मा में बसे हुए हैं। भारत रत्न की यादें और बातें भुलाए नहीं भूलतीं। किस्से कभी खत्म नहीं होते। राजनीति के जरिये सिर्फ किसानों का कल्याण ही नहीं किया, बल्कि सामाजिक जागरुकता के प्रणेता भी रहे।
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उनकी कर्मभूमि भले ही छपरौली रही हो लेकिन मुजफ्फरनगर से गहरा नाता रहा। गांव-गरीब से उनका जुड़ाव अनूठा था। उन्होंने बीकेडी का गठन यहीं से किया। मुख्यमंत्री रहते मुजफ्फरनगर रेलवे लाइन के पास डॉ. भीमराव आंबेडकर छात्रावास में समाज कल्याण से बजट दिया था।
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वर्ष 1967 में चौधरी साहब सूबे के मुख्यमंत्री बने तो शिक्षा ऋषि स्वामी कल्याण देव ने जिले में पधारने का निमंत्रण भेज दिया। 11 दिसंबर को बतौर मुख्यमंत्री वह जनता इंटर काॅलेज भोपा आए। उन्होंने कऍलेज में साइंस ब्लॉक का शिलान्यास किया था। 23 मार्च 1981 को दूसरी बार भोपा आए और कॉलेज में प्रशासनिक भवन का उद्घाटन किया था।

अनुसूचित जाति के भजनोपदेशक नंदराम को सादगी और सरलता का उन पर गहरा प्रभाव पड़ा। तब सुरक्षित सीट चरथावल से 1974 और 1977 में टिकट देकर विधायक बनवा दिया। नंदराम के लिए बड़े चौधरी ने खुद वोट मांगे। यही नहीं दोनोंं बार उनके समर्थकों ने चुनाव का पूरा खर्चा वहन किया। नंदराम के घर ही भोजन किया।
पूर्व मंत्री धर्मवीर बालियान बताते हैं कि राजनीति में ऐसी शख्सियत दूसरी नहीं हुई। उच्च कोटि के शिक्षित और विद्वान हमेशा आमजन की समस्याओं का चिंतन करते थे। इमानदारी उन्हें पसंद थी, खुद बुलाकर टिकट देने के कितने ही किस्से हैं। गांव और गरीब के युवाओं को विधानसभा तक पहुंचाया।

रालोद के लंबे समय तक जिलाध्यक्ष रहे श्रीराम तोमर कहते हैं कि हम सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें नजदीक से देखने, सुनने और उनका अनुसरण करने का मौका मिला।
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शुकतीर्थ में महक रही चौधरी साहब की चिट्ठियां
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मुजफ्फरनगर। भारत रत्न चौधरी चरण सिंह की चिट्ठियों में उनके सिद्धांत, आदर्श और दायित्वों की निष्ठा दिखती है। शुकतीर्थ धाम के श्री शुकदेव आश्रम संग्रहालय में पूर्व प्रधानमंत्री की ओर से शिक्षा ऋषि वीतराग स्वामी कल्याणदेव महाराज को लिखे पत्रों में ग्रामोत्थान के लिए उनका दर्द महसूस होता है।
आजादी के बाद ग्रामीण अंचल में अशिक्षा का अंधियारा मिटाने को समर्पित वीतराग स्वामी कल्याणदेव की निष्काम सेवा से किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह भी बड़े प्रभावित थे। गांवों की उन्नति के लिए वे शिक्षा को अमूल्य मानते थे। राजनीति में व्यस्तता के बावजूद चौधरी साहब संत विभूति के पत्रों का जवाब भेजना नहीं भूलते थे।

31 जुलाई, 1976 को धरती पुत्र चौधरी चरण सिंह ने नेता विरोधी दल रहते मुजफ्फरनगर गांधी पॉलिटेक्निक के पते पर शिक्षा ऋषि को विस्तृत चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने पत्र में लिखा- श्रद्धेय स्वामी जी, जिस पार्टी का किसानों, मजदूरों और गरीबों से कोई वास्ता नहीं है, उससे मिलकर हम नहीं चल सकते है। इस खत में तब की राजनीतिक परिस्थितियों को लेकर चौधरी साहब ने बहुत स्पष्ट तरीके से अपने विचारों को संत विभूति से साझा किया था।
देश के गृह मंत्री का दायित्व निभाते वक्त 14 जून, 1977 को चौधरी साहब ने वीतराग संत को खत भेजा था। श्री शुकदेव आश्रम पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज बताते है कि चौधरी साहब की चिट्ठियां उनकी वैचारिक दृढ़ता और ईमानदार सद्चरित्र का प्रतीक है।
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