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नक्सली हमले के बाद एम्स में जिंदगी के लिए जंग 

अमर उजाला ब्यूरो/ मुजफ्फरनगर Updated Thu, 01 Sep 2016 12:50 AM IST
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Naxal attack
नक्सली हमले में घायल सिपाही। - फोटो : अमर उजाला
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छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में जिले के गांव रुमालपुरी का सीआरपीएफ का जवान सचिन जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहा है। दिल्ली के एम्स में गंभीर हालत में भर्ती जवान की देखरेख में हो रही बेरुखी पर परिजन मर्माहत हैं। 26 अगस्त को सर्च आपरेशन के दौरान माइन फटने से सचिन के दोनों पैर उड़ गए थे। 
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मीरापुर थाना क्षेत्र के गांव रुमालपुरी के किसान भूषण सिंह का बेटा सचिन सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन में छत्तीसगढ़ के सुकमा में तैनात है। साढ़े तीन साल पहले उसकी तैनाती नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई थी। 26 अगस्त को सर्च आपरेशन के दौरान नक्सलियों से मुठभेड़ में माईन फट गई, जिसमें सचिन के दोनों पैर उड़ गए थे। गंभीर रूप से घायल जवान को सेना के चापर हेलीकॉप्टर से रायपुर में भर्ती कराया गया।
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तत्काल आपरेशन के बावजूद उसकी हालत में सुधार नहीं हुआ। बाद में उसे दिल्ली के एम्स में इलाज के लिए भेजा गया। शरीर में इन्फेक्शन को रोकने के लिए डॉक्टरों ने सचिन का पैर ऊपर से काट दिया है, लेकिन अभी तक उसकी जिंदगी खतरे से बाहर नहीं है। सीआरपीएफ की 144वी बटालियन में श्रीनगर में तैनात भाई अंकित ने बताया कि सर्च आपरेशन में एक माईन को नष्ट करने के बाद जैसे ही जवान आगे बढ़े, दूसरी माईन फट गई।

विस्फोट में सचिन समेत तीन जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। रायपुर में ऑपरेशन के बाद सेना के डॉक्टरों ने हालत गंभीर बताई तो उसे 29 अगस्त को एम्स लाया गया। शरीर का संक्रमण रोकने के लिए जवान का दूसरा पैर भी काटे जाने की तैयारी है। जिंदगी और मौत से जूझते बेटे की हालत से रुमालपुरी गांव में परिजन बेहाल हैं। पिता भूषण सिंह ने रोते हुए बताया कि सचिन की हालत बेहद नाजुक है।

अफसोस की बात है कि सीआरपीएफ के अफसर उनकी कोई मदद नहीं कर रहे। रायपुर में दो दिन तक बेटा तड़पता रहा, मगर किसी ने नहीं सुनी। जिसकी वजह से शरीर में जहर फैलता गया। अब भगवान ही बेटे को जिंदगी दे सकता है। एम्स में भर्ती कराने के बाद कोई अधिकारी अस्पताल में नहीं आया। उन्होंने देशसेवा के लिए गर्व से दोनों बेटों को सीआरपीएफ में भेजा था। 

ढाई साल के बेटे को पापा का इंतजार
खादर के गांव कासमपुर खोला के मजरे रुमालपुरी में सचिन के ढाई साल के बेटे को अपने पिता का इंतजार है। जब से यह खबर मिली है, गांव में नाते-रिश्तेदारों का जमावड़ा है। वर्ष 2011 में सचिन सीआरपीएफ में भर्ती हुआ था। दो साल बाद ही उसकी शादी हो गई थी। पत्नी के अलावा परिवार में एक बेटा है। 
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