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पीलीभीत: यूं ही बढ़ता रहा तापमान तो कम हो जाएगी गेहूं की पैदावार
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पीलीभीत। फरवरी के पहले सप्ताह के बाद अचानक बदले मौसम से लोगों को ठंड से राहत तो मिली है लेकिन इसका प्रभाव गेहूं की फसल पर भी पड़ा है। दिन के तापमान में यदि इसी तरह से 15 फरवरी तक बढ़ोतरी होती रही तो समय से पहले ही गेहूं की फसल पक जाएगी। इससे पैदावार व गेहूं की गुणवत्ता पर खासा असर पड़ेगा। इसको लेकर किसान चिंतित हैं।
फरवरी पहले सप्ताह तक मौसम काफी ठंडा रहा। सुबह देर तक और शाम होते ही कोहरा छा जाने से ठंड का प्रभाव रहा, यह वातावरण गेहूं के लिए काफी फायदेमंद था। अचानक मौसम में बदलाव आया। तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई। ऐसे में फरवरी में ही तापमान 25 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया। मौसम में बदलाव का गेहूं की फसल पर भी प्रभाव पड़ने लगा। गेहूं की बढ़वार जहां की तहां रुक गई।
इस समय गेहूं की फसल में बाली आना शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसी तरह से तापमान में वृद्धि होती रही तो फसल को पर्याप्त नमी नहीं मिल पाएगी, समय से पहले ही गेहूं सूख जाएगा। इससे दाना जल्द सूखने के साथ ही सूख कर छोटा भी हो सकता है। मौसम में बदलाव से पैदावार पर खासा प्रभाव पड़ेगा।
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कृषि वैज्ञानिक ने कहा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस ढाका ने बताया कि एकाएक मौसम में बदलाव आ गया है। अमूमन फरवरी माह के पहले सप्ताह में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना अच्छे संकेत नहीं हैं। लगातार इतनी जल्दी तापमान बढ़ता रहा तो गेहूं की फसल पर प्रभाव पड़ेगा। पिछेती बुआई का गेहूं समय से पहले ही पक जाएगा। इसके दाने में ज्यादा ताकत नहीं होगी, साथ ही पैदावार कम होगी। यही रफ्तार रही तो 15 फरवरी तक तापमान बढ़कर 28 और 29 डिग्री तक पहुंच जाएगा। इससे गेहूं की फसल समय से पहले सूख जाएगी। इसका असर पैैदावार पर पड़ेगा। जब पौध बढ़ना बंद हो जाती है तब गेहूं का दाना पकना शुरू होता है। तापमान के अभी स्थिर रहने की जरूरत है।
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किसानों ने कहा
फरवरी के पहले सप्ताह के बाद तापमान में बढ़ोतरी होने से गेहूं को नुकसान होगा। पिछेती बुआई की फसल में पैदावार कम हो जाएगी। इस समय सामान्यता अधिकतम तापमान 20 से 21 डिग्री होना चाहिए।
- रिषीपाल सिंह, पिपरिया
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गेहूं की फसल 20 फरवरी के बाद पकनी शुरू होती है। उस समय तापमान उसके अनुकूल होता है। इस समय का तापमान फरवरी अंतिम सप्ताह की भांति हो रहा है। ऐसे में फसल में पानी भी नहीं लगाया जा सकता।
- विश्राम सिंह, पिपरिया
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अभी गेहूं की स्थिति पकने योग्य नहीं है। मार्च अंतिम सप्ताह से कटाई शुरू होती है। फरवरी के अंत से गेहूं पकना शुरू होता है। मौजूदा तापमान फसल को नुकसान दे सकता है। बढ़ता तापमान चिंता का कारण है।
- राम विनोद शुक्ला, जोगराजपुर
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इस समय गेहूं की फसल में बाली आना शुरू हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसी तरह से तापमान में वृद्धि होती रही तो फसल को पर्याप्त नमी नहीं मिल पाएगी, समय से पहले ही गेहूं सूख जाएगा। इससे दाना जल्द सूखने के साथ ही सूख कर छोटा भी हो सकता है। मौसम में बदलाव से पैदावार पर खासा प्रभाव पड़ेगा।
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कृषि वैज्ञानिक ने कहा
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस ढाका ने बताया कि एकाएक मौसम में बदलाव आ गया है। अमूमन फरवरी माह के पहले सप्ताह में तापमान 25 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचना अच्छे संकेत नहीं हैं। लगातार इतनी जल्दी तापमान बढ़ता रहा तो गेहूं की फसल पर प्रभाव पड़ेगा। पिछेती बुआई का गेहूं समय से पहले ही पक जाएगा। इसके दाने में ज्यादा ताकत नहीं होगी, साथ ही पैदावार कम होगी। यही रफ्तार रही तो 15 फरवरी तक तापमान बढ़कर 28 और 29 डिग्री तक पहुंच जाएगा। इससे गेहूं की फसल समय से पहले सूख जाएगी। इसका असर पैैदावार पर पड़ेगा। जब पौध बढ़ना बंद हो जाती है तब गेहूं का दाना पकना शुरू होता है। तापमान के अभी स्थिर रहने की जरूरत है।
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किसानों ने कहा
फरवरी के पहले सप्ताह के बाद तापमान में बढ़ोतरी होने से गेहूं को नुकसान होगा। पिछेती बुआई की फसल में पैदावार कम हो जाएगी। इस समय सामान्यता अधिकतम तापमान 20 से 21 डिग्री होना चाहिए।
- रिषीपाल सिंह, पिपरिया
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गेहूं की फसल 20 फरवरी के बाद पकनी शुरू होती है। उस समय तापमान उसके अनुकूल होता है। इस समय का तापमान फरवरी अंतिम सप्ताह की भांति हो रहा है। ऐसे में फसल में पानी भी नहीं लगाया जा सकता।
- विश्राम सिंह, पिपरिया
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अभी गेहूं की स्थिति पकने योग्य नहीं है। मार्च अंतिम सप्ताह से कटाई शुरू होती है। फरवरी के अंत से गेहूं पकना शुरू होता है। मौजूदा तापमान फसल को नुकसान दे सकता है। बढ़ता तापमान चिंता का कारण है।
- राम विनोद शुक्ला, जोगराजपुर