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पीलीभीत: किसानों को तापमान के साथ माहू की भी चिंता
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फोटो- 10 खेत में लगी सरसो की फसल। संवाद
- फोटो : PILIBHIT
पीलीभीत। फरवरी में बढ़ रहे तापमान से गेहूं की पैदावार प्रभावित होने से परेशान किसान माहू कीट के प्रकोप को लेकर भी चिंतित हैं। इस समय गेहूं के साथ ही सरसों में कीट का प्रकोप बढ़ा है। यह कीट फरवरी तक फसलों को प्रभावित करता है।
इस समय गेहूं, तिलहन के साथ सरसों की फसल उगाई जाती है। फसलों में कई प्रकार के कीट व रोग इनकी वृद्धि, फूल या फल बनने की प्रक्रिया को बाधित करने का कार्य करते हैं।
फसलों की बढ़वार के समय इनकी पत्तियों में बहुत अधिक मात्रा में रस भरा होता है। रसों को चूसने के लिए माहू कीट लग जाता है। यह कीट गेहूं, सरसों के साथ ही अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाता है।
कृषि विभाग के अनुसार गेहूं की फसल में माहू कीट का प्रकोप बढ़वार की अवस्था में देखा जाता है। यह कीट हल्के काले रंग का होता है, शाम के समय हल्का अंधेरा होने पर काफी तेजी से उड़ता है।
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ऐसे करें बचाव
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस ढाका ने माहू कीट से फसल को बचाने के लिए किसानों को कई सलाह दी हैं। वह कहते हैं कि माहू कीट तापमान बढ़ने पर पत्ती, डंठल, तने और बालियों से रस चूसता है। जिसकी वजह से पौधा पीला पड़ता है और पैदावार घट जाती है। इससे बचाव के लिए थियामेथोक्सम दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। यदि कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो डायमेथोएट नामक कीटनाशक की एक लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव किया जा सकता है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे गेहूं की फसल में यूरिया का अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करें।
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इस समय गेहूं, तिलहन के साथ सरसों की फसल उगाई जाती है। फसलों में कई प्रकार के कीट व रोग इनकी वृद्धि, फूल या फल बनने की प्रक्रिया को बाधित करने का कार्य करते हैं।
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फसलों की बढ़वार के समय इनकी पत्तियों में बहुत अधिक मात्रा में रस भरा होता है। रसों को चूसने के लिए माहू कीट लग जाता है। यह कीट गेहूं, सरसों के साथ ही अन्य फसलों को नुकसान पहुंचाता है।
कृषि विभाग के अनुसार गेहूं की फसल में माहू कीट का प्रकोप बढ़वार की अवस्था में देखा जाता है। यह कीट हल्के काले रंग का होता है, शाम के समय हल्का अंधेरा होने पर काफी तेजी से उड़ता है।
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ऐसे करें बचाव
कृषि वैज्ञानिक डॉ. एसएस ढाका ने माहू कीट से फसल को बचाने के लिए किसानों को कई सलाह दी हैं। वह कहते हैं कि माहू कीट तापमान बढ़ने पर पत्ती, डंठल, तने और बालियों से रस चूसता है। जिसकी वजह से पौधा पीला पड़ता है और पैदावार घट जाती है। इससे बचाव के लिए थियामेथोक्सम दवा को 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। यदि कीट का प्रकोप ज्यादा हो तो डायमेथोएट नामक कीटनाशक की एक लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर छिड़काव किया जा सकता है। उन्होंने किसानों को सलाह दी कि वे गेहूं की फसल में यूरिया का अधिक मात्रा में प्रयोग नहीं करें।