{"_id":"6952c524bc34b3a5500027f2","slug":"work-will-be-done-by-the-wwf-pilibhit-news-c-121-1-lkh1003-150810-2025-12-29","type":"story","status":"publish","title_hn":"Pilibhit News: हाथियों की चहलकदमी वाले गांवों और रूट को चिह्नित करेगा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}
Pilibhit News: हाथियों की चहलकदमी वाले गांवों और रूट को चिह्नित करेगा डब्ल्यूडब्ल्यूएफ
संवाद न्यूज एजेंसी, पीलीभीत
Updated Mon, 29 Dec 2025 11:45 PM IST
विज्ञापन
विज्ञापन
पीलीभीत। भारत नेपाल सीमा से सटे पीलीभीत टाइगर रिजर्व क्षेत्र में नेपाली हाथियों की बढ़ती सक्रियता को देखते हुए अब विशेष कार्ययोजना बनाई जा रही है। डब्ल्यूडब्ल्यूएफ (वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड) बाघों के साथ-साथ हाथियों के आवागमन वाले संवेदनशील गांवों और रूट को चिह्नित करेगा ताकि मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम किया जा सके।
नेपाल की खुली सीमा होने के चलते नेपाली हाथियों का पीलीभीत की सीमा में आने का सिलसिला दशकों पुराना है लेकिन प्राकृतिक कॉरिडोर नष्ट होने से हाथी अब भटकने लगे हैं। इस साल हाथियों की अधिक सक्रियता देखी गई। इसी को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने एक विस्तृत खाका तैयार किया है। इसके तहत पीटीआर की अनुमति और सहयोग से दुधवा टाइगर रिजर्व सहित देश के अन्य विशेषज्ञों को बुलाकर ग्रामीणों से संवाद कराया जाएगा। ग्रामीणों की शंकाओं, आशंकाओं और अनुभवों पर खुलकर चर्चा की जाएगी।
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि खासतौर पर लग्गा-भग्गा क्षेत्र, पांच रेंज और वन एवं वन्यजीव प्रभाग के इलाकों का आकलन किया जा रहा है। जिन रूटों से हाथियों का नियमित आवागमन होता है, उन्हें कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा।
ग्रामीणों को यह भी बताया जाएगा कि हाथियों के गांव में पहुंचने पर क्या सावधानी बरतनी है, खुद को कैसे सुरक्षित रखना है और बिना नुकसान पहुंचाए हाथियों को सुरक्षित मार्ग की ओर कैसे मोड़ा जा सकता है। कार्ययोजना अंतिम चरण में है जिससे जनहानि और संसाधनों के नुकसान को रोका जा सके। संवाद
Trending Videos
नेपाल की खुली सीमा होने के चलते नेपाली हाथियों का पीलीभीत की सीमा में आने का सिलसिला दशकों पुराना है लेकिन प्राकृतिक कॉरिडोर नष्ट होने से हाथी अब भटकने लगे हैं। इस साल हाथियों की अधिक सक्रियता देखी गई। इसी को ध्यान में रखते हुए डब्ल्यूडब्ल्यूएफ ने एक विस्तृत खाका तैयार किया है। इसके तहत पीटीआर की अनुमति और सहयोग से दुधवा टाइगर रिजर्व सहित देश के अन्य विशेषज्ञों को बुलाकर ग्रामीणों से संवाद कराया जाएगा। ग्रामीणों की शंकाओं, आशंकाओं और अनुभवों पर खुलकर चर्चा की जाएगी।
विज्ञापन
विज्ञापन
डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के परियोजना अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि खासतौर पर लग्गा-भग्गा क्षेत्र, पांच रेंज और वन एवं वन्यजीव प्रभाग के इलाकों का आकलन किया जा रहा है। जिन रूटों से हाथियों का नियमित आवागमन होता है, उन्हें कार्ययोजना में शामिल किया जाएगा।
ग्रामीणों को यह भी बताया जाएगा कि हाथियों के गांव में पहुंचने पर क्या सावधानी बरतनी है, खुद को कैसे सुरक्षित रखना है और बिना नुकसान पहुंचाए हाथियों को सुरक्षित मार्ग की ओर कैसे मोड़ा जा सकता है। कार्ययोजना अंतिम चरण में है जिससे जनहानि और संसाधनों के नुकसान को रोका जा सके। संवाद
