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अबतक 34 फीसदी को ही लगी दूसरी डोज
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vaccine
कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन के खौफ के बीच जिले में वैक्सीनेशन अभी लक्ष्य से कोसों दूर है। कोविड 19 के संक्रमण से लोगों को सुरक्षित करने के लिए 31 दिसंबर तक टीकाकरण पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। लेकिन जिस गति से टीका अभियान चल रहा है, उससे इस बात की उम्मीद करना बेमानी होगी कि यह अभियान समय से पूरा हो पाएगा। हालत यह है कि जिले में अब तक 34 फीसदी लोगों को ही कोराना वैक्सीन की दोनों डोज लगाई जा सकी है। सरकारी, गैर सरकारी संगठनों के पसीना बहाने और धर्मगुरुओं के साथ बैठक करने के बाद भी तमाम लोग टीका लगवाने से कतरा रहे हैं।
कोविड पोर्टल पर जारी आंकड़ों के अनुसार जिले के 24 लाख 50 हजार लोगों को दिसंबर के अंत तक कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन का दोनों डोज लगाया जाना है। लेकिन इस वर्ष मार्च माह से शुरू हुए टीकाकरण अभियान में अब तक 8 लाख 13,984 लोगों को पहली व दूसरी डोज लगाई जा सकी है। तमाम कोशिशों के बाद भी इस अभियान के पिछड़ने की कई वजह बताई जा रही है।
इनमें सबसे बड़ी वजह यह है कि पहली और दूसरी डोज के अंतराल में बार-बार परिवर्तन किए जाना। चिकित्सकों के अनुसार पहली खुराक के बाद दूसरी के बीच चार सप्ताह का अंतर रखा गया था। इसके बाद छह सप्ताह फिर आठ सप्ताह और 12 सप्ताह कर दिया गया है। इसको लेकर वैक्सीनेशन पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। तमाम कोशिशों और जागरूकता अभियान के बावजूद अब भी गांवों में टीका लगवाने के लिए बूथों पर जाने से हिचक रहे हैं।
गांव में कैंप लगाकर पहला टीका लगवाया, दूसरा भूल गया स्वास्थ्य विभाग
कोरोना टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभियान चलाकर गांव-गांव कोरोना टीकाकरण कराया जा रहा था। जिस गांव में पहली बार कैंप लगाकर टीका लगवा दिया है वहां पर दूसरी बार स्वास्थ्य विभाग की टीम जाना भूल गई। ऐसे में जिले के ज्यादातर लोग गांव में टीकाकरण कैंप के आयोजन का इंतजार कर रहे हैं।
मगर जिम्मेदार कैंप नहीं लगा रहे हैं। कागज पर सरकारी राशन की दुकानों को बूथ बनाया जा रहा है। जिसके चलते टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। जबकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि हर दिन 25 से 30 हजार लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।
कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है। पहली डोज लगवाने के बाद ज्यादातर लोग रोजी रोटी के सिलसिले से महानगर चले गए। उन्होंने महानगर में ही टीका लगवा लिए हैं। इसलिए पोर्टल पर संख्या कम दिखा रहा है। जिले के 80,917 ऐसे लोग हैं जो बूथ पर पहुंचकर टीका नहीं लगवा रहे हैं। ज्यादातर शिक्षक और कोटेदार के साथ लेखपाल व ग्राम प्रधान भी टीकाकरण में मदद नहीं कर रहे हैं। महेश सिंह, जिला प्रतिरक्षाधिकारी।
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कोविड पोर्टल पर जारी आंकड़ों के अनुसार जिले के 24 लाख 50 हजार लोगों को दिसंबर के अंत तक कोरोना को मात देने के लिए वैक्सीन का दोनों डोज लगाया जाना है। लेकिन इस वर्ष मार्च माह से शुरू हुए टीकाकरण अभियान में अब तक 8 लाख 13,984 लोगों को पहली व दूसरी डोज लगाई जा सकी है। तमाम कोशिशों के बाद भी इस अभियान के पिछड़ने की कई वजह बताई जा रही है।
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इनमें सबसे बड़ी वजह यह है कि पहली और दूसरी डोज के अंतराल में बार-बार परिवर्तन किए जाना। चिकित्सकों के अनुसार पहली खुराक के बाद दूसरी के बीच चार सप्ताह का अंतर रखा गया था। इसके बाद छह सप्ताह फिर आठ सप्ताह और 12 सप्ताह कर दिया गया है। इसको लेकर वैक्सीनेशन पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। तमाम कोशिशों और जागरूकता अभियान के बावजूद अब भी गांवों में टीका लगवाने के लिए बूथों पर जाने से हिचक रहे हैं।
गांव में कैंप लगाकर पहला टीका लगवाया, दूसरा भूल गया स्वास्थ्य विभाग
कोरोना टीकाकरण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से अभियान चलाकर गांव-गांव कोरोना टीकाकरण कराया जा रहा था। जिस गांव में पहली बार कैंप लगाकर टीका लगवा दिया है वहां पर दूसरी बार स्वास्थ्य विभाग की टीम जाना भूल गई। ऐसे में जिले के ज्यादातर लोग गांव में टीकाकरण कैंप के आयोजन का इंतजार कर रहे हैं।
मगर जिम्मेदार कैंप नहीं लगा रहे हैं। कागज पर सरकारी राशन की दुकानों को बूथ बनाया जा रहा है। जिसके चलते टीकाकरण की रफ्तार सुस्त पड़ गई है। जबकि स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि हर दिन 25 से 30 हजार लोगों का टीकाकरण किया जा रहा है।
कोरोना टीकाकरण अभियान चल रहा है। पहली डोज लगवाने के बाद ज्यादातर लोग रोजी रोटी के सिलसिले से महानगर चले गए। उन्होंने महानगर में ही टीका लगवा लिए हैं। इसलिए पोर्टल पर संख्या कम दिखा रहा है। जिले के 80,917 ऐसे लोग हैं जो बूथ पर पहुंचकर टीका नहीं लगवा रहे हैं। ज्यादातर शिक्षक और कोटेदार के साथ लेखपाल व ग्राम प्रधान भी टीकाकरण में मदद नहीं कर रहे हैं। महेश सिंह, जिला प्रतिरक्षाधिकारी।