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Raebareli News: धान खरीद की रफ्तार धीमी, किसान परेशान
संवाद न्यूज एजेंसी, रायबरेली
Updated Mon, 08 Dec 2025 01:43 AM IST
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गल्लामंडी स्थित खरीद केंद्र पर डंप धान।
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रायबरेली। किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने के लिए धान खरीद एक नवंबर से शुरू हो चुकी है। तेजी से धान भी खरीदा गया, लेकिन उठान की व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है। हाल ये है कि मंडियों से लेकर क्रय केंद्रों तक खुले में हजारों क्विंटल धान पड़ा हुआ है। धान उठान न होने के कारण खरीद सुस्त पड़ गई है। ऐसे में धान की तौल कराने के लिए किसान परेशान हो रहे हैं।
क्रय केंद्रों पर प्रभारी तौल के लिए जगह खाली होने का इंतजार कर रहे हैं। राइस मिल मालिकों के पास फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) न होने की वजह से उठान की समस्या आई है। धान खरीद के लिए जिले में इस बार 107 क्रय केंद्र खोले गए हैं। एक लाख 72 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य है। इसके सापेक्ष अब तक 38,058 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है। महज 4750 मीट्रिक टन धान का उठान हो सका है।
ऐसे में मंडी समिति रायबरेली और अन्य स्थानों पर खुले क्रय केंद्रों पर हर तरफ धान के चट्टे लगे हुए हैं। खुले आसमान के नीचे धान पड़ा है। अगर वर्षा हो गई तो बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। बताया जा रहा है कि एफआरके न होने की वजह से राइसमिल संचालक धान का उठान करने से किनारा कर रहे हैं।
इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। इसका असर धान खरीद पर पड़ने लगा है। कई किसान आढ़तियों के पास जाकर औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर हैं। समस्या नहीं सुधरी तो धान खरीद पूरी तरह से ठप हो जाएगी। विभागीय अधिकारी भी इसको लेकर बेखबर हैं।
क्या है एफआरके फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) वे छोटे दाने होते हैं, जो पोषण संबंधी कमियों को दूर करने के लिए विटामिन और खनिजों जैसे आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 से समृद्ध होते हैं। चावल के आटे में इन पोषक तत्वों के मिश्रण को मिलाकर और फिर चावल के दाने का आकार देकर और सुखाकर बनाया जाता है। इन दाने को फिर सामान्य चावल के साथ मिलाया जाता है, ताकि भोजन के साथ पोषण भी मिल सके। राइस मिलों में धान की कुटाई में एफआरके मिलाया जाता है।
धान खरीद व्यवस्था में सब कुछ ठीक चल रहा है। किसानों का समय से भुगतान कराया जा रहा है। एफआरके की वजह से धान उठान नहीं हो पा रही है। इसका असर धान खरीद पड़ रहा है। यह समस्या सिर्फ रायबरेली नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी जिलों में है। उच्चाधिकारियों को समस्या से अवगत करा दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द समस्या दूर हो जाएगी।
- सोनी गुप्ता, डिप्टी आरएमओ
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क्रय केंद्रों पर प्रभारी तौल के लिए जगह खाली होने का इंतजार कर रहे हैं। राइस मिल मालिकों के पास फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) न होने की वजह से उठान की समस्या आई है। धान खरीद के लिए जिले में इस बार 107 क्रय केंद्र खोले गए हैं। एक लाख 72 हजार मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य है। इसके सापेक्ष अब तक 38,058 मीट्रिक टन धान खरीदा गया है। महज 4750 मीट्रिक टन धान का उठान हो सका है।
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ऐसे में मंडी समिति रायबरेली और अन्य स्थानों पर खुले क्रय केंद्रों पर हर तरफ धान के चट्टे लगे हुए हैं। खुले आसमान के नीचे धान पड़ा है। अगर वर्षा हो गई तो बड़ी समस्या उत्पन्न हो सकती है। बताया जा रहा है कि एफआरके न होने की वजह से राइसमिल संचालक धान का उठान करने से किनारा कर रहे हैं।
इसका खामियाजा किसानों को उठाना पड़ रहा है। इसका असर धान खरीद पर पड़ने लगा है। कई किसान आढ़तियों के पास जाकर औने-पौने दाम में धान बेचने को मजबूर हैं। समस्या नहीं सुधरी तो धान खरीद पूरी तरह से ठप हो जाएगी। विभागीय अधिकारी भी इसको लेकर बेखबर हैं।
क्या है एफआरके फोर्टिफाइड राइस कर्नेल (एफआरके) वे छोटे दाने होते हैं, जो पोषण संबंधी कमियों को दूर करने के लिए विटामिन और खनिजों जैसे आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन बी-12 से समृद्ध होते हैं। चावल के आटे में इन पोषक तत्वों के मिश्रण को मिलाकर और फिर चावल के दाने का आकार देकर और सुखाकर बनाया जाता है। इन दाने को फिर सामान्य चावल के साथ मिलाया जाता है, ताकि भोजन के साथ पोषण भी मिल सके। राइस मिलों में धान की कुटाई में एफआरके मिलाया जाता है।
धान खरीद व्यवस्था में सब कुछ ठीक चल रहा है। किसानों का समय से भुगतान कराया जा रहा है। एफआरके की वजह से धान उठान नहीं हो पा रही है। इसका असर धान खरीद पड़ रहा है। यह समस्या सिर्फ रायबरेली नहीं, बल्कि प्रदेश के सभी जिलों में है। उच्चाधिकारियों को समस्या से अवगत करा दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द समस्या दूर हो जाएगी।
- सोनी गुप्ता, डिप्टी आरएमओ