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आजम का देश प्रेम: मुसलमान नहीं जिन्ना चाहते थे बंटवारा, फिर बोले- हम वजीर थे, हमने ही शराब की दुकान में चोरी की

अमर उजाला नेटवर्क, केमरी/बिलासपुर। Published by: प्रशांत कुमार Updated Mon, 20 Jun 2022 09:49 PM IST
सार

आजम खां ने अपने ऊपर हुए मुकदमों को लेकर कहा कि सरकार थी हमारी और हम वजीर थे और हमने ही शराब की दुकान में चोरी की। शर्म आनी चाहिए हिंदुस्तान को चलाने वालों, यहीं चुल्लू भर बेगैरती के पानी में डूबकर मर जाना चाहिए। 

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Rampur by election Samajwadi Party leader Azam Khan not Muslim Jinnah wanted Partition
आजम खां - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सपा नेता आजम खां ने कहा कि हिंदुस्तान का बंटवारा मिस्टर जिन्ना चाहते थे, मौलाना अबुल कलाम आजाद और देश के मुसलमान नहीं चाहते थे। देश के बंटवारे के लिए बापू को उन लोगों ने तैयार किया जो हिंदुस्तान की सबसे बड़ी गद्दी पर बैठे। साथ ही उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि अखंड भारत का नारा देने वाले औरंगजेब का हिंदुस्तान दें, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान से लेकर रंगून तक का हिस्सा था।

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आजम खां ने रविवार रात बिलासपुर क्षेत्र के केमरी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि  मौलाना अबुल कलाम आजाद पंडित नेहरू से भी अधिक समय जेल में रहे और हिंदुस्तान के बंटवारे के विरोधी रहे। देश के मुसलमान बंटवारा नहीं चाहते थे और उनकी सबसे बड़ी नुमाइंदगी मौलाना अबुल कलाम आजाद ने की थी।

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कहा कि बंटवारे की हिमायत करने वाले और पाकिस्तान बनाने वालों में मिस्टर जिन्ना थे। मगर हुआ क्या, जब देश के बंटवारे पर बापू ने सहमति दे दी तो एक इतिहासकार ने लिखा कि बापू तुम भी तैयार हो गए यानि किसी पर यकीन था कि कोई शख्स यदि बंटवारे के लिए तैयार नहीं होगा तो वो बापू होंगे लेकिन बापू को तैयार कराने वाले लोग कौन थे, जो हिंदुस्तान की सबसे बड़ी गद्दी पर बैठे। 

 

उन्होंने कहा कि बापू से हिंदू यह कहते हैं कि तुम मुसलमानों से डर गए। इतिहासकार लिखता है कि ये लम्हा वो था जब बापू वाकई डर गए और बापू ने डर कर ये फैसला लिया कि हिंदुस्तान बंटे। हम नहीं चाहते थे कि हिंदुस्तान बंटे और आज भी अगर हिंदुस्तान बंटा न होता तो पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान का कुछ हिस्सा और कुछ और हिस्सा रंगून तक हिंदुस्तान में था। अखंड हिंदुस्तान का नारा देने वालों वो हिंदुस्तान दो, जो औरंगजेब का था, गाली दो उसे कोई परवाह नहीं है। कोई हमदर्दी नहीं औरंगजेब से लेकिन, औरंगजेब का हिंदुस्तान तो वापस करो।

कहा, अगर वो हिंदुस्तान होता तो और वहां के मुसलमान हिंदुस्तान में होते तो क्या नकाब का सवाल उठ सकता था, क्या लव जिहाद के नाम पर लोगों के साथ नाइंसाफी हो सकती थी, क्या इबादतगाहों के साथ ये सलूक हो सकता था, लाउडस्पीकर का बहाना लेकर बेवजह सितम के पहाड़ तोड़े जा सकते थे। आज जो घृणा है, नफरत है, जो इंसानों बीच मजहब और जाति की जो घृणा है ऐसा नहीं होता। क्योंकि दोनों हाथ मजबूत होते और मिलकर रहते। 

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