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फ्री लीगल एड : दो साल में 600 से अधिक बंदियों को दिखाया आजादी का सूरज
संवाद न्यूज एजेंसी, सहारनपुर
Updated Wed, 03 Dec 2025 12:38 AM IST
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सहारनपुर। आर्थिक तंगी के चलते लंबे समय से कानूनी दांव-पेच में उलझे और जेल में बंद लोगों के लिए फ्री लीगल एड वरदान साबित हो रही है। गठन के तीन वर्षों के अंदर लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिफेंस काउंसिल ने 600 से अधिक बंदियों को आजादी का सूरज का दिखाया है। इसमें कुछ बरी हुए और कुछ जमानत पर बाहर आए।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत वर्ष 2023 में फ्री लीगल एड का गठन किया गया था। इसके उद्देश्य ऐसे लोगों को निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है जो अपने वादों की पैरवी के लिए अधिवक्ता नियुक्त नहीं कर सकते। यह डिफेंस काउंसिल जेल में बंद ऐसे बंदियों को सहायता पहुंचाता है, जिनकी जमानत नहीं हो रही है या फिर उन्हें जमानती नहीं मिल रहे हैं। अपने गठन के बाद से यह डिफेंस सेल पंद्रह सौ से अधिक मामलों में पैरवी कर चुका है।
काउंसिल ने 650 मामलों का निस्तारण कराया है। इसके अलावा ऐसे कई बंदी रहे, जिन पर चोरी, दुष्कर्म, लूटपाट, मारपीट, हत्या जैसे गंभीर मामले भी दर्ज थे। डिफेंस काउंसिल ने 450 से अधिक जमानतें कराई हैं तथा जिनके पास जमानती नहीं थे। उनका केस अदालत में रखा। ऐसे बंदियों को अदालत द्वारा निर्धारित अवधि के लिए पर्सनल बांड पर जेल से छुड़वाया है। लीगल डिफेंस काउंसिल में वर्तमान में तीन अधिवक्ता नियुक्त हैं। उनमें अमित मेहरा, बसंत सिंह और अजेश शर्मा शामिल हैं।
- यह रहे कुछ प्रमुख मामले
केस एक
- थाना फतेहपुर के राजेश वर्ष 2019 से जेल में बंद था। उस पर चोरी का आरोप है। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अधिवक्ता कर सके। सहायता के लिए आवेदन किया। डिफेंस काउंसिल ने केस लड़ा और जमानत कराई।
केस दो
- थाना कोतवाली नगर में वर्ष 1998 में आपसी झगड़ा और मारपीट का केस दर्ज हुआ था। इसमें महेंद्र फौजी को आरोपी बनाया गया। महेंद्र फौजी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के डिफेंस काउंसिल से केस लड़ने के लिए आवेदन किया और वह बरी हुए।
केस तीन
- सुमोन के पास रिफ्यूजी कार्ड था। इसके बाद उसे देश में अवैध तरीके से प्रवेश करने के मामले में पकड़ लिया गया। लीगल डिफेंस सेल ने 2024 में सुमोन के मामले का निस्तारण कराया।
केस चार
- प्रतिभा और नीटू के ऊपर हत्या का केस दर्ज था। वह दो वर्ष तक जेल में रहे। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते अपने मामले की पैरवी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने फ्री लीगल एड काउंसिल की सहायता ली। अधिवक्ता ने उनका केस लड़ा और उन्हें बरी कराया।
- इस तरह ले सकते हैं मदद
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत गठित फ्री लीगल काउंसिल से कोई भी व्यक्ति या बंदी सहायता ले सकता है। टीम जिला कारागार में हर सप्ताह भ्रमण करती हैं। भ्रमण के दौरान बंदी कारागार अधीक्षक को सहायता के लिए आवेदन कर सकता है। इसके अलावा न्यायालय में भी प्रार्थनापत्र देकर डिफेंस काउंसिल की सहायता प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्ण कालिक सचिव अपर सत्र न्यायाधीश प्रबोध कुमार वर्मा है।
- मिल चुका है सम्मान
सिविल कोर्ट परिसर स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के फ्री लीगल काउंसिल को अपने कार्य के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्हें 15 अगस्त को जिला अधीक्षक की ओर से सम्मानित किया जा चुका है।
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जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत वर्ष 2023 में फ्री लीगल एड का गठन किया गया था। इसके उद्देश्य ऐसे लोगों को निशुल्क कानूनी सहायता उपलब्ध कराना है जो अपने वादों की पैरवी के लिए अधिवक्ता नियुक्त नहीं कर सकते। यह डिफेंस काउंसिल जेल में बंद ऐसे बंदियों को सहायता पहुंचाता है, जिनकी जमानत नहीं हो रही है या फिर उन्हें जमानती नहीं मिल रहे हैं। अपने गठन के बाद से यह डिफेंस सेल पंद्रह सौ से अधिक मामलों में पैरवी कर चुका है।
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काउंसिल ने 650 मामलों का निस्तारण कराया है। इसके अलावा ऐसे कई बंदी रहे, जिन पर चोरी, दुष्कर्म, लूटपाट, मारपीट, हत्या जैसे गंभीर मामले भी दर्ज थे। डिफेंस काउंसिल ने 450 से अधिक जमानतें कराई हैं तथा जिनके पास जमानती नहीं थे। उनका केस अदालत में रखा। ऐसे बंदियों को अदालत द्वारा निर्धारित अवधि के लिए पर्सनल बांड पर जेल से छुड़वाया है। लीगल डिफेंस काउंसिल में वर्तमान में तीन अधिवक्ता नियुक्त हैं। उनमें अमित मेहरा, बसंत सिंह और अजेश शर्मा शामिल हैं।
- यह रहे कुछ प्रमुख मामले
केस एक
- थाना फतेहपुर के राजेश वर्ष 2019 से जेल में बंद था। उस पर चोरी का आरोप है। आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह अधिवक्ता कर सके। सहायता के लिए आवेदन किया। डिफेंस काउंसिल ने केस लड़ा और जमानत कराई।
केस दो
- थाना कोतवाली नगर में वर्ष 1998 में आपसी झगड़ा और मारपीट का केस दर्ज हुआ था। इसमें महेंद्र फौजी को आरोपी बनाया गया। महेंद्र फौजी ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के डिफेंस काउंसिल से केस लड़ने के लिए आवेदन किया और वह बरी हुए।
केस तीन
- सुमोन के पास रिफ्यूजी कार्ड था। इसके बाद उसे देश में अवैध तरीके से प्रवेश करने के मामले में पकड़ लिया गया। लीगल डिफेंस सेल ने 2024 में सुमोन के मामले का निस्तारण कराया।
केस चार
- प्रतिभा और नीटू के ऊपर हत्या का केस दर्ज था। वह दो वर्ष तक जेल में रहे। आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते अपने मामले की पैरवी नहीं कर पा रहे थे। उन्होंने फ्री लीगल एड काउंसिल की सहायता ली। अधिवक्ता ने उनका केस लड़ा और उन्हें बरी कराया।
- इस तरह ले सकते हैं मदद
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तहत गठित फ्री लीगल काउंसिल से कोई भी व्यक्ति या बंदी सहायता ले सकता है। टीम जिला कारागार में हर सप्ताह भ्रमण करती हैं। भ्रमण के दौरान बंदी कारागार अधीक्षक को सहायता के लिए आवेदन कर सकता है। इसके अलावा न्यायालय में भी प्रार्थनापत्र देकर डिफेंस काउंसिल की सहायता प्राप्त की जा सकती है। वर्तमान में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पूर्ण कालिक सचिव अपर सत्र न्यायाधीश प्रबोध कुमार वर्मा है।
- मिल चुका है सम्मान
सिविल कोर्ट परिसर स्थित जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के फ्री लीगल काउंसिल को अपने कार्य के लिए सम्मानित भी किया जा चुका है। उन्हें 15 अगस्त को जिला अधीक्षक की ओर से सम्मानित किया जा चुका है।