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Sambhal News: अब सींग-हड्डी की जगह लकड़ी पर निखर रहा संभल का हुनर

Moradabad  Bureau मुरादाबाद ब्यूरो
Updated Tue, 30 Dec 2025 02:16 AM IST
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Now instead of horn and bone, Sambhal's skill is being developed on wood.
लकड़ी के कैंडिल स्टैंड - फोटो : samvad
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संभल(नदीम अली)। कच्चे माल के रूप में सींग-हड्डी की नापैदगी ने संभल के हस्तशिल्प का रुख लकड़ी उत्पादों की तरफ मोड़ दिया है। सहारनपुर की तर्ज पर संभल के कारीगर और कारोबारी अब लकड़ी के हस्तशिल्प और उपयोगी प्रोडेक्ट पर हाथ आजमा रहे हैं। जानकार बताते हैं कि सालभर में संभल का 50 फीसदी काम सींग-हड्डी से लकड़ी पर शिफ्ट हो गया है। कारोबारियों से लेकर अफसर तक मानते हैं कि इस बदलाव से जिले को शिल्प से होने वाली आमदनी पर बड़ा फर्क नहीं पड़ा है।
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कारोबार में स्वदेशी के प्रोत्साहन और अवैध स्लॉटर हाउस पर सख्ती का सबसे बड़ा असर संभल के सींग-हड्डी उत्पादों पर पड़ा। साल 2014 से पशुओं के कटान में मनमानी थमी तो संभल के कारीगरों को सींग और हड्डी मिलना आसान नहीं रहा। दूसरे राज्यों से इनकी सप्लाई का खर्च इतना ज्यादा आया कि संभल के प्रोडेक्ट महंगे साबित होने लगे। इस बीच स्वदेशी के प्रोत्साहन में की गई सख्ती से सींग-हड्डी को विदेशों से मंगाना भी आसान नहीं रहा। संभल के निर्यातक बताते हैं कि कच्चे माल के रूप में सींग-हड्डी की बड़ी सप्लाई अफ्रीकी देशों से थी, जो सालभर से लगभग बंद है।
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इन स्थितियों से संभल की पहचान कहे जाने वाले हड्डी-सींग के उत्पाद पीछे छूटे तो निर्यातक, कारोबारी और कारीगरों ने लकड़ी को काम को आधार बना लिया। अब संभल में तैयार हो रहे लकड़ी के उत्पाद दूसरे मुल्कों में बेचे जा रहे हैं, जबकि देश के बड़े शहरों तक भी इनकी खासी मांग है।
संभल की खूबियों पर आधारित हस्तशिल्प गढ़ने वाले सरायतरीन इलाके में सींग-हड्डी के आइटम बनाने का काम कुटीर उद्योग की तरह घर-घर था। अब इन्हीं घरों में अधिकांश परिवार लकड़ी पर अपना हुनर उकेर रहे हैं। इनकी मेहनत कारोबारियों के जरिये दिल्ली-मुंबई सरीखे कई बड़े शहरों तक पहुंच रही है। निर्यातक इन्हें अमेरिकी और यूरोपीय बाजार तक पहुंचा रहे हैं।
निर्यातक कमल कौशल वार्ष्णेय ने बताया कि बदलाव को कारीगर से लेकर कारोबारी तक सबने स्वीकार कर लिया है। इससे न काम प्रभावित हुआ है और न ही उससे जुड़े लोग, सिर्फ उत्पाद बदले हैं। वह मानते हैं कि अब संभल के उत्पादों में 50 फीसदी हिस्सेदारी लकड़ी की है। इस काम के लिए आम और बबूल की लकड़ी इस्तेमाल होती है, जो प्रतिबंधित नहीं है। इससे उत्पाद बहुत महंगे भी नहीं होते। मुरादाबाद के संयुक्त आयुक्त उद्योग योगेश कुमार बताते हैं कि 2024-25 में संभल का सालाना अनुमानित निर्यात 2406 करोड़ के आसपास था। लगभग इतना ही कारोबार देश के भीतर रहा। कह सकते हैं कि संभल से ओवरऑल करीब चार हजार करोड़ से अधिक का सालाना कारोबार है। (संवाद)
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