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Sambhal News: पालिका की कार्रवाई पर उठाए सवाल, ईओ से मिलेंगे मकान पर काबिज लोग
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चंदौसी के लक्ष्मणगंज में पालिका की भूमि पर बने मकान। संवाद
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चंदौसी(संभल)। मोहल्ला लक्ष्मणगंज में नगर पालिका की छह बीघा भूमि पर बने 34 अवैध मकानों को ध्वस्त करने के मंडलायुक्त के आदेश के मामले में मकानों पर काबिज लोगों ने पालिका की कार्रवाई को लेकर सवाल खड़े किए हैं। पालिका की ओर से की जा रही कार्रवाई को गलत ठहराते हुए हाईकोर्ट का आदेश प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि इस मामले में पालिका के ईओ से मिल कर अपना पक्ष रखेंगे। मकान पर काबिज लोगों का कहना है कि लक्ष्मणगंज के नसीर अहमद समेत 34 मकान स्वामियों की ओर से 14 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका के संबंध में उनके अधिवक्ता सुदीप हरकौली ने अपनी दलील में कहा है कि याचिकाकर्ता कई वर्षों से पालिका की भूमि पर मकान बनाकर रह रहे हैं और नियमित किराया भी अदा कर रहे हैं।
नगर पालिका ने पहले एक प्रस्ताव पारित किया था कि जो लोग पालिका की संपत्ति पर कब्जे में हैं, उन्हें उचित बाजार मूल्य पर वह संपत्ति बेची जाएगी, लेकिन बाद में पालिका ने धारा 34 नगर पालिका अधिनियम, 1916 के तहत पर्यवेक्षी अधिकारों का प्रयोग करते हुए मकानों को ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया।
मकान मालिकों ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता राज मोहन उपाध्याय और नगर पालिका की ओर से अधिवक्ता हर्षवर्धन गुप्ता ने पैरवी की। बताया कि न्यायालय ने ये भी स्पष्ट किया कि पहले 25 नवंबर 2024 को पारित नगर पालिका का प्रस्ताव नियमों के अनुरूप नहीं था, जैसा कि 14 जुलाई 2025 को पारित आदेश में भी कहा जा चुका है।
न्यायालय ने कहा कि नगर पालिका चाहे तो पुराना प्रस्ताव वापस लेकर नया प्रस्ताव पारित कर सकती है। लेकिन धारा 34 के अंतर्गत जारी किए गए 23 जून 2025 के नोटिस यह नहीं दिखाते कि प्रस्ताव को लागू करने से जनता को कोई असुविधा या हानि होगी। मकान पर काबिज लोगोंं का दावा है कि पालिका की ओर से जारी किए गए नोटिस को न्यायालय ने खारिज कर दिया है। वहीं इस संदर्भ में ईओ से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
नगर पालिका ने पहले एक प्रस्ताव पारित किया था कि जो लोग पालिका की संपत्ति पर कब्जे में हैं, उन्हें उचित बाजार मूल्य पर वह संपत्ति बेची जाएगी, लेकिन बाद में पालिका ने धारा 34 नगर पालिका अधिनियम, 1916 के तहत पर्यवेक्षी अधिकारों का प्रयोग करते हुए मकानों को ध्वस्त करने का आदेश जारी कर दिया।
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मकान मालिकों ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त मुख्य स्थायी अधिवक्ता राज मोहन उपाध्याय और नगर पालिका की ओर से अधिवक्ता हर्षवर्धन गुप्ता ने पैरवी की। बताया कि न्यायालय ने ये भी स्पष्ट किया कि पहले 25 नवंबर 2024 को पारित नगर पालिका का प्रस्ताव नियमों के अनुरूप नहीं था, जैसा कि 14 जुलाई 2025 को पारित आदेश में भी कहा जा चुका है।
न्यायालय ने कहा कि नगर पालिका चाहे तो पुराना प्रस्ताव वापस लेकर नया प्रस्ताव पारित कर सकती है। लेकिन धारा 34 के अंतर्गत जारी किए गए 23 जून 2025 के नोटिस यह नहीं दिखाते कि प्रस्ताव को लागू करने से जनता को कोई असुविधा या हानि होगी। मकान पर काबिज लोगोंं का दावा है कि पालिका की ओर से जारी किए गए नोटिस को न्यायालय ने खारिज कर दिया है। वहीं इस संदर्भ में ईओ से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।