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Shahjahanpur News: राजकीय महाविद्यालय में काफी मशक्कत के बाद भी नहीं भर पाईं अधिकतर सीटें
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अंजू। संवाद
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जलालाबाद। राजकीय महाविद्यालय में इस सत्र में विभिन्न अनुभागों में सीटें नहीं भर सकीं। सेमेस्टर व्यवस्था लागू होने से छात्र-छात्राओं का रुझान तकनीकी शिक्षा की तरफ होना प्रमुख कारण रहा। इसके अलावा स्टाफ की कमी भी वजह रही।
कॉलेज में स्नातक संकाय मे 420 सीटों के सापेक्ष 340 प्रवेश हो चुके हैं। वाणिज्य संकाय में 60 सीटों में 30 सीटों ही भर सकी हैं। स्नातक विज्ञान वर्ग व स्नातकोत्तर की सुविधा नहीं है। महाविद्यालय में वाणिज्य वर्ग में बीते तीन साल से स्टाफ न होने के कारण कम ही प्रवेश होते हैं। स्नातक में कम प्रवेश होने का कारण युवाओं का तकनीकी शिक्षा की ओर रुझान बढ़ना माना जा रहा है।
इसके अतिरिक्त महाविद्यालय में शिक्षक समेत अन्य स्टाफ की कमी भी छात्र-छात्राओं के प्रवेश न लेने की एक वजह है। यहां अर्थशास्त्र व हिंदी विषयों के अध्यापकों के अलावा लाइब्रेरियन की लंबे समय से नियुक्ति नहीं है। प्राचार्य राजकुमार सिंह ने बताया कि इस साल दो बच्चों के नाम आईटीआई में आने के कारण उन्होंने प्रवेश नहीं लिया। सेमेस्टर प्रणाली हो जाने से भी बच्चों का तकनीकी शिक्षा की ओर झुकाव बढ़ रहा है।
स्टाफ न होने के कारण क्लास नहीं लग पाते। शासन को यहां अध्यापकों की नियुक्ति करनी चाहिए।
- चंद्रशेखर, छात्र
पढ़ाई के साथ यहां अन्य तरह की होने वाली गतिविधियों में भाग लेते हैं। कॉलेज में हिंदी विषय का शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है।
- अंजू देवी, छात्रा

कॉलेज में स्नातक संकाय मे 420 सीटों के सापेक्ष 340 प्रवेश हो चुके हैं। वाणिज्य संकाय में 60 सीटों में 30 सीटों ही भर सकी हैं। स्नातक विज्ञान वर्ग व स्नातकोत्तर की सुविधा नहीं है। महाविद्यालय में वाणिज्य वर्ग में बीते तीन साल से स्टाफ न होने के कारण कम ही प्रवेश होते हैं। स्नातक में कम प्रवेश होने का कारण युवाओं का तकनीकी शिक्षा की ओर रुझान बढ़ना माना जा रहा है।
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इसके अतिरिक्त महाविद्यालय में शिक्षक समेत अन्य स्टाफ की कमी भी छात्र-छात्राओं के प्रवेश न लेने की एक वजह है। यहां अर्थशास्त्र व हिंदी विषयों के अध्यापकों के अलावा लाइब्रेरियन की लंबे समय से नियुक्ति नहीं है। प्राचार्य राजकुमार सिंह ने बताया कि इस साल दो बच्चों के नाम आईटीआई में आने के कारण उन्होंने प्रवेश नहीं लिया। सेमेस्टर प्रणाली हो जाने से भी बच्चों का तकनीकी शिक्षा की ओर झुकाव बढ़ रहा है।
स्टाफ न होने के कारण क्लास नहीं लग पाते। शासन को यहां अध्यापकों की नियुक्ति करनी चाहिए।
- चंद्रशेखर, छात्र
पढ़ाई के साथ यहां अन्य तरह की होने वाली गतिविधियों में भाग लेते हैं। कॉलेज में हिंदी विषय का शिक्षक नहीं होने से छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है।
- अंजू देवी, छात्रा
अंजू। संवाद
अंजू। संवाद