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Shamli News: रामकथा के छठे दिन श्रीराम के वन गमन का प्रसंग सुनाया
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हसनपुर लुहारी। भूमियाखेड़ा मंदिर समिति द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के छठे दिन कथावाचक मिलन शास्त्री महाराज ने राम के वन गमन का प्रसंग विस्तार से सुनाया। साथ ही इससे जुड़ी शिक्षाओं पर प्रकाश डाला।
मिलन शास्त्री महाराज ने कहा कि प्रभु राम को अयोध्या की जनता बेहद प्यार करती थी और वे चाहते थे कि राम अयोध्या के राजा बनें। राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन कैकेयी की दासी मंथरा ने कैकेयी के मन में भरत को राजा बनाने का विचार डाला और श्रीराम को चौदह वर्षों के लिए वनवास पर भेजने की मांग की। मंथरा के षड्यंत्र के कारण कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वचन लिए, जिसके कारण राम, लक्ष्मण और सीता ने घर छोड़कर वन जाने का निर्णय लिया। महाराज ने कथा के दौरान यह भी संदेश दिया कि आजकल सास-बहू का रिश्ता बहुत नाजुक हो गया है और बात-बात पर झगड़े हो जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राम ने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वन जाने का संकल्प लिया, जो परिवार के आपसी संबंधों की महत्ता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि अगर सास अपनी बहू को बेटी की तरह समझे और बहू अपनी सास को मां की तरह समझे तो यही रिश्ते सुखी और आनंदपूर्ण हो सकते हैं। राम के वन गमन के प्रसंग को सुनते हुए श्रद्धालु भावविभोर हो गए। महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से जीवन में मर्यादाओं और परिवारिक रिश्तों के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि जैसे राम ने अपने कर्तव्यों का पालन किया, वैसे ही हमें भी अपने परिवार के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने चाहिए।
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मिलन शास्त्री महाराज ने कहा कि प्रभु राम को अयोध्या की जनता बेहद प्यार करती थी और वे चाहते थे कि राम अयोध्या के राजा बनें। राज्याभिषेक की तैयारियां चल रही थीं, लेकिन कैकेयी की दासी मंथरा ने कैकेयी के मन में भरत को राजा बनाने का विचार डाला और श्रीराम को चौदह वर्षों के लिए वनवास पर भेजने की मांग की। मंथरा के षड्यंत्र के कारण कैकेयी ने राजा दशरथ से दो वचन लिए, जिसके कारण राम, लक्ष्मण और सीता ने घर छोड़कर वन जाने का निर्णय लिया। महाराज ने कथा के दौरान यह भी संदेश दिया कि आजकल सास-बहू का रिश्ता बहुत नाजुक हो गया है और बात-बात पर झगड़े हो जाते हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि राम ने अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन करते हुए वन जाने का संकल्प लिया, जो परिवार के आपसी संबंधों की महत्ता को दर्शाता है।
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उन्होंने कहा कि अगर सास अपनी बहू को बेटी की तरह समझे और बहू अपनी सास को मां की तरह समझे तो यही रिश्ते सुखी और आनंदपूर्ण हो सकते हैं। राम के वन गमन के प्रसंग को सुनते हुए श्रद्धालु भावविभोर हो गए। महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से जीवन में मर्यादाओं और परिवारिक रिश्तों के महत्व को बताया। उन्होंने कहा कि जैसे राम ने अपने कर्तव्यों का पालन किया, वैसे ही हमें भी अपने परिवार के साथ अच्छे रिश्ते बनाए रखने चाहिए।
