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Shamli News: ये नहीं किसी से कम, आत्मनिर्भर बनने के लिए तोड़ी दिव्यांगता की बेड़ियां

Meerut Bureau मेरठ ब्यूरो
Updated Wed, 03 Dec 2025 12:06 AM IST
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शामली। दिव्यांगता कोई बोझ नहीं है। लोगों की इसी सोच को बदलने के लिए जनपद में दिव्यांगों के ऐसे बहुत से उदाहरण हैं, जो दिव्यांगता की बेड़ियां तोड़कर खेलों में राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर तक जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं। पेश है खेलों में जिले का नाम रोशन करने वाले दिव्यांग खिलाड़ियों के संघर्ष की कहानी...
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-दिव्यांग क्रिकेटर विक्की लांबा का दबदबा
बाबरी क्षेत्र के गांव हिरनवाड़ा निवासी दिव्यांग क्रिकेटर विक्की लांबा ने दिव्यांग होने के बावजूद जनपद का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर तक चमकाया है। विक्की कक्षा नौ तक पढ़े हैं। उन्होंने एक बार टीवी में व्हीलचेयर क्रिकेट देखा और क्रिकेटर बनने की ठान ली। विक्की ने काफी समय तक जिला स्तर पर क्रिकेट खेला। इसके बाद 2010 में अपने रिश्तेदार के जरिए दिल्ली में आयोजित मैच खेलने गए और अच्छा प्रदर्शन किया। इसके बाद यूपी, दिल्ली और चंडीगढ़ टीम के साथ खेलना शुरू किया। वर्ष 2015 में दुबई में पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेला। इसके बाद बांग्लादेश में भी मैच खेले और वर्ष 2017 व 18 में दिल्ली नेशनल मैच खेले। वर्ष 2019 में चुनाव जीतकर दिल्ली व्हीलचेयर क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बनकर जनपद का नाम रोशन कर रहे हैं।
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-दिव्यांग चैंपियंस लीग में अमित मलिक का हुआ चयन
दिव्यांग चैंपियंस लीग के लिए वाराणसी में होने वाले आयोजन में बाबरी क्षेत्र के गांव कुरमाली के दिव्यांग खिलाड़ी अमित मलिक का चयन बैट्समैन के रूप में हुआ है। अमित मलिक ने पांच से सात अक्तूबर तक मुंबई में हुई दिव्यांग क्रिकेट में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया था और उनका चयन वाराणसी में होने वाली लीग के लिए हुआ।
दिव्यांग संदीप दौड़ और लंबी कूद में दिखा रहे दम
जनपद के गांव राझड़ निवासी संदीप एक पैर से दिव्यांग हैं। संदीप ने कैटेगरी टी-42 में राष्ट्रीय स्तर पर 100 मीटर दौड़ और लंबी कूद में सिल्वर मेडल जीतकर जनपद का नाम रोशन कर चुके हैं। इसके साथ ही खेलो इंडिया में भी दौड़ और लंबीकूद में सिल्वर मेडल जीतकर आगे बढ़ रहे हैं।
एथलीट कपिल कुमार भी राष्ट्रीय स्तर पर कर रहे नाम रोशन
जनपद के गांव भाजू निवासी कपिल कुमार पुत्र नरेशपाल सिंह भी एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद एथलीट में दम दिखा रहे हैं। खिलाड़ी ने ऊंची कूद, जैवलिन थ्रो, शॉटपुट में पदक जीतकर भारत व जनपद का नाम रोशन कर चुके हैं।
दिव्यांग शबाना कैनो खेल में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दिखा चुकीं दम
शामली शहर के बूढ़ा बाबू नोकुआ रोड की रहने वाली अंतरराष्ट्रीय पैरा कैनो खिलाड़ी शबाना ने दिव्यांग होने के बावजूद हार नहीं मानी। शबाना जापान से लेकर चीन तक अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए गोल्ड मेडल जीतकर जनपद का नाम रोशन कर चुकी हैं। शबाना ने बताया कि उसने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो और राष्ट्रीय स्तर पर चार मेडल लाकर देश व जनपद का नाम रोशन किया है। वर्ष 2023 में भोपाल में दो रजत पदक, 2024 में राष्ट्रीय पैरा कैनो में गोल्ड और सिल्वर मेडल, 2024 में जापान में हुई एशियन चैंपियनशिप में एक गोल्ड व एक सिल्वर और 2024 में चीन में हुए एशियन खेल में प्रतिभाग किया।
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