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Shamli News: शौचालय की मरम्मत हुई नहीं, निकाल लिए 50 हजार रुपये
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शामली। कैराना क्षेत्र के मन्ना माजरा गांव में सामुदायिक शौचालय की मरम्मत में गोलमाल की आशंका है। आरोप है कि ग्राम पंचायत ने मरम्मत किए बिना ही 50 से 60 हजार रुपये तक के बिल पास कराकर राशि निकाल ली, जबकि वास्तविकता में शौचालय बदहाल और जर्जर अवस्था में है।
पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मुख्य विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी ने स्वयं मौके पर जाकर जांच की, जहां शौचालय की हालत देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए। तत्काल मामले की जांच डीपीआरओ संदीप अग्रवाल को सौंप दी गई है। गांव में आयोजित जनसुनवाई और चौपाल के दौरान ग्रामीणों ने सीडीओ के सामने कई समस्याएं रखीं। इसी बीच कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत ने सामुदायिक शौचालय की मरम्मत का कार्य कागजों में दिखाकर हजारों रुपये निकाल लिए, जबकि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि ई-स्वराज पोर्टल पर मरम्मत के फर्जी बिल अपलोड कर दिए गए हैं, जिससे अनियमितता की आशंका और ज्यादा गहरी हो जाती है।
-सीडीओ ने मौके पर पहुंचकर किया निरीक्षण
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी तुरंत ही मौके पर पहुंचे। निरीक्षण में शौचालय की दीवारें टूटी मिलीं, फर्श उखड़ा हुआ था और कहीं भी मरम्मत का कोई निशान तक नहीं दिखा। सीडीओ ने कहा कि शिकायत गंभीर है। मौके पर जो स्थिति मिली है, वह बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं है। मामले की विस्तृत जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय होगी।
-जांच डीपीआरओ को सौंपी, कार्रवाई की तैयारी
सीडीओ ने पूरा मामला जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) संदीप अग्रवाल को जांच के लिए सौंप दिया है। डीपीआरओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे बिलों, भुगतान, पोर्टल पर किए गए अपलोड और वास्तविक कार्य के बीच अंतर की विस्तृत जांच कर जिम्मेदार लोगों की सूची तैयार करें।
-ग्रामीणों में आक्रोश
गांव के लोगों का कहना है कि शौचालय खराब हालत में पड़ा है। मरम्मत न होने से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार पर रोक लग सके।
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पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए मुख्य विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी ने स्वयं मौके पर जाकर जांच की, जहां शौचालय की हालत देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए। तत्काल मामले की जांच डीपीआरओ संदीप अग्रवाल को सौंप दी गई है। गांव में आयोजित जनसुनवाई और चौपाल के दौरान ग्रामीणों ने सीडीओ के सामने कई समस्याएं रखीं। इसी बीच कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि ग्राम पंचायत ने सामुदायिक शौचालय की मरम्मत का कार्य कागजों में दिखाकर हजारों रुपये निकाल लिए, जबकि जमीनी स्तर पर कोई काम नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि ई-स्वराज पोर्टल पर मरम्मत के फर्जी बिल अपलोड कर दिए गए हैं, जिससे अनियमितता की आशंका और ज्यादा गहरी हो जाती है।
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-सीडीओ ने मौके पर पहुंचकर किया निरीक्षण
शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मुख्य विकास अधिकारी विनय कुमार तिवारी तुरंत ही मौके पर पहुंचे। निरीक्षण में शौचालय की दीवारें टूटी मिलीं, फर्श उखड़ा हुआ था और कहीं भी मरम्मत का कोई निशान तक नहीं दिखा। सीडीओ ने कहा कि शिकायत गंभीर है। मौके पर जो स्थिति मिली है, वह बिल्कुल भी संतोषजनक नहीं है। मामले की विस्तृत जांच कराई जा रही है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई तय होगी।
-जांच डीपीआरओ को सौंपी, कार्रवाई की तैयारी
सीडीओ ने पूरा मामला जिला पंचायत राज अधिकारी (डीपीआरओ) संदीप अग्रवाल को जांच के लिए सौंप दिया है। डीपीआरओ को निर्देश दिए गए हैं कि वे बिलों, भुगतान, पोर्टल पर किए गए अपलोड और वास्तविक कार्य के बीच अंतर की विस्तृत जांच कर जिम्मेदार लोगों की सूची तैयार करें।
-ग्रामीणों में आक्रोश
गांव के लोगों का कहना है कि शौचालय खराब हालत में पड़ा है। मरम्मत न होने से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों को भारी दिक्कत झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए ताकि विकास कार्यों में भ्रष्टाचार पर रोक लग सके।
