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कोयला संकट : लैंको की आधा तो अनपरा की इकाइयां फुल लोड पर
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गंभीर कोयला संकट का सामना कर रही निजी क्षेत्र की लैंको परियोजना की इकाइयों के आधे लोड पर संचालन का क्रम जारी है। बिजली की मांग में उछाल को देखते हुए अनपरा परियोजना की इकाइयों को लगातार फुल लोड पर चलाया जा रहा है।
पिछले तीन महीने से बिजली घरों में जारी कोयला संकट की मार निजी क्षेत्र की लैंको परियोजना पर भारी पड़ रही है। परियोजना में कोयले का स्टॉक न के बराबर होने व समुचित कोयले की आपूर्ति न हो पाने के कारण परियोजना की 600-600 मेगावाट की दोनों इकाइयों को जहां एक पखवारे से लगातार आधे लोड पर चलाया जा रहा है। वहीं इससे बिजली की बढ़ी मांग के दौर में अनपरा की इकाइयों पर दबाव बढ़ गया है। समुचित विद्युत उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए सिस्टम कंट्रोल के निर्देश पर अनपरा की इकाइयों को अनवरत पूर्ण क्षमता से चलाया जा रहा है। बृहस्पतिवार को पीक ऑवर के पूर्व ही प्रदेश में बिजली की मांग 23 हजार मेेगावाट के करीब पहुंच जाने से शाम को रिहंद डैम के खिसकते जल स्तर के बाद भी रिहंद हाइड्रो की इकाइयों को शुरू कराया गया। शाम को रिहंद हाइड्रो के पांच टरबाइनों से 219 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया।
बिजली की मांग स्थिर
प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से बिजली की मांग लगभग स्थिर बनी हुई है। बृहस्पतिवार सुबह तक सूबे में बिजली की अधिकतम मांग 23633 मेगावाट रही। हालांकि इस दौरान बेतहाशा उमस के कारण न्यूनतम मांग एक हजार मेगावाट पार कर 17 हजार मेगावाट पार कर गई। इस दौरान अनपरा ए से 444, बी से 902 व डी परियोजना से 962 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया। जबकि कोयला किल्लत से जूझ रहे लैंको परियोजना से स्थापित क्षमता 1200 मेगावाट के सापेक्ष महज 655 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया।

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बिजली की मांग स्थिर
प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से बिजली की मांग लगभग स्थिर बनी हुई है। बृहस्पतिवार सुबह तक सूबे में बिजली की अधिकतम मांग 23633 मेगावाट रही। हालांकि इस दौरान बेतहाशा उमस के कारण न्यूनतम मांग एक हजार मेगावाट पार कर 17 हजार मेगावाट पार कर गई। इस दौरान अनपरा ए से 444, बी से 902 व डी परियोजना से 962 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया। जबकि कोयला किल्लत से जूझ रहे लैंको परियोजना से स्थापित क्षमता 1200 मेगावाट के सापेक्ष महज 655 मेगावाट विद्युत उत्पादन किया गया।