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कोयला संकट से निजात को लैंको खरीदेगा आयातित कोयला
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बिजली घरों में व्याप्त कोयला संकट ने ऊर्जांचल के विद्युत गृहों की भी आयातित कोयले पर निर्भरता बढ़ा दी है। अनपरा स्थित निजी क्षेत्र की लैंको परियोजना ने रेल रैक से आयातित कोयले की आपूर्ति के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कोयले की कीमत में भारी वृद्धि के कारण देश के सार्वजनिक व निजी बिजली घरों की कोयले को लेकर कोल इंडिया पर निर्भरता बढ़ गई है। इससे कोयला सहित रेल रैक की भी अचानक मांग बढ़ गई। तमाम प्रयास के बाद भी सरकार न तो रेल रैक में वृद्धि कर पाई और न ही बिजली घरों में कोयले की आपूर्ति ही बढ़ पाई। नतीजतन कोयला स्टॉक बढ़ने के दौर में ही बिजली घरों में कोयले की गंभीर किल्लत उत्पन्न हो गई। अंतत: सरकार को कोयला नीति में बदलाव करते हुए जहां कोल खदानों के मुहाने पर स्थित बिजली घरों को सड़क मार्ग से कोयला परिवहन करने का निर्देश दिया गया। वहीं बिजली घरों के लिए आयातित कोयला खरीदना अनिवार्य कर दिया गया। अन्यथा की स्थिति में उन्हें कोल इंडिया से मिलने वाले कोयले के कोटे में कटौती की चेतावनी भी दे दी गई। लिहाजा लैंको परियोजना प्रबंधन ने मंगलवार को आयातित कोयला खरीदने के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके तहत कंपनी रेल रैक से दो लाख एमटी कोयला आपूर्ति लेगी।
बढ़ जाएगी लैंको से उत्पादित बिजली की दर
जानकारों का कहना है कि आयातित कोयले की कीमत कोल इंडिया से प्राप्त कोयले से काफी अधिक है। इसका प्रभाव परियोजना से उत्पादित बिजली पर भी पड़ेगा। अभी परियोजना पावर कारपोरेशन को 2.97 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया करा रही है मगर अधिक दर पर कोयला खरीदने के कारण परियोजना की बिजली की कीमत भी बढ़ जाएगी।

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बढ़ जाएगी लैंको से उत्पादित बिजली की दर
जानकारों का कहना है कि आयातित कोयले की कीमत कोल इंडिया से प्राप्त कोयले से काफी अधिक है। इसका प्रभाव परियोजना से उत्पादित बिजली पर भी पड़ेगा। अभी परियोजना पावर कारपोरेशन को 2.97 रुपये प्रति यूनिट की दर से बिजली मुहैया करा रही है मगर अधिक दर पर कोयला खरीदने के कारण परियोजना की बिजली की कीमत भी बढ़ जाएगी।