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सोनभद्रः इको पर्यटन के रूप में विकसित होगी ब्लैक बक घाटी, ब्यूटी ऑफ सोन को भी संवारने की योजना
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महुअरिया ब्लैकबघ घाटी में स्थित में काला हिरन।
- फोटो : SONBHADRA
सोनभद्र। हरियाली से सराबोर सोन घाटी में काले हिरनों को कुलांचे भरते देखना चाहते हैं तो महुवरिया वन क्षेत्र आपका इंतजार कर रहा है। अब यह दृश्य और भी मनोरम होने वाला है। खूबसूरत सोन घाटी के बीच बसे इस वन क्षेत्र में वन विभाग ने इको टूरिज्म विकसित करने की तैयारी शुरू कर दी है। काले हिरनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए न सिर्फ कई कार्य कराए जाएंगे, बल्कि यहां तक पर्यटकों को लाने की भी योजना बन रही है। शासन से धनराशि मिलने के बाद विभाग विस्तृत कार्ययोजना बनाने में जुटा है।
कैमूर वन्य जीव विहार के महुवरिया वन क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। पूर्वांचल का यह इकलौता वन क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में काले हिरनों को उन्मुक्त भाव से विचरण करते देखा जा सकता है। वन क्षेत्र के मध्य से गुजरी सोन नदी के आसपास का विहंगम नजारा मन मोहता है। ब्यूटी ऑफ सोन के इस दृश्य को निहारने लोग बड़ी संख्या में आते हैं और मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता को सहेजे इस वन क्षेत्र को इको टूरिज्म के बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हुई है। शासन से इसके लिए धनराशि भी अवमुक्त हो गई है। यहां खास तौर से काले हिरनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम कराया जाएगा। उनके विचरण के रास्ते, चारागाह, पेयजल, साइनेज आदि के इंतजाम किए जाएंगे। छुट्टा पशुओं को उनसे दूर रखने के लिए ग्रामीणों की मदद ली जाएगी। इसके अलावा इसी वन क्षेत्र में आने वाले लखनिया रॉक पेंटिंग, अमदह जलप्रपात, ब्यूटी ऑफ सोन, इको वैली के आसपास भी सुंदरीकरण के कार्य होंगे।
ऐसे हैं ये काले हिरण
महुवरिया में पाए जाने वाले काले हिरन कृष्णमृग बहुसिगा की प्रजाति है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में मिलते हैं। काला हिरन बहुसिंगा प्रजाति की इकलौती जीवित जाति है। यह भारत समेत नेपाल व पाकिस्तान में पाए जाते हैं। करीब 74 से 84 सेमी ऊंचे होते हैं। नर का वजन 20-57 किग्रा यानी औसतन 38 किग्रा होता है, जबकि मादाओं का वजन 20-33 किग्रा यानी औसतन 27 किग्रा होता है। लंबी चक्कर वाली सींग 35-75 सेंटीमीटर आमतौर पर नर के ही होते हैं। ठोड़ी पर और आंखों के चारों ओर सफेद फर चेहरे पर काली पट्टियों के साथ साफ प्रतीत होता है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक इस समय करीब ढाई सौ से अधिक की संख्या इस वक्त महुवरिया में हैं।
प्रमुख वन संरक्षक ने दिखाई रुचि
चंद्रकांता सर्किट की रूपरेखा तैयार करने पिछले दिनों जिले में भ्रमण पर आए प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) पीके शर्मा ने महुवरिया का भी अवलोकन किया था। यहां की सुंदरता पर मोहित होकर उन्होंने इसे विकसित करने की सभी संभावनाओं पर विस्तार से कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है। इसके लिए अलग से काम करने के भी संकेत हैं। पहली बार किसी प्रमुख वन संरक्षक के दौरे से महुवरिया के दिन बहुरने की आस जगी है।
प्रकृति चित्रण केंद्र का होगा कायाकल्प
कैमूर वन्य जीव बिहार की खूबसरत वादियों को संग्रहीत कर एक संग्रहालय प्रकृत चित्रण केंद्र भी बनाया गया है। इसमें इस वन्य जीव विहार की दुर्लभ तस्वीर को संग्रहीत किया गया है। इसमें पूरे वन क्षेत्र की खूबियां एक साथ देखी और समझी जा सकती हैं। वर्षों से उपेक्षित इस केंद्र के उद्धार के लिए करीब पांच लाख रुपये अवमुक्त हुए हैं। इससे रंग-रोगन, लाइटिंग व चित्रण केंद्र की बेहतरी के अन्य कार्य होंगे।
वन क्षेत्र में विकास के लिए शासन ने धनराशि आवंटित की है। इससे काले हिरन के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए चारागाह, रपटा, चेकडैम आदि का कार्य होगा। प्रकृति चित्रण केंद्र का भी कायाकल्प होना है। इको टूरिज्म के रुप में इसे विकसित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। - एके सिंह, रेंजर, महुवरिया वन क्षेत्र।
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कैमूर वन्य जीव विहार के महुवरिया वन क्षेत्र में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। पूर्वांचल का यह इकलौता वन क्षेत्र है, जहां बड़ी संख्या में काले हिरनों को उन्मुक्त भाव से विचरण करते देखा जा सकता है। वन क्षेत्र के मध्य से गुजरी सोन नदी के आसपास का विहंगम नजारा मन मोहता है। ब्यूटी ऑफ सोन के इस दृश्य को निहारने लोग बड़ी संख्या में आते हैं और मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रकृति की नैसर्गिक सुंदरता को सहेजे इस वन क्षेत्र को इको टूरिज्म के बड़े केंद्र के रूप में विकसित करने की कवायद शुरू हुई है। शासन से इसके लिए धनराशि भी अवमुक्त हो गई है। यहां खास तौर से काले हिरनों के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम कराया जाएगा। उनके विचरण के रास्ते, चारागाह, पेयजल, साइनेज आदि के इंतजाम किए जाएंगे। छुट्टा पशुओं को उनसे दूर रखने के लिए ग्रामीणों की मदद ली जाएगी। इसके अलावा इसी वन क्षेत्र में आने वाले लखनिया रॉक पेंटिंग, अमदह जलप्रपात, ब्यूटी ऑफ सोन, इको वैली के आसपास भी सुंदरीकरण के कार्य होंगे।
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ऐसे हैं ये काले हिरण
महुवरिया में पाए जाने वाले काले हिरन कृष्णमृग बहुसिगा की प्रजाति है, जो भारतीय उपमहाद्वीप में मिलते हैं। काला हिरन बहुसिंगा प्रजाति की इकलौती जीवित जाति है। यह भारत समेत नेपाल व पाकिस्तान में पाए जाते हैं। करीब 74 से 84 सेमी ऊंचे होते हैं। नर का वजन 20-57 किग्रा यानी औसतन 38 किग्रा होता है, जबकि मादाओं का वजन 20-33 किग्रा यानी औसतन 27 किग्रा होता है। लंबी चक्कर वाली सींग 35-75 सेंटीमीटर आमतौर पर नर के ही होते हैं। ठोड़ी पर और आंखों के चारों ओर सफेद फर चेहरे पर काली पट्टियों के साथ साफ प्रतीत होता है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक इस समय करीब ढाई सौ से अधिक की संख्या इस वक्त महुवरिया में हैं।
प्रमुख वन संरक्षक ने दिखाई रुचि
चंद्रकांता सर्किट की रूपरेखा तैयार करने पिछले दिनों जिले में भ्रमण पर आए प्रमुख वन संरक्षक (वन्य जीव) पीके शर्मा ने महुवरिया का भी अवलोकन किया था। यहां की सुंदरता पर मोहित होकर उन्होंने इसे विकसित करने की सभी संभावनाओं पर विस्तार से कार्ययोजना प्रस्तुत करने को कहा है। इसके लिए अलग से काम करने के भी संकेत हैं। पहली बार किसी प्रमुख वन संरक्षक के दौरे से महुवरिया के दिन बहुरने की आस जगी है।
प्रकृति चित्रण केंद्र का होगा कायाकल्प
कैमूर वन्य जीव बिहार की खूबसरत वादियों को संग्रहीत कर एक संग्रहालय प्रकृत चित्रण केंद्र भी बनाया गया है। इसमें इस वन्य जीव विहार की दुर्लभ तस्वीर को संग्रहीत किया गया है। इसमें पूरे वन क्षेत्र की खूबियां एक साथ देखी और समझी जा सकती हैं। वर्षों से उपेक्षित इस केंद्र के उद्धार के लिए करीब पांच लाख रुपये अवमुक्त हुए हैं। इससे रंग-रोगन, लाइटिंग व चित्रण केंद्र की बेहतरी के अन्य कार्य होंगे।
वन क्षेत्र में विकास के लिए शासन ने धनराशि आवंटित की है। इससे काले हिरन के संरक्षण व संवर्द्धन के लिए चारागाह, रपटा, चेकडैम आदि का कार्य होगा। प्रकृति चित्रण केंद्र का भी कायाकल्प होना है। इको टूरिज्म के रुप में इसे विकसित करने के लिए विस्तृत कार्ययोजना बनाई जा रही है। - एके सिंह, रेंजर, महुवरिया वन क्षेत्र।