Exclusive: सवा साल के बच्चे को मोतियाबिंद, बीएचयू में हर महीने ऐसे 20 बच्चों के हो रहे ऑपरेशन; वजह जान लें
Varanasi News: कम उम्र के बच्चों में भी मोतियाबिंद की समस्या बढ़ रही है। चिकित्सकों के अनुसार, गर्भावस्या में मां की लापरवाही से बच्चों में मोतियाबिंद की समस्या बढ़ी है।
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मोतियाबिंद को बढ़ती उम्र की बीमारी मानी जाती है लेकिन अब इसकी जद में बच्चे भी आ रहे हैं। बड़ी पियरी स्थित एक निजी अस्पताल में सवा साल के बच्चे के मोतियाबिंद का ऑपरेशन हुआ है। इसी तरह बीएचयू के नेत्र रोग संस्थान में दो से 12 साल तक के बच्चे और 13 से 17 साल तक के किशोर इलाज कराने के लिए पहुंच रहे हैं। मोतियाबिंद का ऑपरेशन करके लेंस भी लगाया जा रहा है।
संस्थान में ही हर महीने से 20 से ज्यादा बच्चों के ऑपरेशन किए जा रहे हैं। कम उम्र में ही बच्चों के आंखों को पूरी रोशनी नहीं मिल पा रही है। पहले तो बच्चों के माता-पिता कुछ समझ नहीं पाते हैं। जब डॉक्टर के पास बच्चों को जांच करवाने जाते हैं, तो पता चल चलता है कि उन्हें मोतियाबिंद है।
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आईएमएस बीएचयू के क्षेत्रीय नेत्र संस्थान की ओपीडी में हर दिन 200 से ज्यादा मरीज विभिन्न जगहों से आंखों की अलग-अलग समस्या लेकर आते हैं। इनमें करीब पांच बच्चों में मोतियाबिंद के लक्षण मिलते हैं। कुछ में मोतियाबिंद के शुरुआती लक्षण मिलते हैं। जिन बच्चों के ऑपरेशन की नौबत आती है, उनकी अलग-अलग जांचें कराई जाती हैं।
क्या बोले चिकित्सक
पिछले कुछ साल से बच्चों में मोतियाबिंद की समस्या ज्यादा देखने को मिल रही है। दो से 12 साल के बच्चे व 17 साल तक के किशोर आ रहे हैं। -प्रो. दीपक मिश्रा, नेत्र रोग संस्थान, बीएचयू
बच्चों में मोतियाबिंद की वजह गर्भावस्था के समय मां को संक्रमण होना हो सकता है। खानपान सही न होने सहित अन्य समस्याएं भी आती हैं। गर्भावस्था के दौरान यदि मां को टॉयफायड, खसरा होता है तो आंख में एक सतह बन जाती है। अगर मां को प्रसव काल में सही पोषण न मिले तो उसका असर भी होने वाले बच्चे की आंख कर पड़ता है। -प्रो. प्रशांत भूषण, नेत्र रोग संस्थान, बीएचयू
