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काशी की देव दीपावली : 84 घाट, 96 कुंड पर साथ जले 25 लाख दीये, 53 घाटों पर हुई महाआरती

अमर उजाला नेटवर्क, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Thu, 06 Nov 2025 09:48 AM IST
सार

Dev Deepawali 2025: वाराणसी में 84 घाट और 96 कुंड और तालाबों पर एक साथ 25 लाख दीये जले। वहीं 53 घाटों पर दिव्य-भव्य गंगा महाआरती हुई। सीएम योगी आदित्यनाथ ने नमो घाट पर पहला दीया जलाया। 

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Dev Deepawali in varanasi 25 lakh diyas lit at 84 ghats and 96 ponds Maha Aarti performed at 53 ganga ghats
Dev Deepawali in varanasi - फोटो : भैरव जायसवाल
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विस्तार
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देव दीपावली पर बुधवार को काशी में आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिला। गंगा के 84 घाटों, 96 कुंड और तालाबों के आसपास एक साथ 25 लाख दीये जलाए गए। चेत सिंह घाट पर काशी कथा थ्रीडी शो हुआ। नमो, दशाश्वमेध और अस्सी सहित 53 घाटों पर दिव्य-भव्य गंगा महाआरती हुई। श्री काशी विश्वनाथ धाम को फूलों से सजाया गया और विशेष पूजा भी हुई। दशाश्वमेध घाट पर अमर जवान ज्योति की अनुकृति स्थापित की गई जो कारगिल के वीर जवानों की याद दिलाती रहेगी।

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इस बार की देव दीपावली ऑपरेशन सिंदूर और शहीद जवानों को समर्पित रही। गंगा उस पार रेती पर क्रैकर्स शो ने भी सबका ध्यान खींचा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार की शाम नमो घाट पर पहला दीया जलाकर देव दीपावली का शुभारंभ किया। इसके बाद काशी के अर्धचंद्राकार घाट, कुंड और तालाब दीयों से जगमग हो उठे। 
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मुख्यमंत्री ने क्रूज़ पर सवार होकर मां गंगा की आभा निहारी और गंगा आरती देखी। चेतसिंह घाट जाकर थ्री डी शो भी देखा। मुख्यमंत्री को अपने बीच पाकर श्रद्धालु उत्साहित दिखे और हर-हर महादेव का जयघोष करते रहे। मुख्यमंत्री ने हाथ हिलाकर काशी की जनता और पर्यटकों का अभिवादन किया। मुख्यमंत्री ने देव दीपावली की तस्वीरें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा की और लिखा कि अविनाशी काशी में पहला दीप जलाया है। यह दीप सनातन आस्था की अखंड ज्योति और रामराज्य की शाश्वत मर्यादा का प्रतीक है। इस माैके पर राज्य मंत्री रविंद्र जायसवाल, विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी, जिला पंचायत अध्यक्ष पूनम मौर्य, मेयर अशोक तिवारी माैजूद रहे।

एक लाख गाय के गोबर के दीये भी जले, सुनहरी माला की तरह सजी काशी

Dev Deepawali in varanasi 25 lakh diyas lit at 84 ghats and 96 ponds Maha Aarti performed at 53 ganga ghats
Dev Deepawali in varanasi - फोटो : रोहित सोनकर
राज्य सरकार ने 10 लाख दीप जलाने का लक्ष्य रखा था लेकिन जनसहभागिता से दीयों की संख्या 25 लाख पहुंच गई। इनमें से 1 लाख दीये गाय के गोबर से बनवाए गए थे जो पर्यावरण अनुकूल थे। घाटों, तालाबों, कुंडों और देवालयों पर दीपों की शृंखला ने काशी को सुनहरी माला की तरह सजा दिया।

25 मिनट का थ्रीडी शो, भक्ति से उपदेश तक का संदेश दिया
चेत सिंह घाट पर परंपरा के साथ आधुनिकता का संगम दिखा। 25 मिनट के थ्रीडी प्रोजेक्शन मैपिंग शो काशी-कथा से भक्ति भाव जगाया गया। शो में भगवान शिव-पार्वती विवाह, भगवान विष्णु की चक्र पुष्करिणी, भगवान बुद्ध के उपदेश, कबीर-दास और तुलसीदास की भक्ति परंपरा और महामना मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित काशी हिंदू विश्वविद्यालय की यात्रा का दृश्य जीवंत किया गया।

21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि के रूप में की महाआरती

दशाश्वमेध घाट की महाआरती में 21 अर्चक और 42 देव कन्याओं ने रिद्धि-सिद्धि के रूप में महाआरती की है। घाट को 21 कुंतल फूलों और 51 हजार दीपों से सजाया गया। घाट पर शंखनाद हुआ। घंटा-घड़ियालों की ध्वनि गूंजी, तो वातावरण में अद्भुत ऊर्जा का संचार हो गया। अमर वीर योद्धाओं को भगीरथ शौर्य सम्मान भी दिया गया।

नो फ्लाई जोन रही काशी, जल, थल और नभ से हुई सुरक्षा
श्रद्धालुओं की भीड़ और वीवीआईपी उपस्थिति को देखते हुए काशी को नो-फ्लाई जोन घोषित किया गया। बिना अनुमति ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध रहा। घाटों पर एनडीआरएफ, जल पुलिस की टीमें नाव, आधुनिक उपकरणों और वाटर एंबुलेंस के साथ तैनात रहीं। गंगा में नावों के लिए लेन निर्धारित किया गया था। नाविकों को निर्धारित दिशा और सुरक्षा नियमों के साथ आगे बढ़ाया गया। सड़कों पर यातायात, पार्किंग और प्रवेश-निकास की व्यवस्था की गई। महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिसकर्मियों, एंटी रोमियो स्क्वॉड और क्यूआरटी टीमों को तैनात किया गया।

केवल आस्था का पर्व नहीं, यह हमारी सनातन संस्कृति का प्रतीक : जयवीर सिंह

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी के विजन और सीएम योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में काशी ने विश्व मंच पर पहचान बनाई है। देव दीपावली केवल आस्था का पर्व नहीं बल्कि यह हमारी सनातन संस्कृति, पर्यावरणीय जागरूकता और आधुनिक भारत की तकनीकी क्षमता का भी प्रतीक है। काशी-कथा के माध्यम से दिखाया गया कि परंपरा और प्रौद्योगिकी साथ मिलकर दिव्य अनुभव गढ़ सकते हैं। काशी की यह भव्यता विश्व को भारत की सांस्कृतिक शक्ति और आध्यात्मिक विरासत का गौरवपूर्ण परिचय कराती है।

विदेशी मंत्रमुग्ध, बोले- देव दीपावली का अनुभव बिल्कुल अलग और अलौकिक
वाराणसी की देव दीपावली ने न सिर्फ देशवासियों बल्कि विदेशी पर्यटकों को मोहित किया। गंगा तट की आलोकित छटा और थ्रीडी शो की भव्यता देखकर विदेशी पर्यटक मंत्रमुग्ध रह गए। इंग्लैंड से आए जॉर्ज एंडरसन ने बताया कि, लंदन, पेरिस और रोम में कई सांस्कृतिक उत्सव देखे हैं लेकिन वाराणसी की देव दीपावली का यह अनुभव बिल्कुल अलग और अलौकिक है। थ्रीडी शो देखकर लगा कि समय ठहर गया और अध्यात्म, इतिहास, तकनीक एक साथ सांस ले रहे हैं। गंगा तट पर दीपों की यह अनंत रेखा और हर हर महादेव के जयघोष ने भीतर तक छू लिया। यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं बल्कि मानवता, ऊर्जा और शांति का जीवंत प्रतीक है। इसे अपने जीवन के सबसे अद्भुत अनुभवों में से एक मानता हूं।

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