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Exclusive: पांच साल के बच्चों को कफ सिरप की जगह एलर्जी की दवा दे रहे डॉक्टर, एमपी हादसे से हुए सतर्क

रबीश श्रीवास्तव, अमर उजाला ब्यूरो, वाराणसी। Published by: प्रगति चंद Updated Thu, 27 Nov 2025 05:46 PM IST
सार

Varanasi News: वाराणसी में पांच साल के बच्चों को कफ सिरप की जगह डॉक्टर एलर्जी की दवा दे रहे हैं। मध्य प्रदेश में प्रतिबंधित कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत और वाराणसी में छापे से चिकित्सक सतर्क हो गए हैं। 

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Doctors giving allergy medication to five-year-olds instead of cough syrup in varanasi
जिला अस्पताल में बच्ची को देखते बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. एके मौर्या - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्यप्रदेश में प्रतिबंधित कफ सिरप पीने से बच्चों की मौत और वाराणसी सहित यूपी के कई जिलों में ताबड़तोड़ छापे के बाद बाल रोग विशेषज्ञ सतर्कता बरत रहे हैं। बीएचयू, जिला अस्पताल, मंडलीय अस्पताल सहित निजी नर्सिंग होम, क्लीनिक के डॉक्टर पांच साल तक के बच्चों को कफ सिरप देने से बचने की सलाह दे रहे हैं। पर्ची पर कफ सिरप का नाम नहीं लिख रहे हैं। विकल्प के तौर पर एलर्जी की दवा (सिरप) व नेजल ड्रॉप दे रहे हैं। 

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प्रतिबंधित कफ सिरप की खरीद-बिक्री के मामले में काशी के 28 दवा कारोबारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। इसी तरह गाजीपुर, चंदौली, जौनपुर और भदोही में भी प्राथमिकी दर्ज हुई है। ड्रग विभाग लगातार छापे मार रहा है। इस वजह से डॉक्टर जुकाम, बुखार से पीड़ित पांच साल तक के बच्चों को कफ सिरप नहीं दे रहे हैं। इससे ज्यादा उम्र के बच्चों को टैबलेट लिख रहे हैं। सलाह दे रहे हैं कि डॉक्टर को दिखाने के बाद ही दवा दें। मेडिकल स्टोर से खरीदकर कफ सिरप न पिलाएं। छोटे बच्चों में खांसी-जुकाम की समस्या एलर्जी से होती है। कफ सिरप देने से कोई फायदा नहीं होता है। 
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होम्योपैथी अस्पताल की ओपीडी में बढ़ी बच्चों की संख्या 

जिला होम्योपैथी चिकित्सालय के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने बताया कि बच्चों में खांसी, कफ, बुखार संबंधी समस्या पर होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति सबसे कारगर साबित हो रही है। कुछ दिनों से ओपीडी में पांच साल तक के बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है। पिछले महीने तक ओपीडी में औसतन 10 बच्चे आते थे। 10 दिन में ही 20 से ज्यादा बच्चे इलाज कराने आ रहे हैं। सेहत के दृष्टिकोण से भी होम्योपैथिक दवाएं अधिक सुरक्षित हैं। किसी तरीके का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। इसका मुख्य कारण कफ सिरप से संबंधित समस्या ही समझ में आ रहा है।  

बच्चों को ठंड लगने की वजह से खांसी, कफ और सांस की दिक्कत होती है। ज्यादातर मामलों में एलर्जी रहती है। जिस तरह से मिलावटी और प्रतिबंधित सिरप के बारे में जानकारी सामने आ रही है, उससे बचाव की जरूरत है। बिना डॉक्टर की सलाह के सिरप न खरीदें। डॉक्टर ने जो लिखा है, वह भी बिना दिखाए पांच साल तक के बच्चों को देने से बचें। -प्रो. अंकुर सिंह, विभागाध्यक्ष, बाल रोग विभाग, बीएचयू 

बहुत जरूरी होता है तभी कफ सिरप देने की जरूरत पड़ती है। सर्दी से नाक जाम हो जाती है। नेजल ड्रॉप से समस्या का समाधान हो जाता है। -डॉ एके मौर्या, बाल रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल

सिरप का काम केवल इतना होता है कि वह कफ को ढीला करता है। सांस की नली की सिकुड़न दूर करता है। सरकार को कफ सिरप की गुणवत्ता के मानक को सख्त बनाना चाहिए। जो कंपनियां गड़बड़ी कर रही हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए। कफ सिरप देने में विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। -डॉ. अशोक राय, पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, भारतीय बाल अकादमी

शहद में मिलाकर बच्चों को दी जा रहीं आयुर्वेदिक औषधियां 

राजकीय आयुर्वेद कॉलेज की प्राचार्य प्रो. नीलम गुप्ता ने बताया कि मौसम में बदलाव से बच्चों में कफ, बुखार, खांसी, सांस लेने में समस्या होती है। इससे निजात दिलाने के लिए आयुर्वेद में बहुत सी औषधियां हैं जो शहद में मिलाकर बच्चों को दी जाती हैं। इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है। आयुर्वेद कॉलेज में बाल रोग विभाग की ओपीडी में पिछले 20 दिन से आने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी है। सर्दी, बुखार, कफ की समस्या वाले हर दिन 30 से ज्यादा बच्चों को दवाइयां दी जा रही हैं। जन्म से 16 साल तक के बच्चों को खांसी, कफ संबंधी समस्या के साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्वर्ण प्राशन भी हर महीने करवाया जा रहा है। अगर स्वर्ण प्राशन नियमित कराया जाए तो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाएगी।

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