UP: कफ सिरप के सरगना शुभम का साथी अमित टाटा अरेस्ट, एसटीएफ ने लखनऊ से उठाया; दर्ज हैं सात मामले
Varanasi News: कफ सिरप मामले में एसटीएफ और पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है। लखनऊ से आरोपी अमित सिंह टाटा को गिरफ्तार किया है। इसके खिलाफ सात मामले दर्ज हैं।
विस्तार
फेंसाडील कप सिरप और कोडिनयुक्त दवाओं को नशे के रूप में प्रयोग करने और अवैध भंडारण, व्यापार करने के आरोपी अमित सिंह टाटा को लखनऊ एसटीएफ ने बृहस्पतिवार को लखनऊ से गिरफ्तार किया। इसके पास से दो मोबाइल, एक र्फाचुनर (यूपी 65 एफएन 9777), एक आधार कार्ड, 4500 रुपये नकद ओर मोबाईल से प्राप्त विभिन्न प्रपत्र मिले हैं।
कोडीन युक्त कफ सिरप का अवैध भंडारण एवं व्यापार करने तथा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल व बांग्लादेश भेजे जाने की सूचना प्राप्त हो रही थी। इसकी रोकथाम हेतु उत्तर प्रदेश शासन ने स्पेशल टास्क फोर्स तथा खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रसाधन विभाग उ0प्र0 की संयुक्त जांच समिति का गठन किया गया था।
उपरोक्त अभियुक्त से विस्तृत पूछताछ में बताया कि ग्राम नरवे आजमगढ़ का रहने वाले विकास सिंह के माध्यम से मेरा परिचय शुभम जायसवाल पुत्र भोला प्रसाद निवासी कायस्थ टोला प्रह्लाद घाट वाराणसी से हुआ था। विकास सिंह ने बताया था कि शुभम जायसवाल का एबॉट कंपनी की फेन्सेडिल कफ सिरप का शैली ट्रेडर्स के नाम से बड़ा कारोबार रांची, झारखंड में है।
पुलिस ने की कार्रवाई
कोडीन युक्त फेन्सेडिल कफ सिरप नशे के रूप में प्रयोग होता है, जिसकी काफी डिमांड पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में है। इसकी तस्करी में बहुत फायदा है। अगर उसके धंधे में कुछ पैसे लगाओगे तो काफी आमदनी होगी, इस पर मैं लालच में आकर तैयार हो गया।
हम दोनों ने विकास सिंह के माध्यम से शुभम जायसवाल व उसके अन्य पार्टनरों के साथ बातचीत की और उन लोगों ने धनबाद में मेरा देवकृपा मेडिकल एजेंसी के नाम से जनवरी 2024 में फर्म बनवा दी। फर्म का सारा लेनदेन शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर तथा उसका सीए देखता था। धनबाद के बिजनेस में मैंने 5 लाख रुपये लगाया। मुझको इन लोगों ने लगभग 20-22 लाख रुपये दिए।
बताया कि मैं धनबाद 2-3 बार ही गया हूं। इसके बाद इन लोगों के कहने पर मेरे नाम से बनारस में भी ड्रग लाइसेंस लेकर फर्म खुलवाई। मेरे नाम से श्री मेडिकल के नाम से फर्म खुलवाई। इसका भी सारा लेन-देन शुभम जायसवाल व उसके साथी देखते थे। बनारस की फर्म में दो-तीन महीने ही फेन्सेडिल का व्यापार होना बताया। उसके बाद एबॉट कंपनी द्वारा फेन्सेडिल कफ सिरप बनाना बंद हो गई।
कैश में करते थे व्यापार
बनारस की फर्म में भी लगभग 8 लाख रुपये का लाभ अलग-अलग समय पर शुभम ने दिया था। सारे रुपये नकद मिलते थे, जिन्हें मैं अपनी पत्नी साक्षी सिंह के बैंक अकाउंट में डाल देता था। शुभम जायसवाल एवं उसके पार्टनरों के एबॉट कंपनी के अधिकारियों से मिलकर 100 करोड़ से अधिक का कफ सीरप खरीदा था, जिसमें ज्यादातर सिरप फर्जी खरीद-बिक्री बिल, ई-वे बिल बनाकर तस्करी कर बेच दिया गया है।
रांची, गाजियाबाद में पुलिस एवं एस0टी0एफ0 टीम द्वारा इसके गैंग के सौरभ त्यागी, विभोर राणा आदि को गिरफ्तार कर लेने के कारण शुभम जायसवाल अपने परिवार एवं पार्टनर वरुण सिंह, गौरव जायसवाल के साथ दुबई भाग गया है। शुभम जायसवाल फेसटाइम एप से बात करता है।
शुभम जायसवाल व उसके पार्टनर द्वारा हम लोगों के अलावा अन्य काफी लोगों के नाम से भी इसी प्रकार फर्जी फर्म बनवाकर फेन्सेडिल कफ सीरप के कूटरचित बिल और ई-वे बिल तैयार कर फर्जी खरीद बिक्री दिखाकर उसको तस्करों के हाथ बेचकर भारी मुनाफा कमाते हैं इसमें एबॉट कंपनी के अधिकारी भी संलिप्त हैं।