Cough Syrup Case: बढ़ई और पेंटर के नाम पर भी ड्रग फर्म, ड्रग अफसरों ने की अनदेखी; पढ़ें- क्या है पूरा मामला
Varanasi News: कोडिन युक्त कफ सिरप की तस्करी के मामले की जांच में हर दिन नए खुलासे हो रहे हैं। पूर्वांचल के 150 दवा कारोबारियों को वाराणसी के दवा मंडी से शुभम जायसवाल ने साधा। हैरान करने वाली बात तो ये है कि बढ़ई और पेंटर के नाम पर भी फर्म पंजीकृत हो गए और उन्हें भनक तक नहीं लगी।
विस्तार
कोडिन युक्त कफ सिरप की तस्करी के आरोपी 50 हजार के इनामी शुभम जायसवाल ने सप्तसागर दवा मंडी से पूर्वांचल के 150 दवा कारोबारियों को साधा। चंदौली के पीडीडीयूनगर निवासी स्वप्निल केशरी की गिरफ्तारी के बाद सामने आया कि शुभम के आइडिया से ही स्वप्निल ने शेल फर्म पंजीकृत कराया। पीडीडीयूनगर के काली महाल और कृष्णा नगर की दो महिलाएं और दो पुरुषों को रोहनिया पुलिस ने रडार पर लिया है।
क्या है पूरा मामला
स्वप्निल के घर काम करने वाले बढ़ई और पेंटर, पड़ोसियों के नाम पर फर्म पंजीकृत हो गए और उन्हें भनक तक नहीं लगी। तफ्तीश में पुलिस जब पेंटर के घर पहुंची तो उन्हें मालूम चला कि उनके नाम पर फर्म भी है और बैंक खातों से करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन भी हो चुके हैं। सप्तसागर दवा मंडी के आशीष और दिनेश ने ही स्वप्निल की मुलाकात शुभम से कराई थी।
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ऐसे कराया गया फर्म पंजीकरण
पीडीडीयूनगर कोतवाली थाना क्षेत्र के काली महाल में रहने वाली सबा परवीन के नाम से एसपी फर्म पंजीकृत कराई गई। स्वप्निल के यहां पेंटिंग का काम करने आए सद्दाम हुसैन के नाम पर अलउकबा मेडिकल एजेंसी के नाम से फर्म पंजीकृत कराया गया। ईस्टर्न बाजार के संजय केसरी के मकान में सद्दाम का ऑफिस दिखाया गया। सिंह मेडिकोज फर्म के प्रोपराइटर नागेंद्र कुमार सिंह के नाम पर फर्म पंजीकृत हुई और मुगलसराय कोतवाली के कृष्णा नगर निवासी रेखा देवी पत्नी सूर्यनाथ यादव के मकान में सिंह मेडिकोज का कार्यालय दिखाया गया। यह व्यवस्था स्वप्निल ने ही कराई।
चंदासी में खरीदी थी जमीन
प्रतीक गुजराती ने हवाला से छह करोड़ खपाए
एडीसीपी नीतू ने बताया कि कफ सिरप सिंडिकेट में हवाला की एंट्री सप्तसागर दवा मंडी के प्रतीक गुजराती ने कराई। शुभम जायसवाल के करीबी प्रतीक ने ही पूरी प्रक्रिया समझाई। बांग्लादेश से गोल्ड और हवाला से रकम वाराणसी पहुंचाई गई। शुभम की ओर से कफ सीरप को होलसेल रेट 100 प्रति शीशी में खरीद कर बांग्लादेश व अन्य राज्यों में 700 प्रति शीशी पर बेची जाती थी और मुनाफा सोने के रूप में तस्करी कर पश्चिम बंगाल आता था और सोने को नकदी में बदलकर ऑपरेटर प्रतीक गुजराती के माध्यम से कोड 10 रुपये या 100 रुपये, 500 रुपये की गड्डी में 100 की नोट के कोड नंबर से मैच करवा कर पैसों को एडजस्ट किया जाता था। पीडी फार्मा में आरोपी महमूरगंज निवासी लोकेश अग्रवाल की ओर से प्रतीक के माध्यम से 6 करोड़ से ज्यादा की नकदी जमा कर काले धन को अन्य फर्जी फर्मों से मनी लॉन्ड्रिंग की गई। रोहनिया पुलिस को प्रतीक गुजराती की तलाश है।
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मकान में मेडिकल की दुकान, कभी नहीं पहुंची दवा
जीएसटी और फर्म पंजीकृत कराने के लिए स्वप्निल ने ड्रग विभाग चंदौली के अधिकारियों को भी गुमराह किया, जिस मकान में मेडिकल खोले गए, उनका शटर कभी नहीं उठा। तीनों मेडिकल फर्म में बस उस कंपनी का बोर्ड लगाकर कुर्सी व मेज रखकर फोटो खिंचवा ली जाती थी और उसकी जीएसटी बनवाकर रजिस्ट्रेशन करवा लिया जाता था। उन फर्म में कभी कोई दवा नहीं आई थी।
