हरियाली: 101 तरह के पाैधों से लें ठंडक और ऑक्सीजन, सीजनल फूल बढ़ा रहे घरों की शोभा; जानें इनके नाम
गर्मी से निजात पाने के लिए लोग अपने घरों में हरियाली बढ़ाने लगे हैं। गमलों में फूलों की वैराइटी लगाकर ठंडक पाने की कोशिश की जा रही है। गर्मी में फलने फूलने वाले पौधों को लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है।

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गर्मी में ठंडक और घरों में ऑक्सीजन के लिए लोग 101 से अधिक वैराइटी के पौधे व फूल लगा रहे हैं। रात की रानी, दिन का राजा, चैती गुलाब, चंपा-चमेली, जूही के अलावा मोतिया बेला, मोगरा जैसे फूलों की खुशबू बिख रही है।

वहीं ग्लाइडिया, टीकोमा, बोनबेलिया, अडेनियम, कोचिया, जीनिया सहित 70 तरह के छायादार और ऑक्सीजन देने वाले विदेशी पौधे भी पसंद किए जा रहे हैं। ये सभी गर्मी लगने वाले पौधे व फूल हैं। इनकी 40 फीसदी मांग बढ़ी है।
गर्मी में फलने फूलने वाले पौधों को लगाने का सिलसिला शुरू हो गया है। इस सीजन के सौ से अधिक फूल और पौधों की बैराइटी नर्सरियों में बिक रही है। नर्सरी संचालक दिनेश मौर्या और संतोष ने बताया कि इस सीजन के 70 से अधिक वैराइटी के पौधे हैं तो फूलों में 30 से ज्यादा। इन पौधों को कम पानी की जरूरत होती है और ये गर्मी में अच्छी तरह से खिलते हैं। इनकी कीमत 10 रुपये से 300 रुपये तक है।
ये है पौधों की वैराइटी
सदाबहार, मधुमालती, एक्जोरा, बोगनविलिया, जैस्मीन, मीली, अपराजिता, टिकोमा, गुड़हल, स्पाइडर, रोहियो, सनैक प्लांट, एरिका पाम, ड्रेसिना, अगलोनिमा, पर्पल हर्ट, डिफन, रबड़, रैन लिली, जिमिया, क्लीविया, गजनीया, मैरीगोल्ड, बटर फ्लाई, क्रोटन, डिफन, पीस लिली, अगलोनिया।
रीडर मर्चिरा से मिलती है ठंडक
धूप-छांव में पाइकस को रख सकते हैं। ऑक्सीजन देने वाले पाम की 40 वैराइटी है। जबकि रीडर मर्चिरा आंखों को ठंडक पहुंचाती है। इस पौधे की पत्तियों की चमक अलग होती है।
15 करोड़ से हाईटेक और आधुनिक होगी जिले की औद्यानिक खेती
जिले की औद्यानिक खेती को आधुनिक और हाईटेक बनाने के लिए 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इस प्रस्ताव में कृषि विज्ञान केंद्र, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के सहयोग से कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को शामिल किया गया है। इनमें कुछ को मंजूरी भी मिल गई है। उम्मीद है कि अगले माह तक जिले को इस योजना के तहत लक्ष्य भी प्राप्त हो जाएगा।
जिला उद्यान अधिकारी सुभाष कुमार ने बताया कि जिले में फल और सब्जियों की खेती को बढ़ावा देने और किसानों को नई तकनीक से जोड़ने के उद्देश्य से 15 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है।
प्रस्तावित परियोजनाओं में प्रमुख रूप से संरक्षित खेती (पॉलीहाउस, शेडनेट हाउस), सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देना, उच्च गुणवत्ता वाले पौध सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना, पैक हाउस और कोल्ड स्टोरेज जैसी फसल कटाई उपरांत प्रबंधन संरचनाओं का निर्माण, स्थानीय स्तर पर फल और सब्जी प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना शामिल है। इन पर शासन स्तर से प्रारंभिक मंजूरी प्राप्त हो गई है और उम्मीद जताई जा रही है कि अगले महीने तक पूरे जिले के लिए लक्ष्य आवंटित कर दिया जाएगा।
23 नर्सरियों में तैयार हो रहे 30 लाख पौधे
वन विभाग ने मानसून में वन क्षेत्र को बढ़ाने की तैयारी शुरू कर दी है। विभाग की 23 नर्सरियों में 30 लाख पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन पौधों को मई तक रोपण के लिए तैयार कर लिया जाएगा। विभाग पौधे को जुलाई और अगस्त में लगाएगा। पौधों का एक बड़ा हिस्सा किसानों और जनता को मुफ्त वितरित किया जाएगा।
यह पहल पेड़ लगाकर हरियाली बढ़ाने और भविष्य में उनसे लाभ मिलने को देख की जा रही है। वन विभाग इस वर्ष दुर्लभ पौधों की प्रजातियों पर ध्यान दे रहा है। अधिकारी नियमित निगरानी कर रहे हैं। ताकि पौधे सही समय पर तैयार हो सके। एक नर्सरी में 10 से 12 महिलाएं पौधे उगाने का कार्य कर रही हैं। इसमें जामुन, आम, कटहल, अर्जुन समेत विभिन्न प्रजाति के पौधे शामिल हैं। जून में गड्ढों की खोदाई शुरू होगी।
मिट्टी खाद डालने के बाद इन्हें बंद कर दिया जाएगा। जिससे दीमक और कीट नष्ट हो जाएंगे। इसके बाद जुलाई में पौधरोपण शुरू कर दिया जाएगा। डीएफओ स्वाति श्रीवास्तव ने बताया कि वन विभाग की नर्सरियों में पौधे उगाने के लिए बीज बुआई का कार्य शुरू कर दिया गया है।