एनआरसी और सीएए को बेहतर ढंग से किया जा सकता था लागूः फिल्म निर्माता तिग्मांशु धूलिया
फिल्म निर्माता तिग्मांशु धूलिया ने कहा कि मुझे मेरा पुराना हिंदुस्तान लौटा दो, जहां लोग अमन, शांति और प्यार से रहते थे। वायलेंस और अलगाववाद की हिंदुस्तान में कोई जगह नहीं है। सरकार चाहती तो एनआरसी और सीएए को बेहतर ढंग से लागू कर सकती थी। शायन इन चीजों की जरूरत ही नहीं थी लेकिन अगर सरकार को यह करना था तो वह इसे अलग तरीके से बड़े पदों पर बैठे जानकार लोगों से बातचीत और मशवरे के बाद करती। मैं खुद सरकार की इस नीति के खिलाफ हूं।
राजेंद्र प्रसाद घाट पर तीन दिवसीय यूपी इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने वाराणसी पहुंचे तिग्मांशु सोमवार को बनारस क्लब में मीडिया से मुखातिब थे। कहा कि वाराणसी में फिल्म फेस्टिवल होना मुझे यहां आने का मौका देने जैसा है, जब इस समारोह के संयोजक कृष्णा मिश्रा ने मुझे बुलाया तो मैं ये मौका कैसे छोड़ सकता था।
इलाहाबाद का रहने वाला हूं तो बनारस तो अपने घर जैसा लगता है। गैंग्स ऑफ वासेपुर की शूटिंग के दौरान तो वाराणसी में कई दिन गुजारे हैं। उन्होंने सुबह-ए-बनारस का आनंद लिया और कचौड़ी, जलेबी व मलईयो का स्वाद भी चखा। अभी वह एक वेब सीरीज और यूपी एसटीएफ पर आधारित मूवी की तैयारी कर रहे हैं। स्टारकास्ट फाइनल होना बाकी है, स्क्रिप्ट पूरी हो चुकी है।
यूपी बन रहा शूटिंग हब
बनारस क्लब में बातचीत के दौरान सावन कुमार, अरुण बख्शी, नरेश मल्होत्रा, अनिल शर्मा और तिग्मांशु धूलिया ने कहा कि यूपी में तो जहां कैमरा लगा दो वहीं शूटिंग शुरू हो जाएगी। यूपी तो अब शूटिंग का हब बन चुका है। इसमें वाराणसी, लखनऊ और मथुरा हैं लेकिन इनके अलावा भी और जगह हैं जहां शूटिंग हो सकती हैं।
सरकार को फिल्मों के अलावा वेब सीरीज पर भी सब्सिडी देने पर विचार करना चाहिए क्योंकि उनका भी बजट करोड़ों में होता है। तिग्मांशु ने ये भी बताया कि शायद वह पहले होंगे जिन्हें यूपी सरकार ने फिल्म बुलेट राजा के लिए सब्सिडी दी थी। सावन कुमार ने कहा कि अब तो फिल्मों में न तो संगीत है और ना कहानियां बची हैं।
देश को एकता के सूत्र में जोड़ता है बॉलीवुड
सीएए और एनआरसी पर बॉलीवुड के दो खेमे में बंटने की बात पर अरुण बख्शी ने कहा कि बॉलीवुड तो पूरे हिंदुस्तान को एकता के सूत्र में पिरोता है। सिनेमा ही है जो सभी को एक करता है। मुंबई ही वह नगरी है, जहां सभी विचारधाराएं एक हो जाती हैं। खेमे में बंटने की बात गलत है और जो ऐसा कर रहे हैं वह गलत कर रहे हैं।