Kashi Vishwanath Corridor: विश्वनाथ मंदिर में आया हार्ट अटैक, तो सीपीआर देकर जान बचाएंगे पुजारी व अर्चक
वाराणसी के राजकीय चिकित्सा अधिकारी डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी ने कार्डियक अरेस्ट आने पर बरती जाने वाली सावधानियों और सीपीआर की बारीकियों से श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों को अवगत कराया।
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काशी विश्वनाथ मंदिर से एक और नया अध्याय जुड़ गया है। यहां के अर्चक और पुजारी अब लोगों को सीपीआर देकर उनकी जान बचाएंगे। दर्शन-पूजन के दौरान अगर किसी भी श्रद्धालु को हाट अटैक आ गया तो पुजारी उन्हें सीपीआर दे सकेंगे। अर्चकों और पुजारियों को मंगलवार को बाकायदा इसका प्रशिक्षण दिया गया। विश्वनाथ मंदिर
देश का पहला ऐसा मंदिर बन गया है जहां अर्चकों को इसकी ट्रेनिंग दी गई।
काशी विश्वनाथ धाम में हर दिन एक लाख से अधिक लोग बाबा के दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। इस दौरान बहुत से लोगों को हार्ट अटैक जैसी समस्या भी होती है। डॉ. शिवशक्ति प्रसाद द्विवेदी की ओर से अलग-अलग जगहों पर लोगों को सीपीआर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विश्वनाथ कॉरिडोर के त्र्यंबकेश्वर हॉल में आयोजित कार्यक्रम में डॉ. द्विवेदी ने कहा कि कोरोना के बाद कार्डियक अरेस्ट के मामलों में बेतहाशा बढ़ोतरी हुई है। आजकल व्यायाम और नृत्य करते समय भी लोगों को दिल का दौरा पड़ रहा
है।
ऐसी घटनाओं में देश के विभिन्न हिस्सों में कई लोगों की जान भी जा चुकी है। ऐसे समय में सीपीआर देने की जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए। बताया कि कार्डियक अरेस्ट के मरीज के लिए पहला तीन मिनट गोल्डन टाइम होता है। अगर नौ मिनट तक मस्तिष्क को ऑक्सीजन नहीं मिले तो व्यक्ति ब्रेन डेथ का शिकार हो सकता है। इस समय मरीज को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है।
क्या होता है सीपीआर
सीपीआर एक मेडिकल थेरेपी की तरह है। इससे हार्ट अटैक आने पर मरीज को सीपीआर देते हुए अस्पताल पहुंचाया जाता है। सीपीआर तब तक देते रहना चाहिए जब तक एंबुलेंस न आ जाए या मरीज अस्पताल या विशेषज्ञ चिकित्सक के पास नहीं पहुंच जाए। ऐसा करने से मरीज के बचने की संभावना बहुत बढ़ जाती है। इस दौरान एसडीएम शंभू शरण, अमित प्रजापति , गौरव द्विवेदी , सुमित एवं अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे।
कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की सांस या दिल के रुकने पर उसकी जान बचाने में मदद कर सकती है। जब किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे कार्डियक अरेस्ट कहते हैं। कार्डिएक अरेस्ट के दौरान हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में रक्त पंप नहीं कर सकता है। इस दौरान इलाज नहीं मिलने पर मिनटों में ही व्यक्ति की मौत हो सकती है।
क्या होता है हार्ट अटैक?
दिल तक खून पहुंचना बंद होने की स्थिति को हार्ट अटैक कहा जाता है। दरअसल, कोलेस्ट्रॉल और फैट के कारण अक्सर दिल तक खून ले जाने वाली धमनी में खून का प्रवाह रुक जाता है और इसके कारण दिल तक खून नहीं पहुंच पाता है। धमनी ब्लॉक होने की वजह से ऑक्सीजन भी इस तक नहीं पहुंच पाती है। हालांकि ऐसी स्थिति में दिल की कार्यप्रणाली बरकरार रहती है यानी कि इंसान का दिल धड़कना बंद नहीं होता है।
क्या है कार्डियक अरेस्ट?
कार्डियक अरेस्ट उस स्थिति में होता है जब कार्डियक कार्यप्रणाली अचानक रुक जाती है यानी दिल धड़कना बंद कर देता है। इस दौरान फेफड़ों, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों तक खून पहुंचना रुक जाता है और प्रभावित व्यक्ति की तुरंत मृत्यु हो जाती है। कई बार हार्ट अटैक आने की वजह से भी अचानक कार्डियक अरेस्ट हो सकता है। ऐसी इमरजेंसी में मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन (CPR) और डिफाइब्रिलेटर से बिजली के झटके दिए जाते हैं। इस दौरान एसडीएम शम्भु शरण शर्मा, अमित प्रजापति, गौरव द्विवेदी, सुमित एवं अन्य प्रसानिक अधिकारी मौजूद रहे।