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Almora News: एक अदद रास्ता नहीं, खेतों से निकलती है शवयात्रा
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रानीखेत (अल्मोड़ा)। एक ओर सरकार विकास के बड़े-बड़े दावे कर रही है, वहीं दूसरी ओर ताड़ीखेत ब्लॉक के ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे हैं। क्षेत्र के करीब 30 गांवों के लिए एकमात्र श्मशान घाट खिलाडेश्वर मुक्ति धाम तक आज भी सुगम सड़क नहीं पहुंच पाई है।
इससे ग्रामीणों को शवयात्रा खेतों और कीचड़ भरे रास्तों से होकर निकालनी पड़ती है। बरसात के दिनों में गड्ढों में भरे पानी और फिसलन के कारण लोगों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कोठार, नौखला, खत्याड़ी, डढूली, सेमड़ी, तिमीलाडिग्गी, सरना, मलोटा समेत 30 से अधिक गांव इस समस्या से प्रभावित हैं। कई बार गनियाद्योली–सिंगोली–अम्याड़ी सड़क को वीर शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट पीपली सड़क से जोड़ने की मांग उठाई गई लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
पूर्व जिला पंचायत सदस्य शोभा रौतेला ने अपनी निधि से सिंगोली–दौलधार–खाईखेत से मंदिर तक रास्ते की कटिंग करवाई थी लेकिन आगे सड़क निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है। स्थिति यह है कि शव यात्राएं आज भी किसी तरह श्मशान घाट तक पहुंचती हैं। ग्रामीणों ने कहा कि विकास के दावों के बीच इतनी जरूरी सुविधा का अभाव चिंता का विषय है। उन्होंने प्रशासन से जल्द सड़क निर्माण कराने की मांग उठाई है।
शहीद की शवयात्रा भी खेतों से निकली थी
चार साल पूर्व शहीद बृजेश रौतेला की शवयात्रा भी खेतों से होकर गुजरी थी। उनकी शवयात्रा में कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी पहुंचे थे उस वक्त सभी ने परिजनों को आश्वासन दिया लेकिन रास्ता बनाने के लिए किसी ने पहल नहीं की।
क्या बोले ग्रामीण
गांव के लोग इस समस्या से काफी अर्से से जूझ रहे हैं लेकिन आज तक समस्या का हल नहीं हुआ। श्मशान घाट को सड़क न होने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में तो पैर फिसलने का डर लगा रहता है। - अमित नेगी, पूर्व प्रधान पपनै कोठार
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दो साल पहले मेरे बेटे शहीद बृजेश रौतेला की अंतिम यात्रा खेतों से होकर गुजरी थी। उस समय कई नेता और अधिकारी शामिल हुए थे मगर आज तक घाट के लिए रास्ता नहीं बन पाया। -दलवीर सिंह रौतेला, शहीद के पिता
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अपने कार्यकाल के दौरान खाईखेत से मंदिर तक सड़क कटान का काम अपनी निधि से पूरा करवाया था ताकि श्मशान घाट तक सुगम मार्ग मिल सके। लेकिन उसके बाद से सिर्फ आश्वासनों का दौर ही चलता रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि आज तक सड़क का निर्माण आगे नहीं बढ़ पाया है। ग्रामीण अब भी कीचड़, खेतों और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर शवयात्रा निकालने को मजबूर हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर है और प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए।
-शोभा रौतेला, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मोवड़ी
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इससे ग्रामीणों को शवयात्रा खेतों और कीचड़ भरे रास्तों से होकर निकालनी पड़ती है। बरसात के दिनों में गड्ढों में भरे पानी और फिसलन के कारण लोगों को अत्यधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। कोठार, नौखला, खत्याड़ी, डढूली, सेमड़ी, तिमीलाडिग्गी, सरना, मलोटा समेत 30 से अधिक गांव इस समस्या से प्रभावित हैं। कई बार गनियाद्योली–सिंगोली–अम्याड़ी सड़क को वीर शहीद मेजर चित्रेश बिष्ट पीपली सड़क से जोड़ने की मांग उठाई गई लेकिन स्थानीय जनप्रतिनिधियों और प्रशासन ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।
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पूर्व जिला पंचायत सदस्य शोभा रौतेला ने अपनी निधि से सिंगोली–दौलधार–खाईखेत से मंदिर तक रास्ते की कटिंग करवाई थी लेकिन आगे सड़क निर्माण का कार्य अधर में लटका हुआ है। स्थिति यह है कि शव यात्राएं आज भी किसी तरह श्मशान घाट तक पहुंचती हैं। ग्रामीणों ने कहा कि विकास के दावों के बीच इतनी जरूरी सुविधा का अभाव चिंता का विषय है। उन्होंने प्रशासन से जल्द सड़क निर्माण कराने की मांग उठाई है।
शहीद की शवयात्रा भी खेतों से निकली थी
चार साल पूर्व शहीद बृजेश रौतेला की शवयात्रा भी खेतों से होकर गुजरी थी। उनकी शवयात्रा में कई जनप्रतिनिधि और अधिकारी पहुंचे थे उस वक्त सभी ने परिजनों को आश्वासन दिया लेकिन रास्ता बनाने के लिए किसी ने पहल नहीं की।
क्या बोले ग्रामीण
गांव के लोग इस समस्या से काफी अर्से से जूझ रहे हैं लेकिन आज तक समस्या का हल नहीं हुआ। श्मशान घाट को सड़क न होने से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बरसात के मौसम में तो पैर फिसलने का डर लगा रहता है। - अमित नेगी, पूर्व प्रधान पपनै कोठार
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दो साल पहले मेरे बेटे शहीद बृजेश रौतेला की अंतिम यात्रा खेतों से होकर गुजरी थी। उस समय कई नेता और अधिकारी शामिल हुए थे मगर आज तक घाट के लिए रास्ता नहीं बन पाया। -दलवीर सिंह रौतेला, शहीद के पिता
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अपने कार्यकाल के दौरान खाईखेत से मंदिर तक सड़क कटान का काम अपनी निधि से पूरा करवाया था ताकि श्मशान घाट तक सुगम मार्ग मिल सके। लेकिन उसके बाद से सिर्फ आश्वासनों का दौर ही चलता रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि आज तक सड़क का निर्माण आगे नहीं बढ़ पाया है। ग्रामीण अब भी कीचड़, खेतों और ऊबड़-खाबड़ रास्तों से होकर शवयात्रा निकालने को मजबूर हैं। यह स्थिति बेहद गंभीर है और प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए।
-शोभा रौतेला, पूर्व जिला पंचायत सदस्य मोवड़ी

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