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Almora News: बरात में हल्दूचौड़ जा रहे थे तीन शिक्षक और एक कार्मिक
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अल्मोड़ा। रातीघाट में कार के शिप्रा नदी में गिरने से अल्मोड़ा के दो शिक्षक नेताओं और एक कर्मचारी नेता की मौत से शिक्षा जगत में शोक की लहर है। देर रात जैसे ही परिजनों को हादसे की भनक लगी तो घर में कोहराम मच गया। परिजनों की थाली में परोसा खाना परोसा ही रह गया।
नगर के दुगालखोला निवासी शिक्षक शिव दत्त तिवारी के पुत्र की बरात हल्दूचौड़ गई थी। शिव दत्त का पुत्र भी राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है। एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा, शिक्षक संजय बिष्ट, सुरेंद्र भंडारी, मनोज सिंह बिष्ट को भी बरात में आमंत्रित किया गया था। वह भी बरात में जा रहे थे कि रातीघाट पहुंचते ही कार नदी में जा गिरी और हादसे में दो शिक्षक नेताओं संजय, सुरेंद्र और एक कर्मचारी नेता पुष्कर भैसोड़ा की मौत हो गई।
तीनों के निधन पर उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक प्रकाश चंद्र जोशी, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष किशोर जोशी, हरेंद्र सिंह बिष्ट, उमेश सिंह मनराल, हरीश ढैला, राजीव जोशी, राजेंद्र मनराल, मोहन बिष्ट, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष पंकज पांडे, जिला मंत्री पुष्कर सिंह, कोषाध्यक्ष अमित शर्मा, उपाध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष अमित शर्मा आदि ने शोक जताया है।
मिनिस्ट्रियल कर्मियों के हितों के लिए सड़क से सदन तक लड़े थे पुष्कर भैसोड़ा
अल्मोड़ा। एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा के असामयिक निधन की खबर सुनते ही साथियों की आंखें नम हो गईं। भैसोड़ा मुख्य शिक्षाधिकारी कार्यालय में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पद पर तैनात थे। उनके करीबी गोविंद सिंह मेहता ने बताया कि मूलरूप से धौलादेवी ब्लाॅक के चमतोला निवासी भैसोड़ा परिवार सहित नगर के करबला में रहते थे। उनके परिवार में तीन पुत्रियां और एक पुत्र है। पुत्र हाईस्कूल की पढ़ाई करता है। उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव के श्मशान घाट में किया गया। अंतिम विदाई में पहुंचे कर्मचारी नेताओं और शिक्षकों के आंसू थम नहीं रहे थे।
पुष्कर भैसोड़ा सीईओ कार्यालय में आने वाले शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों की लंबित समस्याओं के समाधान के लिए सड़क से सदन तक संघर्ष किया। उनके दफ्तर में बैठने से वहां रौनक रहती थी। उन्होंने कई कर्मचारी आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में शासन स्तर पर हुई वार्ता के बाद कई लंबित समस्याओं का समाधान भी हुआ। बताया कि विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की वह आर्थिक मदद तो करते थे। रामलीलाओं से भी उनका काफी जुड़ाव था। वह रामलीला कमेटियों को आर्थिक मदद भी करते थे। वह काफी मिलनसार और मृदुभाषी थे। उनकी मौत की खबर सुनकर चमतोला गांव के लोग सन्न रह गए। घर से जैसे ही उनकी अर्थी उठी तो परिजनों के करुण कंद्रन से माहौल गमगीन हो गया। पुष्कर के आवास पर श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा, विधायक मनोज तिवारी, पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह चौहान, भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुंदन लटवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष रवि रौतेला, भैरव गोस्वामी समेत विभिन्न संगठनों से जुड़े पदाधिकारी मौजूद थे। इसके बाद शव यात्रा रामेश्वर स्थित श्मशान घाट को रवाना हुई।
शिक्षक संजय को विद्यार्थियों से था बहुत लगाव
रातीघाट हादसेे में जान गंवाने वाले संजय सिंह बिष्ट प्राथमिक विद्यालय ज्योली नवीन में प्रधानाध्यापक पद पर तैनात थे। वह राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के हवलबाग ब्लॉक अध्यक्ष भी थे। शिक्षक नेता के तौर पर उन्होंने शिक्षक हितों के लिए संघर्ष किया। बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था। उनके परिवार में एक बेटा है जो देहरादून से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। पत्नी गृहिणी हैं। वृद्ध पिता भी उनके साथ ही रहते हैं। मूलरूप से शीतलाखेत के चाण निवासी बिष्ट वर्तमान में पांडेखोला में रहते थे। शनिवार की देर रात जैसे ही परिवार को हादसे की सूचना मिली तो कोहराम मच गया। उनकेपरिवार में पिता पदम सिंह बिष्ट, पत्नी दीपा बिष्ट और पुत्र लवी बिष्ट हैं। बेटे की मौत से जहां बूढ़े पिता के आंसू थम नहीं रहे थे तो वहीं पत्नी भी बेसुध हो गई। उनका अंतिम संस्कार विश्वनाथ घाट पर किया गया।
सुरेंद्र की मौत की खबर सुनकर विद्यार्थियों के भी छलके आंसू
कार दुर्घटना में मारे गए सुरेंद्र सिंह भंडारी प्राथमिक विद्यालय टानी में प्रधानाध्यापक थे। वह राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के हवलबाग ब्लॉक महामंत्री भी थे। उन्होंने शिक्षकों की आवाज को मुखर किया और उनकी समस्याओं के लिए हमेशा संघर्षरत रहे। उनके पिता हर सिंह का करीब छह साल पहले निधन हो चुका है। 66 वर्षीय माता हंसी भंडारी बेटे को खोने से गमजदा है। 44 वर्षीय पत्नी अनीता भंडारी का रो-रोकर बुरा हाल है। बड़ा पुत्र भार्गव करीब 17 और छोटा प्रणव करीब 15 साल का है। उनके बड़े भाई किशन सिंह भंडारी भी शिक्षक हैं जबकि छोटे भाई कैलाश भंडारी दिल्ली में नौकरी करते हैं। दो छोटी बहनों की शादी हो चुकी है। मूलरूप से भिकियासैंण निवासी भंडारी वर्तमान में डायट के पास रहते थे। परिजन उनके घर लौटने का इंतजार कर रहे थे लेकिन दुखद सूचना मिलने से वह सन्न रह गए। बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। मिलनसार स्वभाव के सुरेंद्र के निधन की खबर सुनकर विद्यार्थियों और शिक्षकों की आंखें नम हो गईं।
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नगर के दुगालखोला निवासी शिक्षक शिव दत्त तिवारी के पुत्र की बरात हल्दूचौड़ गई थी। शिव दत्त का पुत्र भी राजकीय प्राथमिक विद्यालय में शिक्षक है। एजुकेशनल मिनिस्टीरियल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा, शिक्षक संजय बिष्ट, सुरेंद्र भंडारी, मनोज सिंह बिष्ट को भी बरात में आमंत्रित किया गया था। वह भी बरात में जा रहे थे कि रातीघाट पहुंचते ही कार नदी में जा गिरी और हादसे में दो शिक्षक नेताओं संजय, सुरेंद्र और एक कर्मचारी नेता पुष्कर भैसोड़ा की मौत हो गई।
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तीनों के निधन पर उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के संरक्षक प्रकाश चंद्र जोशी, प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष किशोर जोशी, हरेंद्र सिंह बिष्ट, उमेश सिंह मनराल, हरीश ढैला, राजीव जोशी, राजेंद्र मनराल, मोहन बिष्ट, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष पंकज पांडे, जिला मंत्री पुष्कर सिंह, कोषाध्यक्ष अमित शर्मा, उपाध्यक्ष रघुवीर सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष अमित शर्मा आदि ने शोक जताया है।
मिनिस्ट्रियल कर्मियों के हितों के लिए सड़क से सदन तक लड़े थे पुष्कर भैसोड़ा
अल्मोड़ा। एजुकेशनल मिनिस्ट्रियल ऑफिसर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष पुष्कर सिंह भैसोड़ा के असामयिक निधन की खबर सुनते ही साथियों की आंखें नम हो गईं। भैसोड़ा मुख्य शिक्षाधिकारी कार्यालय में मुख्य प्रशासनिक अधिकारी पद पर तैनात थे। उनके करीबी गोविंद सिंह मेहता ने बताया कि मूलरूप से धौलादेवी ब्लाॅक के चमतोला निवासी भैसोड़ा परिवार सहित नगर के करबला में रहते थे। उनके परिवार में तीन पुत्रियां और एक पुत्र है। पुत्र हाईस्कूल की पढ़ाई करता है। उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव के श्मशान घाट में किया गया। अंतिम विदाई में पहुंचे कर्मचारी नेताओं और शिक्षकों के आंसू थम नहीं रहे थे।
पुष्कर भैसोड़ा सीईओ कार्यालय में आने वाले शिक्षकों, शिक्षणेत्तर कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। उन्होंने मिनिस्ट्रियल कर्मचारियों की लंबित समस्याओं के समाधान के लिए सड़क से सदन तक संघर्ष किया। उनके दफ्तर में बैठने से वहां रौनक रहती थी। उन्होंने कई कर्मचारी आंदोलनों का नेतृत्व किया। उनके नेतृत्व में शासन स्तर पर हुई वार्ता के बाद कई लंबित समस्याओं का समाधान भी हुआ। बताया कि विद्यालयों में आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों की वह आर्थिक मदद तो करते थे। रामलीलाओं से भी उनका काफी जुड़ाव था। वह रामलीला कमेटियों को आर्थिक मदद भी करते थे। वह काफी मिलनसार और मृदुभाषी थे। उनकी मौत की खबर सुनकर चमतोला गांव के लोग सन्न रह गए। घर से जैसे ही उनकी अर्थी उठी तो परिजनों के करुण कंद्रन से माहौल गमगीन हो गया। पुष्कर के आवास पर श्रद्धांजलि देने के लिए केंद्रीय राज्यमंत्री अजय टम्टा, विधायक मनोज तिवारी, पूर्व विधायक रघुनाथ सिंह चौहान, भाजयुमो के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुंदन लटवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष रवि रौतेला, भैरव गोस्वामी समेत विभिन्न संगठनों से जुड़े पदाधिकारी मौजूद थे। इसके बाद शव यात्रा रामेश्वर स्थित श्मशान घाट को रवाना हुई।
शिक्षक संजय को विद्यार्थियों से था बहुत लगाव
रातीघाट हादसेे में जान गंवाने वाले संजय सिंह बिष्ट प्राथमिक विद्यालय ज्योली नवीन में प्रधानाध्यापक पद पर तैनात थे। वह राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के हवलबाग ब्लॉक अध्यक्ष भी थे। शिक्षक नेता के तौर पर उन्होंने शिक्षक हितों के लिए संघर्ष किया। बच्चों से उन्हें बेहद लगाव था। उनके परिवार में एक बेटा है जो देहरादून से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। पत्नी गृहिणी हैं। वृद्ध पिता भी उनके साथ ही रहते हैं। मूलरूप से शीतलाखेत के चाण निवासी बिष्ट वर्तमान में पांडेखोला में रहते थे। शनिवार की देर रात जैसे ही परिवार को हादसे की सूचना मिली तो कोहराम मच गया। उनकेपरिवार में पिता पदम सिंह बिष्ट, पत्नी दीपा बिष्ट और पुत्र लवी बिष्ट हैं। बेटे की मौत से जहां बूढ़े पिता के आंसू थम नहीं रहे थे तो वहीं पत्नी भी बेसुध हो गई। उनका अंतिम संस्कार विश्वनाथ घाट पर किया गया।
सुरेंद्र की मौत की खबर सुनकर विद्यार्थियों के भी छलके आंसू
कार दुर्घटना में मारे गए सुरेंद्र सिंह भंडारी प्राथमिक विद्यालय टानी में प्रधानाध्यापक थे। वह राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के हवलबाग ब्लॉक महामंत्री भी थे। उन्होंने शिक्षकों की आवाज को मुखर किया और उनकी समस्याओं के लिए हमेशा संघर्षरत रहे। उनके पिता हर सिंह का करीब छह साल पहले निधन हो चुका है। 66 वर्षीय माता हंसी भंडारी बेटे को खोने से गमजदा है। 44 वर्षीय पत्नी अनीता भंडारी का रो-रोकर बुरा हाल है। बड़ा पुत्र भार्गव करीब 17 और छोटा प्रणव करीब 15 साल का है। उनके बड़े भाई किशन सिंह भंडारी भी शिक्षक हैं जबकि छोटे भाई कैलाश भंडारी दिल्ली में नौकरी करते हैं। दो छोटी बहनों की शादी हो चुकी है। मूलरूप से भिकियासैंण निवासी भंडारी वर्तमान में डायट के पास रहते थे। परिजन उनके घर लौटने का इंतजार कर रहे थे लेकिन दुखद सूचना मिलने से वह सन्न रह गए। बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल है। मिलनसार स्वभाव के सुरेंद्र के निधन की खबर सुनकर विद्यार्थियों और शिक्षकों की आंखें नम हो गईं।