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Bihar Assembly Elections 2025: Lack of basic amenities in Dr. Rajendra Prasad's village Jiradei | Siwan News
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Bihar Assembly Elections 2025: डॉ. राजेंद्र प्रसाद के गांव जीरादेई में बुनियादी सुविधाओं का अभाव | Siwan News
Video Published by: ज्योति चौरसिया Updated Tue, 28 Oct 2025 03:06 PM IST
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देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को याद करता ये गीत दिल की गहराईयों को छू जाता है। बिहार में सीवान जिले के जीरादेई गांव में अक्सर लोगों को ये गीत गुनगुनाते सुना जा सकता है। इसी गांव के एक मध्यम वर्गीय कायस्थ परिवार में तीन दिसंबर 1884 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म हुआ। वे भारी विद्वान होने के साथ सादगी की प्रतिमूर्ति के रूप में मशहूर थे। लोग बचपन से ही उनके प्रतिभाशाली दिमाग की दाद देते थे। किसी भी काम में उनकी गहरी लगन ने साफ कर दिया था कि वे आने वाले समय में घर-परिवार का नाम जरूर रोशन करेंगे। जीरादेई निवासी श्रुति ने कहा- "ये पढ़ने में इतने मगन रहते थे कि जैसे एक बार बैठे थे और पढ़ रहे थे। और सामने से बारात गुजर गई। तो कुछ कहीं जैसे छूट जाता है, उसमें से एक अंकल, मतलब जो भी रहे हों, वो आके उनसे पूछे कि आपने किसी बारात को जाते हुए देखा? तो उन्होंने कहा कि मैंने नहीं देखा, जबकि बारात हम लोग जानते हैं कि ना चाहते हुए भी सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बन जाता है। फिर भी वो उस चीज को नहीं नोटिस कर पाए कि वो इतने फोकस्ड थे अपनी पढ़ाई को लेकर के। फिर एक और बताते हैं लोग कि पहले पढ़ते थे तो जैसे कि चोटी नहीं हो जाता है, जैसे लोग छोड़ देते हैं अपना बाल छिलवाने के बाद जैसे भी। तो बांध करके अपना सीलिंग-वीलिंग से लेकर के रखते थे, जैसे कि झपकी लगे तो फिर उनकी नींद खुल जाता था।"
कभी सुनैना देवी राजेंद्र प्रसाद के घर में रोजमर्रे का काम संभालती थीं। उस समय वे किशोरी थीं। वे आज भी उस ऐतिहासिक घर में निभाई अपनी जिम्मेदारियों को याद करती हैं। पूरे गांव को हमेशा फख्र रहा है कि वो डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली है, लेकिन आज उस गांव की तस्वीर बदली हुई है। टूटी सड़कें, बिजली कटौती और साफ पानी का अभाव जीरादेई गांव की नियति बन चुकी हैं। हालात इस कदर खराब हैं कि कोई नहीं कह सकता कि ये भारत के पहले राष्ट्रपति का पैतृक गांव है। गांव के कई घर खंडहर हो चुके हैं। यहां की युवा पीढ़ी रोजगार की तलाश में दूरदराज के शहरों का रुख कर चुकी है। खैरियत यही है कि डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पैतृक घर को पुरातत्व विभाग ने संग्रहालय के रूप में बदल दिया है। इससे उनकी विरासत को जिंदा रखने में मदद मिली है। बदहाल गांव के बीच इस संग्रहालय में रखी तस्वीरें और साजो-सामान पूर्व राष्ट्रपति से जुड़ी यादें ताजा करती हैं और आने वाली पीढ़ियों को मूक प्रेरणा भी देती हैं।
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