मानवता को झकझोर देने वाला एक मामला बैतूल जिले से सामने आया यहां एक मां को अपने घायल बेटे के इलाज के लिए पूरी रात भटकना पड़ा। चार घंटे तक तीन अलग-अलग अस्पतालों के चक्कर लगाने के बावजूद किसी डॉक्टर ने इलाज नहीं किया। अंततः जब उसने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया, तब प्रशासन हरकत में आया और बच्चे का इलाज किया गया।
पाथाखेड़ा निवासी सारिका मिस्त्री ने बताया कि उसके छोटे बेटे को साइकिल चलाते समय गिरने से पैर के अंगूठे में गहरी चोट लग गई थी। रविवार की रात करीब 10 बजे वह पहले डब्ल्यूसीएल अस्पताल पहुंची, लेकिन डॉक्टर मौजूद नहीं थे। वहां से निराश होकर उसने एक निजी अस्पताल का रुख किया, जहां गेट बंद मिला। आखिर में वह घोड़ाडोंगरी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची, लेकिन वहां भी किसी ने इलाज करने से इंकार कर दिया।
चार घंटे तक बेटे के दर्द से तड़पने और खुद की बेबसी देखने के बाद सारिका ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट कर दिया। यह वीडियो कुछ ही देर में वायरल हो गया।वीडियो वायरल होते ही कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि अस्पतालों में ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने लापरवाही की थी और मरीज की स्थिति को नजरअंदाज किया।
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कलेक्टर ने पांच कर्मचारियों का एक दिन का वेतन काटने और बीएमओ (ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर) का दो दिन का वेतन रोके जाने के निर्देश जारी किए। साथ ही शासन को बीएमओ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए प्रस्ताव भेजा गया है। सारिका मिस्त्री ने कहा मेरे बेटे के पैर में काफी चोट थी, लेकिन किसी अस्पताल में डॉक्टर नहीं मिला। हम रातभर घूमते रहे। आख़िर थककर वीडियो बनाकर पोस्ट किया, तब जाकर इलाज हुआ और बच्चे के पैर में टांके लगाए गए। कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी ने कहा यह घटना बेहद गंभीर है। एक मां को अपने बेटे के इलाज के लिए तीन अस्पतालों में भटकना पड़ा, यह जनसेवा की असफलता है। पाँच कर्मचारियों का वेतन काटा गया है और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस कार्रवाई से जिला प्रशासन ने साफ संकेत दिया है कि सरकारी सेवाओं में लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही सभी स्वास्थ्य केंद्रों को ड्यूटी और इमरजेंसी सेवाओं में तत्परता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।