स्वामी यतींद्रानंद गिरी ने कहा कि सनातन धर्म वस्तुतः संसार का मूल धर्म है। सनातन धर्म की रचना प्रकृति, यानि परमात्मा, द्वारा की गई है। मनुष्य मात्र के लिए प्रकृति ने यही धर्म सुनिश्चित किया है। इसके अतिरिक्त संसार में कोई धर्म नहीं है; संप्रदाय, पंथ या मजहब हो सकते हैं, लेकिन धर्म तो सनातन ही है। धर्म दो नहीं, सदैव एक ही होता है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म खतरे में नहीं हो सकता, क्योंकि सनातन सत्य है और सनातन सदैव रहेगा। यह अलग बात है कि दुनिया की तमाम ऐसी शक्तियाँ, जो धर्म के नाम पर मजहबी उन्माद से भरी हैं, सनातन को निरंतर चोट पहुँचाने की कोशिश करती रही हैं और करती रहेंगी। इनके प्रयासों का परिणाम अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद के रूप में सामने आता है। स्वामी यतींद्रानंद गिरी ने कहा कि भारत के संविधान में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्यकता है और इसे सनातन जीवन मूल्यों के अनुरूप बनाने की जरूरत है। उन्होंने निरंतर बढ़ती मुस्लिम आबादी को भारत के भविष्य के लिए चिंता का विषय बताया और कहा कि यह दुखद है कि पिछले 12 वर्षों से भाजपा की सरकार होने के बावजूद जनसंख्या नियंत्रण कानून पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि मुफ्त में वितरण की रेवड़ियों का सिलसिला बंद किया जाना चाहिए, क्योंकि इससे लोग नकारात्मक मानसिकता अपनाएंगे।