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Sharda University got second place in India ISRO Robotics Challenge has received award from the President
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भारत के इसरो रोबोटिक्स चैलेंज में शारदा विश्वविद्यालय का दूसरा स्थान, राष्ट्रपति से मिल चुका है पुरस्कार
नोएडा ब्यूरो
Updated Sun, 24 Aug 2025 09:41 PM IST
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नॉलेज पार्क स्थित शारदा विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग की टीम सूर्या ने दिल्ली में आयोजित इसरो रोबोटिक्स चैलेंज में अखिल भारतीय रैंक दूसरा स्थान हासिल किया। सिस्टम की खासियत नेविगेशन, स्थानीयकरण और स्वचालित लैंडिंग के लिए स्व-विकसित नवीन एल्गोरिदम का कार्यान्वयन है, जिसका बेंगलुरु स्थित इसरो यूआरएससी सैटेलाइट सेंटर में परीक्षण किय। अंतरिक्ष राज्य मंत्री और इसरो के निदेशक ने पुरस्कार प्रदान किया गया। विश्वविद्यालय के प्रो वाइस चांसलर डॉ परमानंद ने बताया की प्रतियोगिता में 510 टीमों ने भाग लिया, जिनमें से 222 को प्रारंभिक दौर के लिए चुना गया। इसके बाद, विभिन्न कॉलेज की 177 टीमें क्वालीफिकेशन राउंड में पहुंची,उसके बाद 37 टीमें एलिमिनेशन राउंड में गई । आखिर में आईआईटी, एनआईटी और आईआईआईटी सहित केवल 16 टीमें ही इसरो सैटेलाइट सेंटर, बेंगलुरु में आयोजित फाइनल फील्ड राउंड में पहुंच पाई। जहां शारदा विश्वविद्यालय की टीम ने पूरे भारत में गर्व से दूसरा स्थान हासिल किया। विश्वविद्यालय के कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग विभाग के एचओडी सुदीप वार्ष्णेय ने बताया की टीम लीडर कार्तिक पांडे और सह-लीड मुस्कान के नेतृत्व में, सदस्य प्रशांत के साथ, हमारे मार्गदर्शक रानी अस्त्य और जितेंद्र सिंह के मार्गदर्शन में किया । इस परियोजना को विश्वविद्यालयवित्त की तरफ से आर्थिक सहायता भी की गई है। टीम सूर्या ने एक यूएवी प्रणाली का डिज़ाइन और विकास किया जो पूरी तरह से जीपीएस-रहित वातावरण में काम करने में सक्षम है। यूएवी ड्रोन अपने ऑनबोर्ड नेविगेशन सिस्टम के साथ खुद को स्थानीयकृत कर सकता है, स्वचालित रूप से सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्रों की पहचान कर सकता है और सटीक स्वचालित लैंडिंग कर सकता है। हालांकि इस टीम को राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा इसरो रोवर चैलेंज, 2024 में अखिल भारतीय स्तर पर तृतीय पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। विश्वविद्यालय के चांसलर पीके गुप्ता ने कहा कि हमारा लक्ष्य यही है कि विद्यार्थियों को सक्षम बनाएं और भारत को विकसित बनाने में मदद कर सकें।पिछले साल में शुरू हुई यह यात्रा अथक प्रयास, नवाचार और टीम वर्क का परिणाम रही है। यह सम्मान प्राप्त करना न केवल हमारी सफलता का उत्सव है, बल्कि रोबोटिक्स को आगे बढ़ाने और भारत के अंतरिक्ष नवाचारों को मज़बूत करने में योगदान जारी रखने की प्रेरणा भी है।
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